वाल्‍वो बसों में डीजल में पानी मिलने के मामले में चौंकाने वाली बात: 25 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी नवनिर्मित कार्यशाला के बुरे हाल .

VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

देहरादून में वाल्वो बसों में भरे गए डीजल में पानी मिलने के मामले में शुरू हुई जांच के बाद चौकाने वाली बात सामने आई है। कार्यशाला में जिस भूमिगत डीजल टैंक की न्यूनतम आयु 20 वर्ष है, वह छह वर्ष में ही खराब हो गया।

इसका पता तब चला जब इंडियन आयल की टीम ने ट्रांसपोर्टनगर कार्यशाला पहुंचकर भूमिगत डीजल टैंक की जांच की। जांच में वर्षा के कारण डीजल टैंक में पानी का रिसाव होना बताया जा रहा।

परिवहन निगम ने वर्ष 2015 में ट्रांसपोर्टनगर में नई कार्यशाला का निर्माण किया था। वर्ष 2016 में यहां भूमिगत डीजल टैंक लगाए गए। अब तक रोडवेज इस कार्यशाला पर लगभग 25 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

बावजूद इसके निर्माण में गुणवत्ता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं। जब बीते दिनों परिवहन मंत्री चंदन रामदास यहां निरीक्षण करने पहुंचे थे तो उन्होंने भी कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे।

यही नहीं, दो बार निगम प्रबंध निदेशक रोहित मीणा भी यहां निरीक्षण कर चुके हैं और गुणवत्ता को लेकर उन्होंने भी सवाल उठाकर निर्माण कार्य करा रही एजेंसी को चेतावनी दी थी। इसके बावजूद स्थिति जस नहीं सुधरी। अब रविवार को भूमिगत डीजल टैंक में पानी घुसने के मामले ने निर्माण कार्य की गुणवत्ता की पोल खोल दी है।

रविवार को यहां पंप नंबर-एक पर दो वाल्वो बसों में डीजल भरा गया और दोनों ही रास्ते में बंद हो गई। दोनों के डीजल टैंक में पानी मिला है। इसके बाद रोडवेज प्रबंधन ने कार्यशाला के पंप नंबर-एक को बंद कर दिया था। प्रबंध निदेशक मीणा ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। इसी बीच सोमवार को इंडियन आयल की टीम यहां पहुंची और भूमिगत डीजल टैंक की जांच की।

भूमिगत टैंक में रिसाव हुआ। ऐसे में सवाल उठ रहा कि महज छह वर्ष में ही टैंक में रिसाव कैसे हुआ। जबकि इस टैंक की न्यूनतम अवधि 20 से 25 वर्ष की है। प्रबंध निदेशक रोहित मीणा ने इस मामले की जांच में समस्त पहलू को शामिल किया है।

डीजल टैंक किस समय खरीद गया, कहां से खरीदा गया, कितने में खरीदा गया, कहीं किसी ने शरारत तो नहीं की इसकी भी जांच की जा रही है। इससे रोडवेज को कुल कितना नुकसान हुआ, यह भी रिपोर्ट में बताने को कहा गया है।

रुड़की व रुद्रपुर डिपो में भी यही हाल

भूमिगत डीजल टैंक के मामले में रुड़की व रुद्रपुर डिपो का भी यही हाल है। पिछले वर्ष रुद्रपुर डिपो के भूमिगत डीजल टैंक में पानी भरने से पूरा डीजल खराब हो गया था। जबकि दो वर्ष पूर्व रुड़की डिपो में पानी के चलते 20 हजार लीटर डीजल बर्बाद हुआ था।

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