खुद को सचिवालय में समीक्षा अधिकारी बता रहे नशे में धुत थे:हल्द्वानी जा रही वाल्वो बस में बैठने की जिद :आईएसबीटी चौकी पुलिस ने उल्‍टा चालक-परिचालक को ही चौकी में बैठाया: चार घंटे रोकी वाल्वो.

Rajender Singh for NEWS EXPRESS INDIA

देहरादून: खुद को सचिवालय में तैनात समीक्षा अधिकारी बता रहे नशे में धुत एक व्यक्ति और उसके तीन साथियों ने शुक्रवार देर रात आइएसबीटी पर खूब हंगामा किया। आरोप है कि कथित अधिकारी हल्द्वानी जा रही वाल्वो बस में बैठने की जिद कर रहा था, जबकि सभी सीटें फुल थीं।

परिचालक के मना करने पर कथित अधिकारी व उसके साथियों ने बस को रोक दिया और चालक-परिचालक से अभद्रता कर नौकरी से निकलवाने की धमकी दी। चालक ने आइएसबीटी चौकी पुलिस को सूचना दी तो पुलिस ने शराबियों पर कार्रवाई के बजाय चालक-परिचालक को ही चौकी में बैठा लिया।सूचना मिलने पर रोडवेज के एजीएम केपी सिंह चौकी पहुंचे और चालक-परिचालक को छोडऩे का आग्रह किया, लेकिन पुलिस नहीं मानी।

रात करीब ढाई बजे पुलिस ने चालक, परिचालक और कथित अधिकारी का दून अस्पताल में मेडिकल कराया। तब चालक व परिचालक छोड़े गए और करीब चार घंटे की देरी से बस हल्द्वानी रवाना हुई। वहीं, कथित अधिकारी के नशे में होने की पुष्टि होने पर पुलिस ने चालान कर इतिश्री कर ली। घटना शुक्रवार देर रात करीब सवा 11 बजे की है। आइएसबीटी से हल्द्वानी जाने वाली वाल्वो (यूके07-पीए-3594) अपने निर्धारित समय पर प्लेटफार्म से निकल रही थी, तभी चार व्यक्ति वहां पहुंचे और बस जबरन रोक ली।

परिचालक लोकेश दानू ने बताया कि इनमें से एक व्यक्ति बस में जबरन बैठने की जिद करने लगा। परिचालक ने उससे बस के फुल होने की बात कही तो आरोप है कि संबंधित व्यक्ति ने खुद को सचिवालय में समीक्षा अधिकारी बताकर रौब गालिब करना शुरू कर दिया। आरोप है कि चारों व्यक्ति शराब के नशे में धुत थे। उसने धमकी दी कि जब तक उसे सीट नहीं मिलेगी, वह बस नहीं जाने देगा।

चालक लोकेंद्र कुमार व परिचालक लोकेश दानू ने संबंधित व्यक्ति को समझाना चाहा, लेकिन आरोप है कि उसने और उसके साथियों ने उनसे बदसलूकी शुरू कर दी। परिचालक ने एजीएम ग्रामीण डिपो को फोन कर सूचना दी। इसके बाद चालक और परिचालक ने आइएसबीटी पुलिस चौकी पहुंचकर शिकायत की। इस बीच चारों व्यक्ति भी चौकी पहुंच गए। वहां भी आरोपित ने खुद को सचिवालय अधिकारी बताकर पुलिस पर रौब गालिब किया।

आरोप है कि आरोपितों पर कार्रवाई करने के बजाय चौकी प्रभारी ओमबीर चौधरी ने चालक व परिचालक को ही चौकी में बैठा लिया। पुलिस ने करीब तीन घंटे बाद चालक, परिचालक और खुद को समीक्षा अधिकारी बताने वाले का दून अस्पताल में मेडिकल कराया। कार्रवाई के नाम पर पुलिस ने संबंधित व्यक्ति का सिर्फ चालान कर इतिश्री कर ली, जबकि उसकी वजह से न केवल बस चार घंटे देरी से गई बल्कि यात्रियों को मानसिक व शारीरिक कष्ट भी झेलना पड़ा.

पुलिस की कार्रवाई पर यात्रियों ने जताया आक्रोश

चालक व परिचालक को पुलिस चौकी में बैठाने का कुछ यात्रियों ने विरोध भी किया। बस में महिला, बच्चे और बुजुर्ग यात्री भी थे। कुछ यात्रियों ने पुलिस चौकी पहुंचकर चालक व परिचालक को निर्दोष बता उन्हें छोडऩे की मांग की। उन्होंने पुलिस को पूरी घटना भी बताई, मगर चौकी प्रभारी उनकी बात सुनने को राजी नहीं हुए। एजीएम ने चौकी पहुंचकर बताया कि रात को दूसरे चालक व परिचालक उपलब्ध नहीं हो पा रहे। लिहाजा बस को जाने दें, लेकिन तब भी चौकी प्रभारी अड़े रहे।

एजीएम ने कहा कि अगर मेडिकल ही कराना है तो पुलिस ब्रीथ एनेलाइजर से जांच कर ले, पर चौकी प्रभारी इसके लिए भी तैयार नहीं हुए। बस की रवानगी में देरी होती देख छह यात्रियों ने अपने स्वजन को बुलाया और वापस लौट गए। पूरे मामले में आइएसबीटी चौकी प्रभारी की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध मानी जा रही।

एजीएम ने कहा कि अगर मेडिकल ही कराना है तो पुलिस ब्रीथ एनेलाइजर से जांच कर ले, पर चौकी प्रभारी इसके लिए भी तैयार नहीं हुए। बस की रवानगी में देरी होती देख छह यात्रियों ने अपने स्वजन को बुलाया और वापस लौट गए। पूरे मामले में आइएसबीटी चौकी प्रभारी की कार्यप्रणाली भी संदिग्ध मानी जा रही।

पुलिस दबाने में लगी रही मामला

मामला सचिवालय से जुड़ा होने के चलते पुलिस घटना को दबाने में जुटी रही। चौकी प्रभारी आरोपित व्यक्ति का नाम तक बताने को तैयार नहीं हुए। आखिर में पटेलनगर थानाध्यक्ष के जरिये उसके बारे में जानकारी मिली। हालांकि, उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी कि आरोपित सचिवालय में वास्तव में तैनात है या नहीं। उसका नाम जीवन सिंह बताया गया।

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