परिवहन निगम ने घाटे पर काबू करने के लिए चार डिपो का एकीकरण कर दिया था। मंत्री ने बिना संज्ञान में लाए फैसले पर आपत्ति जताते हुए इस पर रोक लगा दी।

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परिवहन निगम में चार डिपो के एकीकरण का फैसला 24 घंटे भी अस्तित्व में नहीं रह पाया। निगम के आदेश से नाराज होकर परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने इसे स्थगित कर दिया। उन्होंने मामले में मुख्य सचिव से भी बात की है। दरअसल, परिवहन निगम को घाटे से उबारने के लिए लगातार कोई न कोई नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

इसी के तहत सोमवार को परिवहन निगम की एमडी ने रानीखेत डिपो को भवाली डिपो में, काशीपुर को रामनगर में, श्रीनगर को ऋषिकेश में और रुड़की को हरिद्वार डिपो में विलय करने का आदेश जारी किया था। इसके साथ ही विलय होने वाली डिपो की सभी बसें, पूरा स्टाफ भी संबंधित डिपो का हिस्सा बना दिया गया था।

मीडिया में खबरें आने के बाद जब परिवहन मंत्री चंदन रामदास को इसकी जानकारी मिली तो वह नाराज हो गए। उनका कहना था कि उनके संज्ञान में लाए बिना ही परिवहन निगम ने यह फैसला लिया है। उन्होंने तत्काल इस आदेश को स्थगित करने के आदेश जारी कर दिए। साथ ही उन्होंने मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू से भी इस मामले पर बातचीत की और बिना संज्ञान में लाए निर्णय लेने पर नाराजगी जताई।

परिषद ने भी जताया रोष 

रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश महामंत्री दिनेश पंत की अगुवाई में परिवहन मंत्री से मिला। उन्होंने निगम प्रबंधन के डिपो के एकीकरण के फैसले पर मंत्री के सामने रोष जताया। उन्होंने मांग की कि इस फैसले को तत्काल स्थगित किया जाए। इस पर परिवहन मंत्री चंदन रामदास ने कहा कि वह पहले ही इस आदेश को निरस्त कर चुके हैं। इस पर परिषद ने उनका आभार जताया।

यूनियन ने भी जताई आपत्ति

उत्तराखंड रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के प्रतिनिधिमंडल ने भी प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र सिंह भगत के नेतृत्व में परिवहन मंत्री चंदन रामदास से मुलाकात की। उन्होंने जहां वेतन भुगतान का मामला उनके सामने रखा तो वहीं, चार डिपो का एकीकरण करने पर आपत्ति भी जताई। परिवहन मंत्री ने बताया कि एक माह का वेतन जल्द जारी हो जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि एकीककरण के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। यूनियन ने कई और मांगें मंत्री के सामने रखी।

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