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यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध होने के कारण बहुत से भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हैं. ऐसे में भारत सरकार इनको सुरक्षित वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है उत्तराखंड में यूक्रेन में फंसे नागरिकों के बारे में सरकार को उनके परिजनों से सूचनाएं जुटानी पड़ रही हैं। कुछ जुटा ली गई है. जबकि शासन और प्रशासन के स्तर पर पहले से विदेश जाने वाले नागरिकों के बारे में सूचनाओं के संकलन का कोई तंत्र होना चाहिए.
उम्मीद कर रहे हैं कि शासन और प्रशासन के स्तर पर सूचनाओं का कोई ऐसा तंत्र विकसित होगा, जहां यूक्रेन संकट जैसे हालात में सरकार को नागरिकों की सूचना के लिए उनके परिजनों का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा बल्कि अपने स्तर पर अपडेट सूचनाओं की मदद से युद्धस्तर पर मदद का अभियान शुरू कर दिया जाएगा।
यूक्रेन में फंसे नागरिकों को उत्तराखंड लाने के लिए सरकार विदेश मंत्रालय से संपर्क में है। बताया जा रहा है कि यूक्रेन से एक फ्लाइट मुंबई पहुंच चुकी है, जबकि दो फ्लाइट देर रात तक मुंबई पहुंची। तीनों फ्लाइट में उत्तराखंड के कितने नागरिक हैं, इसका अब तक कोई पता नहीं लग पाया है।
ऐसा पहली बार नहीं जब डाटा न मिलने से हुई परेशानी
मीडिया के इस प्रश्न पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं, सरकार बनेगी तो सूचनाओं का ऐसा तंत्र बनाया जाएगा। प्रश्न यही है कि अब तक ऐसा तंत्र क्यों विकसित नहीं हो पाया। जबकि उत्तराखंड देश के उन चुनिंदा राज्यों में से है, जो अपने भौगोलिक स्वरूप के कारण वर्ष भर प्राकृतिक आपदाओं का सामना करता है।
ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ जब किसी संकट से राज्य के नागरिकों को विदेश से लाने की परिस्थितियां बनीं। कोविड 19 महामारी में उत्तराखंड के सैकड़ों नागरिकों को विदेश से वापसी करनी पड़ी.
स्रोतों की कमी नहीं, जरूरत नहीं समझी गई
विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्र हों या नौकरीपेशा लोग या अन्य उत्तराखंडी, उनके बारे में सूचनाएं तैयार करने के लिए स्रोतों की कमी नहीं है। शासन स्तर पर ही सामान्य प्रशासन विभाग है, जहां छात्रों को विदेश में पढ़ने या नौकरी करने के लिए अपने शैक्षणिक दस्तावेजों को प्रमाणित कराने होते हैं। ऐसे नागरिकों का डाटा यहां तैयार हो सकता है। कचहरी, तहसील, पासपोर्ट कार्यालय, दूतावास और विदेश मंत्रालय से भी ऐसी सूचनाएं जुटाकर सूचनाओं के आंकड़े तैयार किए जा सकते हैं।
हर राज्य सरकार के पास विदेश में पढ़ने वाले या नौकरीपेशा नागरिकों के बारे में पूरी सूचना होनी चाहिए। यूक्रेन संकट से सबक लेने की जरूरत है। सरकार को विदेश में गए सभी उत्तराखंडियों के बारे में सूचनाओं का एक तंत्र बनाना चाहिए। एक वेबसाइट तैयार की जा सकती है, जिसमें उनके बारे में पूरा ब्योरा हो। – रविंद्र जुगरान, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा
विदेश में फंसे राज्य के नागरिकों के संबंध में प्रदेश सरकार और प्रशासन में इच्छाशक्ति और दूरदृष्टि साफ नजर आई है। उत्तराखंड आपदाओं से घिरा है। इससे निपटने की तैयारियां हमारे डीएनए में होनी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए राजनीतिक और प्रशासनिक नेतृत्व सबक लेगा और डाटा कलेक्शन के लिए कोई तंत्र विकसित करेगा। -अनूप नौटियाल, समाजसेवी