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रूस-यूक्रेन की लड़ाई गंभीर हो गई है। रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर किए गए हमले में बहुत से लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति का कहना है कि रूस के हमले में अब तक 137 लोग मारे जा चुके हैं।
कीव पर कब्जे की जंग अंतिम चरण में है। इस बीच अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने बड़ा दावा किया है। खुफिया एजेंसी के मुताबिक, रूस के 10 हजार से ज्यादा पैराट्रूपर्स कीव में दाखिल होने की तैयारी कर रहे हैं। ये पैराट्रूपर्स यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की को अगवा करने की योजना बना रहे हैं। उन्हें अगवा करने के बाद जेलेंस्की से शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करेंगे।
यूक्रेन की राजधानी कीव पर कब्जे की जंग एतिहासिक मोड़ पर आ गई है। कीव के बाहर रूसी और यूक्रेनी सैनिकों के बीच जबरदस्त जंग चल रही है। इस बीच खबर है कि रूसी टैंकों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए यूक्रेन ने अपने शहर के तीन पुलों को उड़ा दिया है।
राजधानी कीव में आज रूसी सेना ने छह बार मिसाइल अटैक किया। हालांकि इस दौरान एक रूसी विमान को यूक्रेन की सेना ने मार गिराया। जो कि एक रिहायशी बिल्डिंग पर आकर क्रैश हुआ और वहां आग लग गई।
रूस ने एक बार फिर से यूक्रेन के सैनिकों को हथियार डालने की चेतावनी दी है। हालांकि, यूक्रेन ने आत्मसमर्पण से इंकार कर दिया है। इसके बाद रूस ने राजधानी कीव पर एयर स्ट्राइक कर दी है। कीव के रिहायशी इलाकों में लगातार छह धमाके हुए हैं।
कीव पर कब्जे के लिए रूस के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रूसी फौज मिसाइल हमले कर रही है।
अमेरिकी रक्षा अधिकारियों की आशंका के बीच रूस की सेना कीव के और नजदीक पहुंच गई है। खबर आ रही है कि रूसी सैनिक कीव से महज 5 किलोमीटर दूर रह गए हैं। इस बीच यूक्रेन ने रूस पर साइबर अटैक कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, रूस की कई वेबसाइट ठप हो गई हैं।
क्रेन के राष्ट्रपति यूक्रेन में रूस के हमले में पहले दिन यूक्रेन में 137 लोगों की मौत हो गई। इसमें 10 से ज्यादा सैन्य अधिकारी शामिल हैं। जबकि, 316 लोग घायल भी हुए हैं। वलोडिमिर जेलेंस्की ने कहा कि उनके देश को रूस से लड़ने के लिए अकेला छोड़ दिया गया है। उन्होंने कहा कि हर कोई डर रहा है। हमारे साथ लड़ने के लिए कोई नहीं खड़ा है।
यूक्रेन और रूस के बीच में युद्ध का कारण
कई दिनों के तनाव व आशंकाओं के बाद आखिरकार रूस व यूक्रेन के बीच आज जंग छिड़ ही गई। अगले कुछ घंटों में यह निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकती है। हालांकि रूस की कीव पर कब्जा करने की तैयारी है. युद्ध ने यूरोप में महायुद्ध व तीसरे विश्व के हालात पैदा कर दिए हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर इस विवाद की जड़ क्या है?
यूक्रेन रूस का हिस्सा था
1.यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुड़ी है। 1991 तक यूक्रेन पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा था। रूस और यूक्रेन के बीच तनाव नवंबर 2013 में तब शुरू हुआ जब यूक्रेन के तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच का कीव में विरोध शुरू हुआ। जबकि उन्हें रूस का समर्थन था।
अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर देश छोड़कर भागना पड़ा था
यानुकोविच को अमेरिका-ब्रिटेन समर्थित प्रदर्शनकारियों के विरोध के कारण फरवरी 2014 में देश छोड़कर भागना पड़ा।इससे खफा होकर रूस ने दक्षिणी यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्जा कर लिया। इसके बाद वहां के अलगाववादियों को समर्थन दिया। इन अलगाववादियों ने पूर्वी यूक्रेन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2014 के बाद से रूस समर्थक अलगाववादियों और यूक्रेन की सेना के बीच डोनबास प्रांत में संघर्ष चल रहा था।
क्रीमिया को लेकर यूक्रेन और रूस में टकराव हुआ था
इससे पहले जब 1991 में यूक्रेन सोवियत संघ से अलग हुआ था तब भी कई बार क्रीमिया को लेकर दोनों देशों में टकराव हुआ। 2014 के बाद रूस व यूक्रेन में लगातार तनाव व टकराव को रोकने व शांति कायम कराने के लिए पश्चिमी देशों ने पहल की। फ्रांस और जर्मनी ने 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में दोनों के बीच शांति व संघर्ष विराम का समझौता कराया।
यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी।
हाल ही में यूक्रेन ने नाटो से करीबी व दोस्ती गांठना शुरू किया। यूक्रेन के नाटो से अच्छे रिश्ते हैं। 1949 में तत्कालीन सोवियत संघ से निपटने के लिए नाटो यानी ‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ बनाया गया था। यूक्रेन की नाटो से करीबी रूस को नागवार गुजरने लगी। अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के 30 देश नाटो के सदस्य हैं। यदि कोई देश किसी तीसरे देश पर हमला करता है तो नाटो के सभी सदस्य देश एकजुट होकर उसका मुकाबला करते हैं।रूस चाहता है कि नाटो अपना विस्तार न करे। राष्ट्रपति पुतिन इसी मांग को लेकर यूक्रेन व पश्चिमी देशों पर दबाव डाल रहे थे।
यूक्रेन पर हमला
आखिरकार रूस ने अमेरिका व अन्य देशों की पाबंदियों की परवाह किए बगैर गुरुवार को यूक्रेन पर हमला बोल दिया। अब तक तो नाटो, अमेरिका व किसी अन्य देश ने यूक्रेन के समर्थन में जंग में कूदने का एलान नहीं किया है। वे यूक्रेन की परोक्ष मदद कर रहे हैं, ऐसे में कहना मुश्किल है कि यह जंग क्या मोड़ लेगी। यदि यूरोप के देशों या अमेरिका ने रूस के खिलाफ कोई सैन्य कार्रवाई की तो समूची दुनिया के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है।