देहरादून । शहर के जाने माने उद्योगपति सुधीर विंडलास की एक और धोखाधड़ी सामने आई है। जिस जमीन की फर्जी तरीके से खरीद फरोख्त में मुकदमा हो चुका है उसे फिर से बेच दिया गया। यही नहीं रजिस्ट्री कार्यालय से दस्तावेज भी गायब करा दिए। लेकिन, मामला स्कैनिंग दस्तावेज से सामने आ गया। अब फिर तीसरा मुकदमा सुधीर विंडलास और उनके भाई समेत कुल 12 के खिलाफ राजपुर थाने में दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि अब उनके ऊपर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है। गौरतलब है पिछले दिनों उद्योगपति व रियल एस्टेट कारोबारी सुधीर विंडलास पर जमीन कब्जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था। आरोप है कि उन्होंने जोहड़ी गांव में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल को आवंटित भूमि पर अवैध चारदीवारी बनाकर उसे कब्जाया है।शिकायत सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल सोबन सिंह दानु निवासी जोहड़ी गांव ने की। दानु का कहना था कि उन्होंने युद्ध के दौरान अपना एक पैर खो दिया था। इसके बाद सरकार ने उन्हें जोहड़ी में जमीन आवंटित की थी। इसका दाखिल खारिज भी उन्हीं के नाम पर है, लेकिन इससे लगती हुई कुछ सरकारी संपत्ति भी है। यहां पर प्रशासन ने बाउंड्री वाल कराई थी, लेकिन सुधीर विंडलास और उनके मैनेजर प्रशांत ने यह दीवार तोड़ दी। इसके बाद अपनी दीवार बना ली और दानू की संपत्ति भी कब्जा ली। लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) दानू ने पुलिस को बताया कि सुधीर विंडलास ने यहां पर फर्जी तरीके से कई संपतित्तयां अपने नाम की थीं।इसके अलावा क्षेत्र में सरकारी भूमि भी कब्जाई हैं। मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने दाखिल खारिज रद्द करा दिए।
20 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से ड्राइवर के नाम कराया था
सुधीर विंडलास ने दून पैरा मेडिकल कॉलेज के मालिक संजय चौधरी के परिवार की 20 बीघा जमीन को फर्जी तरीके से अपने ड्राइवर के नाम करा दिया था। वर्ष 2010 में हुए इस फर्जीवाड़े में एसआईटी ने जांच की और मुकदमे की संस्तुति हुई। लेकिन, कई सालों से मुकदमा दर्ज नहीं हुआ था। पिछले दिनों पुलिस महानिदेशक को जब इसकी शिकायत हुई तो उनके निर्देश पर राजपुर थाने में जालसाजी के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद एक पूर्व सैन्य अधिकारी की शिकायत पर उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया।
इस बीच पता चला कि इस जमीन को लेकर सुधीर विंडलास ने अपने भाई प्रदीप विंडलास के साथ मिलकर एक और जालसाजी की है। दरअसल, संजय चौधरी के परिवार ने इस जमीन को गुप्ता परिवार से खरीदा था। गुप्ता परिवार ने 1983 में इस जमीन को गंगबहादुर नाम के व्यक्ति से खरीदा था। पता चला कि सुधीर विंडलास ने इस जमीन को जून 2021 में बैनामा कराया है। इसके लिए उसने गंगबहादुर (अब इस दुनिया में नहीं हैं) और गुप्ता परिवार के बीच हुई खरीद के दस्तावेज ही गायब करा दिए। इसके बाद गंगबहादुर के वारिसों से इस जमीन के खुद खरीदना दर्शाया।
दस्तावेज गायब होने से इस तरह लगा कि संजय चौधरी के परिवार को यह जमीन कभी बेची नहीं गई है। इसकी शिकायत उन्होंने पिछले साल डीआईजी रेंज कार्यालय में भी की। लेकिन, यहां विंडलास खुद फंस गए। पुलिस और संजय चौधरी की पड़ताल में गुप्ता और गंगबहादुर के बीच हुई इस जमीन के खरीद के दस्तावेज स्कैनिंग किए हुए मिल गए। इस तरह पूरे साक्ष्य पुलिस को लाकर दिए गए तो पुलिस भी हैरत में पड़ गई। पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में एक और मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। इन आदेशों के बाद अब सुधीर विंडलास, प्रदीप विंडलास, गंगबहादुर के बेटे अमरवीर लामा, रणवीर लामा, अनूप लामा, बेटी जयमाया, निर्मला गुरुंग, रोमा, ऊषा थापा, पुष्पा लामा, मधु थापा, सुखबीर लामा की पत्नी कविता लामा, किशोर थापा की बेटी हिना थापा और सुखबीर लामा के बेटे सूरज लामा के खिलाफ जालसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मुदकमा दर्ज कराया है।
पांच करोड़ की जमीन केवल तीन लाख में
लोगों का कहना है कि इस जमीन की बाजारी कीमत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसका सर्किल रेट के हिसाब से ही दाम साढ़े पांच करोड़ रुपये हैं। लेकिन, यहां उन्होंने खरीद में भी गलती कर दी। गलती यह हुई कि सर्किल रेट के हिसाब से स्टांप शुल्क तो पूरा जमा किया, लेकिन इसकी कीमत केवल साढ़े तीन लाख रुपये ही दर्शाई। इस बात में भी विंडलास घिर गए।
सुधीर विंडलास के खिलाफ यह तीसरा मुकदमा दर्ज हो गया है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी तय मानी जा रही है। बताया जा रहा है कि उन्हें हाईकोर्ट से भी स्टे नहीं मिला है। ऐसे में अब गिरफ्तारी से बचने को उन्होंने नेता से लेकर अफसरों तक के यहां गुहार लगाई है।