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आज के समय में शायद ही कोई व्यक्ति हो जो न चाहता हो कि उसका टैक्स बच जाए. लेकिन कागजी कार्रवाई का झंझट ऐसा होता है कि हिसाब लगाना मुश्किल होता है कि कहां का खर्च कहां दिखाएं और कैसे टैक्स में छूट लें. कई लोग तो ऐसे मिल जाएंगे जो टैक्स डिडक्शन का क्लेम इसलिए नहीं कर पाते क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि निवेश की प्लानिंग कैसे करनी है. कई नौकरी पेशा वाले लोग अपनी कंपनी को निवेश का हिसाब नहीं देते, जिससे उन्हें टैक्स फाइलिंग का फायदा नहीं मिल पाता, जबकि आईटीआर फाइलिंग का काम देखें तो यह पहले से आसान हुआ है. अब तो घर बैठे ऑनलाइन यह काम निपटा सकते हैं और टैक्स बचा सकते हैं. आइए जानते हैं टैक्स बचाने के कुछ टिप्स. इसमें वे निवेश शामिल हैं जिनसे आप टैक्स बचा सकते हैं.
5 साल की एफडी
यह सबसे आसान तरीका है टैक्स बचाने का. 5 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर टैक्स की छूट मिलती है. अगर बैंक में आपका केवाईसी हुआ है तो इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से 5 साल की एफडी खोल सकते हैं. नेट बैंकिंग के जरिये पेमेंट को ऑटो मोड में कभी न डालें क्योंकि इससे 5 साल बाद आपकी एफडी फिर रिन्यू हो सकती है. ऑटो रिन्यू में नहीं डालने का एक फायदा यह भी होगा कि मैच्योरिटी का पैसा आपके बैंक अकाउंट में आ जाएगा. एफडी पर मिला ब्याज कमाई में आता है, इसलिए टैक्स लगेगा. अगर टैक्स बचाना चाहते हैं तो 5 साल की एफडी ले सकते हैं जिसका लॉक-इन पीरियड 5 साल होगा. इस बीच पैसा नहीं निकाल सकते. अगर 5 साल से कम के लिए निवेश करते हैं टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा.
टर्म लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी पर टैक्स छूट ले सकते हैं. यह एक ऐसी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपनी मृत्यु बाद अपने परिवार के भविष्य की आर्थिक जरूरतों या खर्चे को पूरा कर सकता है. यह पॉलिसी सीमित अवधि के लिए होती है जिसका प्रीमियम काफी कम होता है. लेकिन इस पर टैक्स छूट मिलता है जिससे लोग इसमें निवेश कर सकते हैं. इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम के पेमेंट पर पॉलिसी होल्डर को छूट मिलती है.
यदि दुर्भाग्यवश पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु हो जाती है, तो क्लेम अमाउंट पर सेक्शन 10(10D) के तहत 100% छूट मिलती है. 1.5 लाख रुपये प्रतिवर्ष तक के लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 80सी के तहत छूट मिलती है.
होम लोन के मूलधन पर छूट
होम लोन के मूलधन पर टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. इस साल बजट में सरकार ने इसका ऐलान किया था. ऐलान के मुताबिक, किफायती घरों की खरीद के लिए होम लोन पर पेमेंट किए गए ब्याज पर 1.5 लाख रुपये की टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं. जिन लोगों ने हाउस लोन लिया है
, वे 31 मार्च 2022 तक 3.5 लाख रुपये की कटौती का लाभ उठा सकते हैं. यह कटौती इनकम टैक्स की धारा 80ईईए के तहत उपलब्ध है जिसमें होल लोन के ब्याज पर 1.5 लाख रुपये के इनकम टैक्स का लाभ मिलता है. होम लोन पर यह टैक्स लाभ धारा 24(बी) के तहत 2 लाख रुपये की मौजूदा छूट से अलग है.
बच्चों की पढ़ाई पर टैक्स लाभ
बच्चों की पढ़ाई पर होने वाले खर्च में टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. हालांकि यह सिर्फ फीस के लिए होती है और धारा 80सी के तहत छूट मिलती है.
यहां ध्यान रखना होगा कि यह लाभ सिर्फ ट्यूशन फीस के लिए है, बच्चों के एडमिशन जैसे भारी-भरकम खर्च के लिए नहीं. बच्चों की पढ़ाई के लिए जो स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी की फीस जाती है उसके लिए यह टैक्स छूट मिलती है. यह भी याद रखें कि बच्चा अगर भारत में पढ़ता है, तभी छूट मिलेगी, विदेश में पढ़ने वाले बच्चे की ट्यूशन फीस पर नहीं. परिवार में केवल 2 बच्चों की पढ़ाई के लिए ही यह छूट मिलती है. एचयूएफ को बच्चों की पढ़ाई के लिए टैक्स छूट नहीं मिलती है.
पीपीएफ में सुविधा
पीपीएफ को कई मायनों में एफडी से अच्छा माना जाता है. इस खाते पर इनकम टैक्स की धारा 80सी
के तहत टैक्स छूट भी मिलती है. पीपीएम खाते में मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि पूरी तरह टैक्स फ्री होती है. पीपीएफ 15 साल की स्कीम है जिसमें 5 साल का लॉक-इन पीरियड है. इससे पहले पैसा नहीं निकाल सकते, न ही बंद कर सकते हैं. साल में 12 बार से अधिक पैसे पीपीएफ में जमा नहीं कर सकते. यह भी ध्यान रखना होगा कि महीने के 5 तारीख से पहले पैसा जमा कर दें, तभी महीने का ब्याज मिलेगा.
सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में निवेश
टैक्स बचाने का यह भी अच्छा साधन है. अगर किसी व्यक्ति ने नौकरी से रिटायर होने के बाद इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ लेना है तो सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम में
पैसा लगा सकते हैं. इस योजना में बैंक की एफडी से अधिक ब्याज मिलता है. साथ ही निवेश करने वाले व्यक्ति को इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत हर साल 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलती है.
इंश्योरेंस प्रीमियम
इंश्योरेंस प्लान खरीदने पर भी टैक्स छूट का लाभ मिलता है. एनडोमेंट प्लान, होल लाइफ प्लान, मनी बैक, टर्म इंश्योरेंस और यूलिप जैसी पॉलिसी खरीदकर टैक्स बचाने का लाभ ले सकते हैं. इन पॉलिसी के प्रीमियम के भुगतान पर 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. हालांकि साल में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर ही यह लाभ मिलता है. इसी तरह लाइफ इंश्योरेंस में इन्युटी प्लान लेते हैं तो 50सी के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं.
. इन पॉलिसी के प्रीमियम के भुगतान पर 80सी के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं. हालांकि साल में 1.5 लाख रुपये के निवेश पर ही यह लाभ मिलता है. इसी तरह लाइफ इंश्योरेंस में इन्युटी प्लान लेते हैं तो 50सी के तहत टैक्स छूट ले सकते हैं. 80सीसीसी के तहत 1.5 लाख रुपये टैक्स डिडक्शन की सीमा है.
सुकन्या समृद्धि योजना
टैक्स बचाने के लिए यह योजना भी शुरू कर सकते हैं. 10 साल की बेटी के नाम यह खाता खोल सकते हैं. परिवार में अधिकतम दो बेटियों के नाम यह
खाता खोल सकते हैं. 80सी के तहत सुकन्या समृद्धि में निवेश करने पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है. हर साल 1.5 लाख रुपये जमा करते हैं तो टैक्स में छूट मिलती है. इस खाते में एक साल में अधिकतम 1.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं. इसका मैच्योरिटी पीरियड 21 साल है.
एनपीएस का फायदा
नेशनल पेमेंट सिस्टम यानी कि एनपीएस भी टैक्स बचाने का अच्छा जरिया है. एक साथ तीन सेक्शन में एनपीएस से टैक्स छूट का लाभ ले सकते हैं. सेक्शन 80सीसीडी (1) के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये के निवेश पर छूट मिलती है. इसी में सेक्शन 1बी में 50 हजार रुपये अतिरिक्त छूट का
लाभ मिलता है. सेक्शन 80सीसीडी (2) के तहत एनपीएस अकाउंट में कंपनी की तरफ से जो योगदान होता है, उसमें 10 फीसद तक छूट मिलती है.
एचआरए पर भी ले सकते हैं छूट
इनकम टैक्स की धारा 10(13ए) के तहत एचआरए यानी कि हाउस रेंट अलाउंस पर टैक्स छूट ली जा सकती है. एचआरए में हुई आमदनी पर वही आदमी टैक्स छूट ले सकता है जिसकी सैलरी में एचआरए शामिल हो और वह किराये के मकान में रहता हो. यहां ध्यान देना होगा कि अपना रोजगार करने वाले व्यक्ति को एचआरए में टैक्स छूट का लाभ नहीं मिलता.