टोल में उत्तराखंड रोडवेज को लाखों की चपत, उत्तराखंड परिवहन पहले से ही करोड़ों के घोटे और आर्थिक तंगी से है जूझ रहा.

Rajender Singh for NEWS EXPRESS INDIA

करोड़ों के घाटे में चल रहे और आर्थिक तंगी झेल रहे रोडवेज के अधिकारियों की लापरवाही ने मंगलवार को प्रबंधन को लाखों रुपये की चपत लगा दी। बसों में टोल के लिए लगाए गए फास्टैग का खाता खाली हो गया व इस वजह से सभी टोल प्लाजा पर रोडवेज बसों को दोगुना टोल देना पड़ा। सुबह करीब दस बजे से रात तक यह सिलसिला चलता रहा और चालक-परिचालक परेशानी झेलते रहे। वहीं, रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन ने इसे तकनीकी दिक्कत बताया। उन्होंने कहा कि फास्टैग के खाते से जो रकम कंपनी को ट्रांसफर की जा रही थी, वह रिवर्ट हो रही।

कंपनी के सर्वर में ही तकनीकी गड़बड़ी थी एवं इसी कारण बसों का दोगुना टोल लगा। रकम वापस करने के लिए रोडवेज प्रबंधन ने पेटीएम कंपनी को पत्र भेजा है।

टोल प्लाजा पर फास्टैग अनिवार्य होने के बाद रोडवेज मुख्यालय ने अपनी सभी बसों पर फास्टैग लगवा दिए थे। यह पीटीएम के जरिये लिए गए और फास्टैग का खाता भी अलग कर दिया गया। एक अधिकारी सिर्फ इस खाते की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया है। उसकी जिम्मेदारी रहती है कि यह खाता कभी खाली न हो, क्योंकि इस सूरत में बसों को दोगुना टोल देना पड़ता है।

यह खाता मंगलवार सुबह खाली हो गया और किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसकी वजह से दून-दिल्ली, दून-हल्द्वानी मार्ग के साथ ही हरिद्वार-रुड़की व दून-हरिद्वार और दून-सहारनपुर मार्ग पर जो भी टोल प्लाजा हैं, वहां बसों ने दोगुना टोल दिया।

दिल्ली मार्ग पर दौराला मेरठ टोल प्लाजा पर बस का टोल 310 रुपये है, लेकिन उत्तराखंड की रोडवेज बसों से 620 रुपये टोल दिया। दून-हल्द्वानी मार्ग पर रामपुर में टोल प्लाजा पर 405 रुपये शुल्क है लेकिन वहां बसों को 810 रुपये टोल देना पड़ा। दून-हरिद्वार मार्ग पर लच्छीवाला टोल व हरिद्वार-रुड़की मार्ग पर बहादराबाद के टोल प्लाजा पर भी दोगुना टोल लगा। इस वजह से रोडवेज को एक ही दिन में लाखों रुपये की चपत लग गई। चालक-परिचालकों ने जब अपने डिपो में शिकायत की तो रोडवेज प्रबंधन हरकत में आया और टोल के खाते में रकम डाली गई। हालांकि, रोडवेज प्रबंधन इसे तकनीकी गड़बड़ी बताकर पल्ला झाड़ रहा है।

रोडवेज के फास्टैग का खाता छह माह में तीसरी बार खाली होने से बसों को दोगुना टोल चुकाना पड़ा। इससे पूर्व नौ अप्रैल व फिर 27 अक्टूबर को भी यही परेशानी हुई थी। प्रबंधन ने तकनीकी गड़बड़ी बताते हुए तब भी पल्ला झाड़ लिया था।

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