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देहरादून के कैंट बोर्ड में सिंगल यूज प्लास्टिक का ऐसा अनूठा उपयोग किया गया है, जिसकी देशभर में तारीफ हो रही है। इसके तहत पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलों से बागवानी में सजावट करने के सामान बनाए गए हैं। कैंट बोर्ड देहरादून की ओर से एक ओर जहां कूड़ा निस्तारण के लिए प्रेमनगर और गढ़ी डाकरा में प्लांट लगाया है। वहीं दूसरी और सिंगल प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के कैंट बोर्ड ने एक अनूठी पहल की है। ईको ब्रिक्स के माध्यम से सिंगल प्लास्टिक के उपयोग को कम करने की अपनी अनूठी पहल के लिए देहरादून कैंट बोर्ड को राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया है। अमृत महोत्सव स्वच्छ श्रेणी सर्वेक्षण 2020-21 में कैंट को इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। बीस नवंबर शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में कैंट बोर्ड देहरादून को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। सब एरिया जीओसी ले. जनरल संजीव खत्री ने इसके लिए कैंट बोर्ड को बधाई दी है।
कैंट बोर्ड की ओर से प्लास्टिक के प्रयोग से ईको ब्रिक्स का निर्माण किया जा रहा है। साथ ही मिश्रित अकार्बनिक कचरे को कैंट बोर्ड बोतलों में भरकर उन्हें सजावट के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है। कैंट बोर्ड की इस अनूठी पहल को देशभर में सराहा जा रहा है।
इस पहल के लिए कैंट बोर्ड देहरादून को ईंटो और ठोस अपश्ष्टि प्रबंधन उपचार संयंत्र में नवाचार और सर्वोत्तम प्रथाओं के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए चुना गया है।
इन ब्रिक्स बनाने के लिए प्लास्टिक की खाली बेकार बोतलों की जरूरत होती है। इन बोतलों में प्लास्टिक वेस्ट भरा जाता है और एक बार संकुचित किया जाता है। ऐसा करने से वह ठोस और मजबूत हो जाता है।
इन्हें ईंटों की जगह इस्तेमाल किया जाता है। अभी तक कैंट बोर्ड प्लास्टिक की करीब साढ़े चार हजार बोतल और छह हजार किलो प्लास्टिक कचरा इस्तेमाल कर चुका है। इससे कैंट जूनियर हाईस्कूल प्रेमनगर और ब्लूमिंग बर्ड स्कूल गढ़ी कैंट में पेड़ का चबूतरा, बेंच व स्टूल आदि तैयार किए गए हैं।