Gaurav Agarwal KI REPORT
एंकर :- देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच कई सीजनल एलर्जी और इन्फेक्शन समेत कई अन्य बीमारियां सामने आ रही हैं । यूपी के कुछ शहरों में कई बच्चे रहस्यमयी बुखार से तप रहे हैं । अचानक बुखार की इस कदर बढ़ जाता है कि सांस लेना भी दूभर हो जाता है । बीते 10 दिनों में ही 100 से ज्यादा मौत की खबरें सामने आ चुकी हैं । इन मौतों के लिए स्क्रब टायफस को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । मथुरा , फिरोजाबाद , मैनपुरी और आगरा के बाद अब यह बीमारी मेरठ में भी पहुंच गई है । मेरठ में एक महिला में इस बीमारी की पुष्टि हुई है । इस महिला की जांच गाजियाबाद में हुई थी और यहां रिपोर्ट में स्क्रब टायफस की पुष्टि हुई है । भले ही यह वायरल बीमारी कोरोनावायरस है लेकिन इसके लक्षण कोविड-19 से मिलते जुलते हैं । असावधानी बरतने पर कोरोनावायरस की तरह स्क्रब टायफस का कोई इलाज नहीं है । ऐसे में बरसात के मौसम में इस बीमारी को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है । राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल ( एनएचपी ) के अनुसार स्क्रब टायफस भारत के कई हिस्सों में फैल चुका है जिसमें जम्मू से लेकर नागालैंड तक उप हिमालय बेल्ट भी शामिल है । 2003 से 2004 और 2007 में हिमाचल प्रदेश , सिक्किम , दार्जिलिंग में स्क्रब टायफस के फैलने की खबरें भी सामने आई थी । सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार स्क्रब टायफस बीमारी ऑरंटिया सुसुगामुशी नामक जीवाणु से होती है । यह बैक्टीरिया ट्रॉम्बी क्यूलिडे माइट्स यानी दीमक के अंदर मौजूद होता है जिसे रेड – माइट्स या स्क्रब इच माइट भी कहा जाता है । मतलब यह एक प्रकार का संक्रमित घुन , छोटे कीट , गिलहरी और चूहे के काटने से होती है । पशुओं के मल मूत्र में बैठने वाले कीटों खराब भोज्य पदार्थों में लगे कीड़ों के कारण भी यह बीमारी फैल सकती है । स्क्रब टायफस एक जीवाणु जनित संक्रमण है समय पर इलाज ना मिले तो यह बीमारी बढ़ सकती है और लोगों मौत की बड़ी वजह बन जाती है । वही स्वास्थ विभाग अधिकारी इस जानलेवा बीमारी के फैलने की वजह चूहों को मां रहें हैं ।
स्क्रब टायफस के लक्षणों में बुखार और ठंड लगना शामिल है । इसके बाद से दर्द शरीर में दर्द और मांसपेशियों में दर्द जैसे परेशानियां होती है । जैसा कि कोविड-19 के मामलों में होता है । हालांकि स्क्रब टायफस रोगी कोविद 19 के कई मामलों में विपरीत गंध और स्वाद बना रहता है । कुछ रोगियों में जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है जो चिकन गुनिया का लक्षण है । शरीर में जिस स्थान पर कीड़े ने काटा होता है वहां गहरे रंग का निशान पड़ जाता है । कुछ समय बाद उस स्थान पर पपड़ी जमना त्वचा में लाल रंग और चकत्ते पड़ना इस बीमारी के लक्षण माने जाते हैं । डॉक्टर का कहना है कि स्क्रब टायफस बीमारी के लक्षण काफी हद तक चिकनगुनिया से मेल खाते हैं और इससे बचने के लिए कपड़े और बिस्तर आदि पर पर्मेथ्रिन या बैंजली बैंजोलेट का छिड़काव करना चाहिए । साथ ही साथ बदलते हुए मौसम में पूरी एहतियात बरतते हुए पूरे बाजू के कपड़े पहनने समेत अन्य सावधानियां बरतनी चाहिए । साथ ही स्वास्थ विभाग अधिकारियों कस कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए अभियान चलाया जा रहा है ।
डॉक्टर अशोक तालियाना