VS CHAUHAN KI REPORT
अपराधी कितना भी शातिर हो लेकिन अपराध करते वक्त कुछ ना कुछ सुराग छोड़ देता है यह दूसरे शब्दों में यह कहें कि कुछ ना कुछ सुराग छूट जाता है ऐसा ही ट्रेन के अंदर हत्या का एक मामला 2018 में घटित हुआ था. जिसकी हत्या हुई थी. व्यक्ति अपने परिवार से मिलने जा रहा था. होली का मौका था वह व्यक्ति मजदूरी करता था. होली के मौके पर अपने परिवार से मिलने अपने घर जा रहा था उसे क्या पता था. कि वह दुनिया से विदा होने जा रहा था. उस रात ट्रेन अपनी रफ्तार से दौड़ती रही. ट्रेन के अंदर एक हत्या हो गई.
उसी हत्या के एक मामले में अपर जिला जज चतुर्थ चंद्रमणि राय की अदालत ने आरोपित को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोषी पर पांच हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है।शासकीय अधिवक्ता जेके जोशी ने बताया कि दो मार्च 2018 को हरिद्वार रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के कोच में एक व्यक्ति का शव बरामद हुआ, जो खून से लथपथ था। मृतक की पहचान रमेश महतो उर्फ रामेश्वर निवासी ग्राम अमोहा मजार, बेतिया, पश्चिमी चंपारण (बिहार) के रूप में हुई थी।
प्रतीकात्मक चित्र
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी गला घोंटकर हत्या की गई। इस मामले में जीआरपी हरिद्वार ने मृतक के स्वजन की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। सबसे पहले मृतक के मोबाइल की काल डिटेल खंगाली गई। उससे पता चला कि आखिरी काल इरशाद अहमद निवासी नजीबाबाद (उत्तर प्रदेश) के घर की गई थी। पुलिस ने इरशाद को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उसने रमेश की हत्या करना कबूल लिया .
प्रतीकात्मक चित्र
मोबाइल ने पहुंचाया सलाखों के पीछे
रमेश ऋषिकेश में चंद्रभागा पुल के पास रहकर मजदूरी करता था। दो मार्च 2018 को होली थी, उसी रोज वह ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से रायवाला के लिए हरिद्वार-ऋषिकेश पैसेंजर ट्रेन में सवार हुआ। उसी ट्रेन में सवार इरशाद ने उसकी हत्या कर मोबाइल समेत अन्य सामान लूट लिया। इसके बाद इरशाद ने रमेश के मोबाइल से अपने घर पर फोन किया, इसी काल ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। हत्या की घटना का पता तब चला, जब ट्रेन हरिद्वार पहुंची और जीआरपी ने ट्रेन की चेकिंग की। दूसरे दिन कुछ लोग रमेश की तलाश में हरिद्वार रेलवे स्टेशन पहुंचे और शव की पहचान की।
जैकेट पर मिला बाल बना अहम सबूत
शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मोबाइल की काल डिटेल खंगालने के बाद पुलिस को सुराग मिले और इरशाद ने अपराध कबूल भी कर लिया, मगर अदालत में उसे दोषी साबित करने के लिए पुलिस के पास कोई पुख्ता सबूत नहीं था। ऐसे में मृतक के पास मिला जैकेट महत्वपूर्ण साबित हुआ। जैकेट में कुछ बाल चिपके थे। डीएनए टेस्ट में उक्त बाल इरशाद के होने की पुष्टि हुई। यही साक्ष्य इरशाद के दोषी होने का आधार बना। अभियोजन पक्ष से 20 गवाह पेश हुए।