VSCHAUHAN KI REPORT
सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से जारी नए नियमों के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति जिसने किसी भी सरकारी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर से टेस्ट पास किया है, उसे लाइसेंस के लिए अप्लाई करते वक्त आरटीओ में होने वाले ड्राइविंग टेस्ट से मुक्त रखा जाएगा। यानी उसे आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट नहीं देना पड़ेगा। उसका ड्राइविंग लाइसेंस प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के सर्टिफिकेट पर ही बना दिया जाएगा।
ड्राइविंग लाइसेंस के नए नियम एक जुलाई से लागू हो जाएंगे, जो उन निजी ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर्स को ही काम करने की इजाजत देंगे, जिन्हें राज्य परिवहन प्राधिकरण(एसटीए)की ओर से या फिर केंद्र सरकार की तरफ से मान्यता दी गई हो। इन प्रशिक्षण केंद्रों की मान्यता पांच साल के लिए होगी, इसके बाद उन्हें सरकार से नवीनीकरण करवाना होगा।
देहरादून में कई संस्थान, नियमों पर खरा उतरना चुनौती
आरटीओ प्रशासन दिनेश चंद्र पठोई के मुताबिक, दून में कई संस्थानों को प्रशिक्षण के लिए मान्यता मिली हुई है। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि वह नए नियमों के हिसाब से कितना फिट बैठते हैं। दोपहिया, तिपहिया और हल्के मोटर वाहनों के केंद्र के पास कम से कम एक एकड़ और मध्यम व भारी वाहनों या ट्रेलरों के केंद्र के पास कम से कम दो एकड़ जमीन होनी चाहिए। ट्रेनर को कम से कम 12वीं पास होना और पांच साल का अनुभव जरूरी है।
दो हिस्सों में होगा प्रशिक्षण
मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है। हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए, पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम चार हफ्ते होगी जो 29 घंटों तक चलेगी। इन ड्राइविंग सेंटरों के पाठ्यक्रम को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। एक हिस्सा थ्योरी का होगा और दूसरा हिस्सा प्रैक्टिकल का होगा। लोगों को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, चढ़ाई और डाउनहिल ड्राइविंग वगैरह पर गाड़ी चलाने के लिए सीखने में 21 घंटे खर्च करने होंगे। थ्योरी हिस्सा पूरे पाठ्यक्रम के आठ घंटे में शामिल होगा। इसमें रोड शिष्टाचार को समझना, रोड रेज, ट्रैफिक शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता को समझना शामिल होगा।