अपने ही देश के किसी राज्य में वीजा की जरूरत होती है. ऐसा सुनना अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. हमारे देश में एक ऐसा राज्य है, कैसी हैं वहां की परंपराएं ? जानकारी के लिए पढ़िए पूरी खबर. आगे भी आपको नागालैंड के बारे में कुछ रोचक जानकारियां देंगे.

VSCHAUHAN ki Report

अपने ही देश के किसी राज्य में वीजा की जरूरत होती है. ऐसा सुनना अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है. हमारे देश में एक ऐसा राज्य है, जहां जाने के लिए आम नागरिकों को वीजा (इनर लाइन परमिट) की जरूरत होती है. हम जिस राज्य की बात कर रहे हैं, वह नागालैंड है, जहां बिना अनुमति के जाना मना है. यहां केवल स्थानीय लोग ही बिना किसी रोक-टोक के जा सकते हैं.

जम्मू-कश्मीर में भी पहले इनर लाइन परमिट लागू थी, लेकिन श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा आंदोलन करने के जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया गया. लेकिन नागालैंड में यह नियम अबतक लागू है. आज भी ये मामला राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी बहस का विषय बना हुआ है

भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्निनी उपाध्याय हाल ही में इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. लोकसभा में बीते 23 जुलाई को दो सांसदों ने भी इनर-लाइन परमिट सिस्टम का मुद्दा उठाया था.

इस मुद्दे को लेकर सरकार ने कहा, ‘भारतीय नागरिकों को मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश और दीमापुर को छोड़कर नगालैंड में प्रवेश करने के लिए इनर लाइन परमिट की जरूरत होती है. फिलहाल दीमापुर के लिए इनर लाइन परमिट लागू करने को लेकर राज्य सरकार के प्रस्ताव पर अभी विचार-विमर्श किया जा रहाहै

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क्या है इनर लाइन परमिट?

भारत में फिलहाल सिर्फ नागालेंड में ही इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू है. बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेग्यूलेशन्स, 1873 के तहत एक सीमित अवधि के लिए किसी संरक्षित, प्रतिबंधित क्षेत्र में दाखिल होने के लिए अनुमति देता है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में नौकरी या फिर किसी भी प्रकार के पर्यटन के लिए जाने के लिए भी अनुमति लेनी जरूरी होती है.

Nagaland

इस क्षेत्र के बारे में बताया जाता है कि यहां आजादी से पहले ब्रिटिश सरकार ने इनर लाइन परमिट सिस्टम लागू किया था. ऐसा उन्होंने इसलिए किया था क्योंकि नागालैंड क्षेत्र में प्राकृतिक औषधी और जड़ी-बूटियों का प्रचुर भंडार था. जिसे ब्रिटिश सरकार ब्रिटिश भेजा करती थी. इन औषधियों पर किसी दूसरों की नजर न पड़े, इसके उन्होंने नागालैंड में इनर लाइन परमिट की शुरुआत की थी. ताकि इस इलाके से संपर्क करने के लिए लोगों को सरकार की अनुमति लेना पड़े. अब आजादी के बाद भी इधर इनर लाइन परमिट सिस्टम जारी रखा गया है.

अब इसके पीछे तर्क दिया जाता है कि नागा आदिवासियों की कला-संस्कृति, रहन-सहन, बोलचाल औरों से काफी अलग है. ऐसी स्थिति में इनके संरक्षण के लिए इनर लाइन परमिट होना जरूरी है. ताकि बाहरी लोग इधर की संस्कृति को प्रभावित न कर सकें.

नागालैंड के इतिहास में झांकने पर हम देखते हैं कि नागा जनजातियों का इतिहास अस्पष्ट है। नागालैंड का इतिहास यह भी बताता हैं कि यहाँ कि जनजातियों के बीच भले ही आन्तरिक रूप से संघर्ष चलते रहे लेकिन एक साथ रहने की अनोखी विशेषता हैं। वक्त के साथ बदलते माहोल में ईस्ट इंडिया कंपनी ने बहुत लंबे समय तक इस क्षेत्र को अपने अधीन करने की नाकाम कोशिश की लेकिन नागा जनजातियों के सामने वह सफल नही हो सके। भारत को आजादी मिलने के बाद भी यहाँ के आदिवासियों और सरकार के बीच संघर्ष जारी रहा जिसके चलते 1 दिसंबर 1963 को इस क्षेत्र को एक पूर्ण राज्य का दर्जा दे दिया गया।

नागालैंड में शादी कैसे होती है

नागालैंड में शादी कैसे होती हैं और नागालैंड में शादी से सम्बंधित परम्पराए कैसे निभाई जाती हैं ? यह बात हर भारतवासी जानने के लिए आतुर रहता है। क्योंकि नागालैंड में अलग – अलग जनजातियों द्वारा अलग – अलग तरह की रस्मे निभाई जाती हैं। यहाँ होने वाले विवाह में नागा विवाह के समय कुछ अटूट परंपराओं को निभाते हैं जिनके पूरा होने के उपरांत ही विवाह सम्पन माना जाता हैं अन्यथा उस विवाह को असफल घोषित कर दिया जाता हैं। एक ही समुदाए के लड़के और लड़की के बीच रिश्ते को स्वीकार नही किया जाता हैं। अंगामी समुदाय के सदस्य फावड़े का गला घोटने जैसे रस्मो को निभाते हैं।

मोंग्सेन समुदाए में जोड़े को एक व्यापार अभियान पर भेजा जाता हैं। अगर उस जोड़े द्वारा किया गया व्यापार लाभदायक होता हैं तो उनके रिश्ते को मंजूरी दी जाती हैं अन्यथा रिश्ते को अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। इसके अलावा भी अन्य कई प्रथाए हैं जो अलग – अलग जनजातियों द्वारा अलग – अलग तरीके से की जाती हैं

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