वीएस चौहान की रिपोर्ट
आज कल मीडिया पर बड़ी चर्चा हो रही है कि उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव के परिणाम के बाद (जिसमें बीजेपी की भारी पराजय हुई है) योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहेंगे या नहीं? यह भी चर्चा हो रही है की कोविड-19 महामारी, किसान आंदोलन और बढ़ती बेरोज़गारी के कारण बीजेपी फ़रवरी 2022 के यूपी और अन्य राज्यों में विधान सभा चुनाव में जीतेगी की नहीं? हर एक राजनीतिक दल का दूसरे राजनीतिक दल पर आरोप लगाना सामान्य बात है यह सब बातें निरर्थक हैंI
कौन सा राजनीतिक दल आम आदमी के लिए बेहतर सुविधा बेहतर जीवन स्तर देने की गारंटी लेता है एक दल का दूसरे दल पर आरोप लगाकर आम आदमी का तो कोई भला नहीं होगा .हर राजनैतिक प्रणाली और हर राजनैतिक कार्यवाही की एक ही परख और कसौटी है, और वह है कि क्या उससे आम आदमी का जीवन स्तर बढ़ रहा है की नहीं? यानी कि लोगों को रोज़गार, पौष्टिक भोजन, स्वास्थ लाभ, अच्छी शिक्षा आदि मिल रहा कि नहीं? हमारे समाज में अपराध घट रहा है या नहीं. योगी, यूपी सीएम रहें या न रहें, बीजेपी सत्ता में रहे या न रहे, इससे आम आदमी के जीवन स्तर पर क्या असर होगा? कुछ भी नहीं। गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, कुपोषण आदि वैसे के वैसे बने रहेंगे, इसलिए यह चर्चा फिजूल की है।
बुद्धिजीवियों के अनुसार मुख्य सवाल है कि कैसे आम आदमी के जीवन स्तर का मौलिक परिवर्तन हो और उसे बेहतर जिंदगी मिले? समाज से अपराध कैसे खत्म होगा .जानकारों की माने यह संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत नहीं हो सकता बल्कि इसके लिए एक ऐतिहासिक क्रांतिकारी जन संघर्ष करना होगा। भारत की जनता के सामने और कोई विकल्प नहीं है। क्योंकि जब भी कोई भी राजनीतिक पार्टी सत्ता में आती है.. बड़े-बड़े वादे कर करके आती है लेकिन सत्ता का सुख मिलने पर आम आदमी को भूल जाती है.
यह ऐतिहासिक जन संघर्ष कब और कैसे होगा? इसका नेतृत्व कौन करेगा? इसका दौरान कितना होगा? इन सब सवालों का उत्तर देना असंभव है। इस सब पर बुद्धिजीवी देशभक्तों को गहरा चिंतन करना होगा और अपनी क्रिएटिविटी (रचनात्मक्ता) का प्रयोग करके इनका जवाब ढूंढना होगा। अब आम आदमी के लिए वोट देना एक चुनौती है वह उस व्यक्ति को चुने जो उसके क्षेत्र का है जो उसके क्षेत्र के विकास के लिए, उसके क्षेत्र के व्यक्तियों के जीवन स्तर के सुधार के लिए कार्य कर सकें या किसी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार को वोट दें?
इसमें कई उतार चढ़ाव और तोड़ मरोड़ आएंगे। इसके बाद ही ऐसी राजनैतिक व्यवस्था बनेगी, जिसमें तेजी से औद्योगीकरण होगा और जनता को खुशहाल जीवन मिलेगा।