वीएस चौहान की रिपोर्ट
देहरादून। उत्तराखंड सरकार पर्यटन व्यवसाय से जुड़े श्रमिकों व व्यवसायियों को एक बार फिर राहत देने की तैयारी कर रही है। इसके तहत प्रत्येक पंजीकृत पर्यटन कर्मी को एक हजार अथवा दो हजार रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी।
प्रदेश में कोरोना महामारी के कारण पर्यटन व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। देखा जाए तो उत्तराखंड में सरकार से लेकर आम लोगों की आय का मुख्य स्रोत पर्यटन है। होटल, गेस्ट हाउस, रेस्टोरेंट व अन्य कई व्यवसाय पर्यटन से सीधे जुड़े हुए हैं। महामारी के कारण बीते वर्ष से ही इन्हें खासी आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा है। यह बात इससे समझी जा सकती है कि वर्ष 2019 की चारधाम यात्रा में 34 लाख पर्यटक आए थे। इसके अलावा हरिद्वार, देहरादून, मसूरी और नैनीताल आदि पर्यटन स्थलों पर भी तकरीबन 10 लाख से अधिक पर्यटक पहुंचे थे। इसके सापेक्ष 2020 में मात्र दस प्रतिशत यानी तीन लाख श्रद्धालु चारधाम और तकरीबन एक लाख पर्यटक अन्य पर्यटन स्थलों तक पहुंचे।
इसके अलावा कांवड़ मेला, रिवर राफ्टिंग, साहसिक पर्यटन भी कोरोना के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसे देखते हुए सरकार ने पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कार्मिकों को आर्थिक सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 24 करोड़ की धनराशि स्वीकृत की। इसके सापेक्ष पहली किस्त के रूप में 11.85 करोड़ रुपये जारी किए गए। इसमें से केवल 32390 को 3.24 करोड़ रुपये ही वितरित हो पाए। कारण यह कि प्रदेश में अधिकांश होटल, रेस्टोरेंट, दुकान व पर्यटन से जुड़़े अन्य व्यवसाय में कार्मिकों का कोई रिकार्ड नहीं रखा जाता है।
इन लोगों को केवल पर्यटन सीजन पर ही दुकानों में रख लिया जाता है। सरकार भी ऐसे व्यक्तियों का रिकार्ड न होने के कारण इन्हें आर्थिक सहायता नहीं दे पाई। नतीजतन पहली किस्त से भी तकरीबन आठ करोड़ रुपये बच गए। सरकार ने गंगा राफ्टिंग प्रबंध समिति के माध्यम से 582 रिवर राफ्टिंग गाइडों को भी 5000 रुपये की धनराशि उपलब्ध कराई गई। इसमें भी कुल 28.20 लाख रुपये वितरित किए जा सके। इस बार भी कोरोना के कारण पर्यटन व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित है।
इसे देखते हुए सरकार एक बार फिर इन्हें राहत देने की तैयारी कर रही है। पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि पर्यटन से तमाम लोग जुड़े हैं। यात्रा प्रभावित होने के कारण इनकी आर्थिकी पर प्रभाव पड़ा है। इसलिए इन्हें राहत देने की तैयारी है।