कोरोना महामारी से मजदूर वर्ग आहत, नही मिल रही कोई मदद, खाली बैठे रिकसा चालक ।

रिपोर्टर ,,,,सतीश कुमार मसूरी ।

मसूरी। कोरोना संक्रमण के तहत लगे कोरोना कफ्र्यू के चलते सबसे अधिक प्रभाव मसूरी के मजदूरों व छोटे दुकानदारों पर पड़ रहा है जिसके कारण उन पर आर्थिक संकट गहरा गया है यहां तक कि रोजी रोटी के लाले पड़ गये हैं। हालांकि इस संकट की घड़ी में अधिकतर व्यवसायियों पर प्रभाव पड़ रहा है लेकिन गरीब तबका इस संकट से जूझने को मजबूर हो रहा है ऐसे में अभी तक उनको किसी प्रकार की सहायता नही मिल रही है।
मालरोड पर पटरी लगा अपने परिवार का पोषण करने वाले भुवनेश्वर प्रसाद बलोनी का कहना है कि कोरोना महामारी का सबसे बुरा असर गरीब वर्ग पर पड़ रहा है, क्यों कि उनकी दुकाने नहीं लग रही है जिससे उनके सामने रोजी रोटी का संकट छा गया है। उनका कहना है कि किसी तरह वह मालरोड पर पटरी लगाकर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रहे थे लेकिन इस बार भी कोरोना महामारी के आने से उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष भी कोरोना के चलते दुकाने नही लगा पाये और इस साल भी कोरोना के चलते घरों में कैद होने को मजबूर हो गये हैं। जिसके कारण घर की हालात लगातार दिन व दिन पतली होती जा रही है। लेकिन इस आरे शासन प्रशासन कोई ध्यान नही दे रहा न ही उनके बारे में कोई सोच रहा है। ऐसी स्थिति में वह क्या करें समझ नही आ रहा। वहीं ध्याड़ी मजदूरी करने वाले टिका राम भटट का कहना है कि वह ध्याड़ी मजदूरी कर अपना पेट पालते थे लेकिन जब से कोरोना कफ्र्यू लगा है तब से घर पर ही बैठे हैं ऐसे में जो अभी तक कमाया था वह खा लिया अब खाने का भी संकट सामने आ गया है जिससे लगातार परेशानी बढ़ रही है वहीं सरकार की ओर से भी मजदूरों के लिए कोई सुविधा नहीं की गई न ही राशन की कोई व्यवस्था की जा रही है। अगर यही हाल रहा तो जहां लोग कोरोना संक्रमण से मर रहे हैं वहीं अब भूख से भी मरने की नौबत आ गई है। यहीं हाल रिक्शा श्रमिकों का है क्यों कि कोरोना के कारण पर्यटन पूरी तरह से बंद हो गया है जिसके कारण उनके सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है यही नही टैक्सी चालक हो या अन्य छोटे मोटे कार्य कर अपने परिवारों को पालने वालों को इस महामारी का दंश झेलना पड रहा है। गत वर्ष तो विभिन्न संसथाओं ने राशन आदि वितरित किया था जिससे किसी तरह अपने परिवार का पेट पाल लिया लेकिन इस बार तो अभी तक किसी भी संस्था या सरकार की ओर से किसी तरह की मदद नही दी गई जिससे भूखों मरने की नौबत आ गई है।

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