Vs Chauhan ki report
हिंदुओं में गंगा को पवित्र माना जाता है गंगा नदी को गंगा मां के रूप में पूजा करते हैं. मनुष्य के पैदा होने से और अंतिम संस्कार तक गंगा जल का बहुत महत्व है. पूरे जीवन हर विधि विधान में एक महत्वपूर्ण स्थान है. किसी भी इंसान की मृत्यु के बाद हिंदुओं में उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार गंगा जी के किनारे पर अच्छा माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार गंगाजी को पृथ्वी पर राजा भगीरथ तपस्या करने के बाद लाए थे गंगाजल घर में कितने भी दिन रखा रहे खराब नहीं होता है.
उत्तराखंड के गोमुख हिमनद के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर गंगा लगभग 2510 किलोमीटर का सफर तय करती है.बचपन से हम देखते आ रहे हैं कि हमारे पूजा घरों में एक डिब्बे में गंगा का पानी हमेशा रखा ही रहता है. खाली होता है तो हम अपने नजदीक बह रही गंगा नदी में से फिर भर लाते हैं. गंगा का पानी हिंदू परिवारों पवित्र माना जाता है. कोई भी पूजा-पाठ बिना गंगा के पानी के संभव नहीं है. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि इतने दिनों तक डिब्बे में बंद रहने के बावजूद गंगा का पानी सड़ता क्यों नहीं है?
बीबीसी की एक रिपोर्ट में लखनऊ के नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक रहे चंद्र शेखर नौटियाल ने अपनी रिसर्च में यह साबित किया है कि गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता बरकरार है.
हिमालय की गोद गंगोत्री से निकलकर धरती पर विशाल रूप धारण करती गंगा बैक्टीरिया को मारने की शक्ति वहीं से लेकर आती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिमालय से नीचे उतरती गंगा अपने रास्ते में कई तरह की मिट्टी, खनिज और जड़ी बूटियों से मिलती है. इन सभी से एक ऐसा मिश्रण तैयार होता है, जिसे समझ पाना अब तक संभव नहीं हो सका है.
आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव, जिन्होंने गंगा पर शोध किया है. के मुताबिक नदी की तलहटी में ही गंगा को साफ करने वाला विलक्षण तत्व मौजूद है. साथ ही वो कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की जबरदस्त क्षमता है.
डॉ. भार्गव के मुताबिक दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली गंदगी को सोखने की क्षमता 15 से 20 गुना अधिक है. वो बताते हैं कि गंगा नदी अपने एक किलोमीटर के बहाव में जितनी गंदगी साफ करती है, दूसरी नदियां उतनी गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ करती हैं.
उत्तराखंड के गोमुख हिमनद के निकट गंगोत्री ग्लेशियर से निकलकर गंगा लगभग 2510 किलोमीटर का सफर तय करती है. गंगा नदी दक्षिण-पूर्व की ओर बहते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है. यहां गंगा को पद्मा कहा जाता है. गंगा नदी पश्चिम बंगाल मे विश्व प्रसिद्ध सुंदरवन का डेल्टा का निर्माण करती है.