वीएस चौहान की रिपोर्ट
जीवन के आखिरी पड़ाव पर बुजुर्ग किसी अपने के ही सहारे कदम बढ़ाते हैं, पर इसी निर्णय में वे कई बार छल लिए जाते हैं। ताउम्र की कड़ी मेहनत से जुटाई गई संपत्ति आंखों के सामने होती है और नजरों में शूल की तरह चुभ भी रही होती है। वजह, भरोसे के बदले मिल रहा तिरसकार होता है। बड़े से मकान के किसी एक कोने या फिर गराज में पड़े बुजुर्ग की हर सांस से आह निकल रही होती है और वह बेबस होता है। उत्तर प्रदेश में अब ऐसे बुजुर्ग असहाय नहीं होंगे। बुजुर्गों के हितों के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ नया कानून लाने जा रही है। कानून उन्हें किसी अपने को तोहफे अथवा दान में दी गई संपत्ति वापस लेने का अधिकारी देगा।
अब बुजुर्ग अपने बच्चों या उत्तराधिकारियों द्वारा सेवा न किए जाने पर उन्हें दी गई संपत्तियों को अब वापस ले सकेंगे। राज्य विधि आयोग ने सामाजिक व विधिक अध्ययन के बाद माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम-2007 की नियमावली में बदलाव का प्रस्ताव तैयार किया है। आयोग नियमावली को और मजबूत बनाने के लिए अपने सुझाव राज्य सरकार को सौंप दिए हैं। माना जा रहा है कि राज्य सरकार जल्द इस पर अपने कदम बढ़ाएगी।
राज्य विधि आयोग ने नियमावली को और मजबूत बनाने के लिए अपने सुझाव राज्य सरकार को सौंप दिए हैं। आयोग के अनुसार यदि बुजुर्ग ने किसी अपने अथवा करीबी को अपनी संपत्ति दान अथवा तोहफे में दी है और उसके बाद संपत्ति पर काबिज संबंधित व्यक्ति उसकी सेवा नहीं कर रहे हैं तो बुजुर्ग इसकी अधिकारियों से शिकायत करेगा। इसके बाद संपत्ति का बैनामा निरस्त करने की कार्यवाही होगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार वर्तमान में ऐसी दशा में किसी बुजुर्ग को शिकायत होने पर कोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। जिला प्रशासन ऐसी शिकायत पर उसकी जरूरतों को लेकर कार्रवाई तो कर सकता है, लेकिन कानून उसे बैनामा निरस्त करने का अधिकार नहीं देता। हालांकि तोहफे में दी गई संपत्ति का एक बार बैनामा निरस्त होने के बाद यदि बुजुर्ग उस संपत्ति को किसी अन्य अपने को तोहफे में देता है तो उसे भी बैनामा के लिए स्टांप ड्यूटी का भुगतान करना होगा।
राज्य विधि आयोग ने राज्य सरकार को सौंपी अपनी 13वीं रिपोर्ट में यह भी कहा है कि यदि किसी वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति में कोई उत्तराधिकारी या रिश्तेदार रह रहा है और वह उनकी देखभाल नहीं कर रहा है तो बुजुर्ग सीनियर सिटीजन एक्ट-2007 के तहत बने ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकता है। इस एक्ट में बुजुर्गों को जीवन व संपत्ति का संरक्षण दिए जाने का प्रविधान है। ऐसे असहाय बुजुर्ग संपत्ति पर काबिज अपनों अथवा रिश्तेदार को जीवन रहते बेदखल करा सकते हैं।
उत्तराधिकारी को भागदौड़ से बचाएगा प्राधिकरण : उत्तरप्रदेश में किसी अविवादित संपत्ति के उत्तराधिकारियों को बेकार की भागदौड़ से बचाने के लिए एक प्राधिकरण बनाए जाने की भी तैयारी है। राज्य विधि आयोग ने इसका मसौदा तैयार किया है। यदि किसी व्यक्ति की बिना वसीयत किए ही मृत्यु हो जाती है तो उसके उत्तराधिकारी प्राधिकरण के सामने पेश होंगे। प्राधिकरण से उन्हें प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने की सुविधा होगी। प्राधिकरण का प्रमाणपत्र बैंक, डाक घर, एलआइसी, विकास प्राधिकरण, आरटीओ, नगर निगम, रेलवे सभी विभागों में मान्य होगा। इससे उत्तराधिकारियों को संबंधित संपत्ति पर अपने अधिकार को लेकर अलग-अलग विभागों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।