गैंगस्टर अनिल दुजाना को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद पुलिस उसके गैंग को पूरी तरह से खत्म करने में लगी हुई है। सीधा साधा लड़का कैसे बना डॉन पढ़ें पूरी कहानी.

Gaurav Agarwal for NEWS EXPRESS INDIA

वेस्‍ट यूपी में आतंक के पर्याय बने गैंगस्‍टर अनिल दुजाना को पिछले दिनों मेरठ में हुए एनकाउंटर में ढेर कर दिया गया। उसके गैंग को नेस्‍तानबूंद करने के लिए पुलिस टीमें लग गई हैं। अनिल के करीबियों की लिस्‍ट बन चुकी है। एक-एक करके सब पर शिकंजा कसा जा रहा है।

गैंगस्टर अनिल दुजाना को एनकाउंटर में ढेर करने के बाद पुलिस उसके गैंग को पूरी तरह से खत्म करने में लगी हुई है। गिरोह की कमान कोई अन्य बदमाश संभाले उससे पहले ही पुलिस ने पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की ठान ली है। इसी कड़ी में पुलिस ने मंगलवार को बादलपुर एरिया के बंबावड गांव में प्रधान जी फार्महाउस को कुर्क कर सील किया। यह फार्महाउस अनिल दुजाना गैंग के करीबी चंद्रपाल प्रधान का बताया गया है। यह फार्महाउस अनिल दुजाना की काली कमाई खरीदा गया था। हालांकि, एनकाउंटर से पहले भी कार्रवाई की जा चुकी है। अपराध की कमाई से खरीदी गयी 8 संपत्तियों को पुलिस ने चिह्नित किया है। गैंग के अन्य बदमाशों की करीब 2 करोड़ 30 लाख की प्रॉपर्टी पहले कुर्क की जा चुकी है।

पुलिस के मुताबिक, बंबावड गांव का चंद्रपाल प्रधान मेरठ में एनकाउंटर में मारे गए अनिल दुजाना का काफी करीबी रहा है। अपराध की कमाई से संपत्ति खरीद कर अपने संबंधियों के नाम करा रखी है। गैंग को सक्रिय रखने व अपराध करने के आरोप में चंद्रपाल कई बार जेल जा चुका है। एरिया में उसके अपने नाम से भय बना रखा है। अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद से अंडरग्राउंड हो गया है। गैंग के अन्य बदमशों में हड़कंप मचा हुआ है। आरोपी उसके अपराध के खरीदी हुई संपत्ति को बचाने का जुगाड़ लगाने में जुटे हैं।

अनिल दुजाना का भय दिखाकर चंद्रपाल तीन बार गांव का प्रधान रह चुका है, जिसमें दो बार खुद, तीसरी और वर्तमान में पत्नी में प्रधान है। पुलिस अधिकारियों का दावा का गांव में इसके अलावा अनिल के अपराध से खरीदी हुई और जमीन चंद्रपाल के पास होने की संभावना है, जांच की जा रही है। रामबदन सिंह, डीसीपी सेंट्रल नोएडा ने बताया कि अनिल दुजाना के एनकाउंटर के बाद गैंग के बदमाशों पर पहली कार्रवाई है। 8 अन्य संपत्तियों को चिह्नित किया जा चुका है। अनिल दुजाना गैंग (गैंग आईडी आईएस-29/2021) के अन्य सदस्यों की 2 करोड़ 30 लाख रुपये की, अब तक कुल करीब 3 करोड़ 87 लाख रुपये की संपत्ति को कुर्क किया जा चुका है।

ग्रेटर नोएडा के निवासी और वेस्ट यूपी कुख्यात बदमाश अनिल दुजाना एनकाउंटर के बाद लगातार सुर्ख़ियों में आ रहा है। जिसका मुख्य कारण यह है कि अनिल दुजाना की लाइफ बड़ी अजीब थी। वह कभी अपने पिता के साथ खेतीबाड़ी करता था। गांव के बुजुर्ग लोगों का कहना है कि वह अपने पिता के अलावा अपनी मां का भी पूरा ध्यान रखता था। करीब 19 साल तक उसने अपने परिवार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का काम किया, लेकिन फिर अचानक उसने एक हत्या कर दी।जिसके बाद पूरा जीवन बदल गया।अनिल दुजाना की उम्र करीब 42 साल थी। वह 19 साल तक अपने मां-बाप के साथ रहा। वह दसवीं पास था।

अनिल को कभी गांव में ही लोग नहीं जानते थे और आज…
जिस स्कूल में अनिल दुजाना में पढ़ाई की, उस स्कूल के प्रिंसिपल रूप नागर का कहना है कि अनिल 19 साल तक एक सामान्य लड़का था। अपने पिता के साथ खेतीबाड़ी करता था। वह अधिकतर उनके पास कागज हस्ताक्षरित प्रमाणित करवाने के लिए आता था। उसको तब गांव के कुछ लोग ही जानते थे। फिर अनिल नागर ने पहला मर्डर 7 अक्टूबर 2002 में हरवीर पहलवान का किया था।

अनिल और हरवीर की कोई दुश्मनी नहीं थी
उनका कहना है कि शुरुआत में तो किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि अनिल ऐसा भी कर सकता है, लेकिन जब हकीकत सामने आई तो सब हैरान थे। अनिल की हरवीर से कोई दुश्मनी नहीं थी। उसने एक व्यक्ति के कहने पर इस वारदात को अंजाम दिया था। उस व्यक्ति और हरवीर पहलवान की आपसी रंजिश थी। यह बताया जाता है कि हरवीर पहलवान की हत्या करने के लिए अनिल दुजाना को कुछ पैसे भी मिले थे।

अनिल दुजाना जरायम की दुनिया में खौफ का बड़ा नाम था। उसके नाम से दुश्मन कांपते थे। आधुनिक हथियारों से वारदातों को अंजाम देने वाले अनिल दुजाना का 21 साल का जरायम की दुनिया का सफर एसटीएफ की गोली लगने के बाद खत्म हो गया है। दुजाना वेस्ट यूपी ही नहीं पूर्वांचल के गैंगस्टर के साथ भी वारदात को अंजाम देता था।

साल 2000 से पहले अनिल दुजाना नोएडा के सुंदर भाटी के लिए अवैध सरिया के कारोबार का कार्य करता था। शुरू से ही अपराध की दुनिया में नाम कमाने की महत्वाकांक्षा के चलते उसकी कारोबार में हिस्से को लेकर सुंदर भाटी से अनबन हो गई। इसके बाद वह नरेश भाटी गैंग के लिए काम करने लगा। लूटपाट और व्यापारियों से रंगदारी वसूलनी शुरू की। भाड़े पर हत्या करने लगा। वर्ष 2002 में गाजियाबाद के कविनगर थाने में उसके खिलाफ हत्या का पहला मुकदमा दर्ज हुआ।28 मार्च 2004 को सुंदर भाटी ने नरेश भाटी की हत्या कर दी। तब नरेश भाटी गैंग की कमान उसके भाई रणपाल भाटी ने संभाली। नरेश भाटी की हत्या का बदला लेने के लिए रणपाल भाटी ने 2005 में सुंदर भाटी के भतीजे लाला फौजी की हत्या कर दी। वारदात के बाद प्रदेश सरकार ने रणपाल भाटी की गिरफ्तारी के लिए 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।

वहीं, वर्ष 2006 में बुलंदशहर पुलिस ने रणपाल भाटी को एनकाउंटर में मार गिराया। रणपाल भाटी के मारे जाने के बाद गैंग की कमान नरेश भाटी के छोटे भाई रणदीप भाटी एवं उसके भांजे अमित कसाना ने संभाल ली। उसकी गैंग में अनिल दुजाना, नरेंद्र उर्फ नंदू शामिल हो गए। इसके बाद तीनों ने मिलकर जरायम की दुनिया में पीछे मुड़कर नहीं देखा। वेस्ट यूपी के सारे बदमाशों से थीं जनदीकियां
मुजफ्फरनगर जेल में अनिल दुजाना ने कर्नल गिरी निवासी परिक्षितगढ़ मेरठ, नीरज निवासी किनौली थाना शाहपुर मुजफ्फरनगर, मोनू गुर्जर निवासी अलीपुर मोरना हस्तिनापुर मेरठ को अपने गैंग में मिला लिया था। बागपत के ज्ञानेंद्र ढाका और सहारनपुर एवं शामली क्षेत्र में मुकीम काला गैंग के संपर्क में आने से उसके गैंग का पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभाव हो गया था। बुलंदशहर जेल में रहते हुए वह उमेश पंडित और विक्की सुनहड़ा के संपर्क में आया। विक्की ने अनिल दुजाना एवं उमेश पंडित का मुन्ना बजरंगी से मेलजोल करा दिया था। मुन्ना बजरंगी व अनिल दुजाना की दोस्ती के कारण ही दिल्ली में रेलवे की ठेकेदारी में भी दखल देना शुरू कर दिया था।

भगवान में थी आस्था, हर साल करवाता था विशाल भंडारा
अनिल दुजाना 4 भाई थे। एक भाई की हत्या काफी समय पहले हो गई थी। बाकी दो भाई दिल्ली में रहते हैं, जो अपना काम-धंधा करते हैं। अनिल के माता-पिता की काफी समय पहले मौत हो चुकी है। बताया जाता है कि हर साल अनिल दुजाना अपने गांव में एक विशाल भंडारे का आयोजन करवाता है। भले ही वह कुख्यात बदमाश हो, लेकिन अधिकतर जय दादी सती के मंदिर पर हवन और पूजा करते हुए गांव के लोगों ने अनिल को देखा है।

गैंगस्टर अनिल दुजाना की शादी की कहानी भी रोचक है। उसकी शादी कोई साधारण शादी नहीं थी बल्कि एक तरह से कहें तो रिश्तों का सौदा था। आपको जानकर हैरानी होगी कि अनिल दुजाना की पत्नी के पिता यानि अनिल के ससुर ने अपने घर के सामने वाले व्यक्ति के दामाद से बड़ा गुंडा लाने के लिए अपनी बेटी का हाथ गैंगस्टर अनिल दुजाना के हाथ में देने को राजी हुआ था।

अनिल दुजाना के ससुर लीलू बागपत के रहने वाले थे और उनका विवाद 40 बीघा जमीन को लेकर वही के रहने वाले राजकुमार से चल रहा था। लीलू से मुकाबले के लिए राजकुमार ने अपराधियों से संपर्क साधना शुरू कर दिया। राजकुमार ने अपनी दो बेटियों की शादी कुख्यात अपराधी से कर दी। राजकुमार का संपर्क अपराधियों से बढ़ने के बाद लीलू यानि अनिल दुजाना का ससुर कमजोर पड़ने लगा। इसके बाद लीलू ने अपनी बेटी की शादी उससे भी बड़े कुख्यात अपराधी से कराने की ठानी।

कोर्ट में अनिल दुजाना ने की सगाई
बेटी की शादी के लिए उसने उस समय के सबसे बड़े कुख्यात गैंगस्टर अनिल दुजाना चुना। लीलू ने शादी के लिए अनिल से बात भी कर ली। उस समय अनिल दुजाना जेल में बंद था। शादी की बात होने पर यह सवाल खड़ा हुआ कि अनिल दुजाना जेल में बंद है फिर शादी कैसे हो पाएगी। इसी बीच खबर आई की अनिल दुजाना 16 फरवरी 2019 को पेशी के लिए दुजाना कोर्ट में लाया जाने वाला है। उस दौरान लीलू की बेटी पूजा (अनिल दुजाना की पत्नी) भी तैयार होकर कोर्ट पहुंची और फिर वहीं कोर्ट में ही दोनों ने एक दूसरे को अंगूठी पहना कर सगाई कर ली। और फिर जब दो साल बाद 2021 में अनिल दुजाना जमानत पर बाहर आया तो उसने 18 फरवरी को सूरजपुर कोर्ट में पूजा से शादी कर ली।

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