VSCHAUHAN, Herdyes goswami for NEWS EXPRESS INDIA
उत्तराखंड के सभी रिजॉर्ट्स की जांच की जाएगी. इसमें दो तरह से जांच होगी. एक तो ये रिजॉर्ट कहीं अवैध तो नहीं, दूसरा रिजॉर्ट में गैरकानूनी धंधा तो नहीं हो रहा है?
सोमवार को उत्तराखंड में अलग-अलग जगहों पर प्रशासन द्वारा चलाए गए चेकिंग अभियान में सभी होटलों और रिजॉर्ट को चेक किया गया. खटीमा में प्रशासन ने उत्सव होटल, महारानी होटल और न्यू हवेली होटल की चेकिंग के दौरान उनके संचालक आवश्यक कागज प्रस्तुत नहीं कर पाए. ऐसे में तीनों होटलों को सीज कर दिया गया. वहीं कान्हा होटल पर अनियमितता पाए जाने पर उस पर पचास हजार का जुर्माना किया गया. खटीमा एसडीएम रविंद्र बिष्ट ने बताया कि प्रशासन की कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी.
जसपुर में भी कार्रवाई
जसपुर क्षेत्र में तहसील प्रशासन द्वारा होटलों पर छापेमारी की गई. इस दौरान कई होटलों में अनियमितताएं पाई गई. उपजिलाधिकारी जसपुर सीमा विश्वकर्मा ने बताया कि जसपुर क्षेत्र के होटलों की चैकिंग की गई. इस दौरान कुछ होटल संदिग्ध मिले. 6 होटल पर छापेमारी की गई जिसमे 2 होटलों को बंद कराया गया है. उन्होंने बताया कि किसी भी होटल का टूरिज्म डिपार्टमेंट में रेजिस्ट्रेशन नहीं है जिसके लिए उन्हें एक हफ्ते का समय दिया गया है.
ऋषिकेश में भी कार्रवाई
इसी कड़ी में गंगाभोगपुर स्थित कुनाव गांव के पास “द नीरज” रिजॉर्ट के स्पा को भी संबंधित दस्तावेज न दिखाने के चलते सील किया गया. इसी कड़ी में रविवार एसडीएम यमकेश्वर की अगुवाई में गंगा भोगपुर क्षेत्र में संचालित कई रिसॉर्ट की जांच की.
पूर्व सीएम ने किया स्वागत
पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसले का समर्थन किया है. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है. इस बात का पूरा रिकॉर्ड रहना चाहिए की किस क्षेत्र में और कहां पर रिजॉर्ट बन रहे हैं.पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत की माने तो पूर्व में जब जिला योजना के तहत यह व्यवस्था की गई थी तो उस दौरान इसका विरोध हुआ था. नतीजा यह रहा कि इस निर्णय को वापस लेना पड़ा. लेकिन आज इस बारे में फिर से सोचने की जरूरत महसूस हो रही है. दरअसल उत्तराखंड में जिस तरीके से यात्रियों की संख्या बढ़ रही है. ऐसे में बड़ी तादाद में नदियों के किनारे या फिर आबादी क्षेत्र से दूर जंगलों के नजदीक रिजॉर्ट संस्कृति भी तेजी के साथ फल फूल रही है. हैरानी की बात तो यह है कि शायद जिला प्रशासन के पास भी पुख्ता आंकड़े नहीं है कि उनके क्षेत्रों में कितने इस प्रकार के रिजॉर्ट बने हुए हैं. और उनमें किस तरह की गतिविधियां चल रही है. लेकिन अंकिता हत्याकांड के बाद से अब ये जांच का विषय बन चुका है.