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भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की नेता सोनाली फोगाट की मौत मामले में एक और खुलासा हुआ है। गोवा के कर्लीज रेस्तरां में आरोपियों ने सोनाली को मेथामफेटामाइन नाम का ड्रग दिया था। अंजुना पुलिस ने कर्लीज रेस्तरां के वॉशरूम से ड्रग्स जब्त की थी। इस ड्रग्स की जांच के बाद सामने आया है कि यह मेथामफेटामाइन था। पुलिस ने सोनाली फोगाट के निजी सहायक सुधीर सांगवान, एक अन्य सहयोगी सुखविंदर सिंह, रेस्तरां के मालिक एडविन न्यून्स और कथित मादक पदार्थ तस्कर दत्ता प्रसाद गांवकर को गिरफ्तार किया है। सुखविंदर और सुधीर सांगवान पर हत्या की धाराओं के तहत केस दर्ज हुआ है जबकि गांवकर और न्यून्स के खिलाफ स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने बताया कि जांच में सामने आया है कि दत्ता प्रसाद गांवकर ने कथित तौर पर सुखविंदर सिंह और सुधीर सांगवान को मादक पदार्थ की आपूर्ति की थी। गांवकर अंजुना के उस होटल का कर्मचारी है, जहां फोगाट ठहरी थीं। दोनों आरोपियों ने अपने बयान में संदिग्ध से मादक पदार्थ खरीदने की बात स्वीकार की थी, जिसके बाद संदिग्ध मादक पदार्थ तस्कर दत्ताप्रसाद गांवकर को अंजुना से हिरासत में ले लिया गया।
- सोनाली फोगाट को दिया गया था मेथामफेटामाइन ड्रग
- बहुत खतरनाक होता है यह मेथामफेटामाइन ड्रग्स
- सेक्स उत्तेजना को बढ़ाने और डोपामाइन पैदा करने के लिए होता है यूज
- भारत समेत दुनिया के अधिकांश देशों में प्रतिबंधित है यह ड्रग
नैशनल इंस्टिट्यूट ऑन ड्रग अब्यूज (NIDA) के अनुसार मेथामफेटामाइन एक बहुत ही घातक और शक्तिशाली ड्रग होती है। कोई इसे लेता है तो इसकी लत बहुत जल्दी लगती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेथामफेटामाइन ड्रग सीधा नशा लेने वाले के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करती है।
मेथामफेटामाइन एक तरह का क्रिस्टल ड्रग है। यह देखने में कांच के टुकड़ों की तरह होती है। देखने में यह बहुत ही चमकदार होता है। मेथामफेटामाइन ड्रग को अगर केमिकल के रूप में देखें तो यह एम्फैटेमिन की तरह ही होता है। एम्फैटेमिन का यूज अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (ADHD) और नार्कोलेप्सी, नींद न आने की समस्या के इलाज में दवा के तौर पर किया जाता है।
कैसे लेते हैं मेथामफेटामाइन ड्रग?
मेथामफेटामाइन ड्रग के अडिक्टेड इसे कई तरह से लेते हैं। कई इसे सिगरेट में भरकर पीते हैं और धुएं से नशा लेते हैं। वहीं कुछ इसे गोली की तरह निगते हैं। कई इसे सूंघकर नशा लेते हैं। वहीं पानी या शराब में इसे घोलकर भी पीते हैं। कई नशा करने वाले मेथामफेटामाइन को बिंगिंग फॉर्म में भी लेते हैं, जिसे वे रन कहते हैं। सोनाली को यह पानी में घोलकर पिलाया गया.
मेथामफेटामाइन का दिमाग पर असर?
मेथामफेटामाइन ड्रग दिमाग में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाता है। डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर होता है। एक ऐसा रसायन जो दिमाग की नर्व सेल्स के बीच सिग्नल को भेजता है। डोपामाइन दिमाग के फील गुड फैक्टर के लिए भी जिम्मेदार होता है, जो आपके मूड को अच्छा रखने में मदद करता है। यह आपके दिमाग में तब सक्रिय होता, जब आप किसी ऐसी चीज के संपर्क में होते हैं जो आपको खुशी और आनंद देती और खाना उनमें से एक है। डोपामाइन बॉडी के मूवमेंट, मोटिवेशन और व्यवहार में आने वाले कई तरह के बदलाव लाता है। डोपामाइन को एक ऐसा कैमिकल मैसेंजर कहा जाता है जो दिमाग को कई चीजें करने के लिए मोटिवेट करता है।
मेथामफेटामाइन का ओवरडोज जानलेवा हो सकता है। इसकी ज्यादा मात्रा या लगातार लेने से इससे शरीर में एक जहरीला रिएक्शन होता है। यह जहरीला रिएक्शन शरीर में गंभीर डैमेज कर सकते हैं या जानलेवा भी हो सकते हैं। मेथामफेटामाइन ओवरडोज के कारण अक्सर स्ट्रोक, हार्ट अटैक हो सकता है।