ओमिक्रॉन के लक्षण, ज्यादातर रोगियों को हो रही हैं ये तीन समस्याएं. पढ़ें पूरी खबर.

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भारत सहित दुनिया के करीब 57 देशों में कोरोना के ओमिक्रॉन वैरिएंट का असर  देखने को मिल रहा है। हालांकि कुछ जगहों पर शुरुआती दौर है फिर भी हमें जागरूक रहने की आवश्यकता है कोरोना से सुरक्षित रहने के लिए  सतर्कता  के जो भी उपाय हैं. उनको हमें अधिक से अधिक प्रयोग करना है. तभी हम कोरोना के किसी भी वैरीअंट को फैलने से रोक सकते हैं. अध्ययनों में कोरोना के इस वैरिएंट को विशेषज्ञ काफी संक्रामक मान रहे हैं। ओमिक्रॉन वैरिएंट में ऐसे म्यूटेशनों के बारे में पता चला है जो इसे शरीर में वैक्सीनेशन से बनी प्रतिरक्षा प्रणाली को आसानी से चकमा देने के योग्य बनाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना के इस रूप को वैरिएंट ऑफ कंसर्न के रूप में वर्गीकृत किया है। विभिन्न संगठनों ने कोरोना के इस वैरिएंट की संक्रामता दर को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है।

ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि चूंकि यह प्रतिरक्षा को चकमा देने की क्षमता रखता है, ऐसे में जिन लोगों का वैक्सीनेशन हो चुका है, उन्हें भी विशेष सर्तक रहने की आवश्यकता है। डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना के इस वैरिएंट के संक्रमण में लोगों में डेल्टा से कुछ अलग समस्याएं देखने को मिल रही है। आइए उन लक्षणों के बारे में जानते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।

हल्के से मध्यम हैं ओमिक्रॉन के लक्षण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक पहले के वैरिएंट की तरह ही, ओमिक्रॉन संक्रमितों में भी गंभीर थकान और कमजोरी की समस्या देखने को मिल रही है। इस नए स्ट्रेन के स्पाइक प्रोटीन में 30 से अधिक म्यूटेशन हैं, जो कि किसी भी अन्य पिछले स्ट्रेन से अलग हैं। विशेषज्ञ कहते हैं, अब तक दुनियाभर में ओमिक्रॉन के हल्के-मध्यम लक्षण ही देखने को मिल रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का सुझाव है कि सार्स-सीओवी-2 वायरस का नवीनतम संस्करण उन लोगों को आसानी से संक्रमित कर सकता है जिनको पहले कोरोना का संक्रमण हो चुका है, या जिनका वैक्सीनेशन पूरा नहीं हुआ है।

स्क्रेची थ्रोट के लक्षण
दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन संक्रमितों का इलाज कर रही डॉक्टर, एंजेलिक कोएत्ज़ी के अनुसार, ओमिक्रॉन से संक्रमित रोगियों में गले में खराश के बजाय स्क्रेची थ्रोट जैसी समस्या देखने को मिल रही है। वैसे तो यह दोनों स्थितियां एक हद तक समान हो सकती हैं, हालांकि स्क्रेची थ्रोट की समस्या अधिक दर्दनाक होती है।

रात में बहुत पसीना आना
दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य विभाग के एक अन्य अपडेट में डॉक्टरों ने बताया कि ओमिक्रॉन संक्रमितों को रात में पसीना आने की समस्या अधिक देखने को मिल रही है। कुछ रोगियों को तो रात में इतना पसीना आ रहा है जिससे उनके कपड़े और बिस्तर तक गीले हो जा रहे हैं। डॉक्टर के अनुसार पसीने के अलावा रोगियों को शरीर में बहुत दर्द की समस्या भी देखने को मिल रही है।

सूखी खांसी की समस्या
डॉक्टरों का कहना है कि ओमिक्रॉन पीड़ितों में सूखी खांसी की समस्या भी देखने को मिल रही है। यह दिक्कत डेल्टा और अल्फा वैरिएंट के संक्रमण में भी देखने को मिल रहा था। वायुमार्ग मे सूजन के कारण सूखी खांसी की समस्या हो सकती है। जिन रोगियों में ऐसे लक्षण दिख रहे हों उन्हें तुरंत सावधान हो जाने की जरूरत है।

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