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उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में मां बनने वाली किशोरियों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है। यह चौंकाने वाला खुलासा नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे की 2020-21 की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 15 से 19 साल की उम्र की 5.6 प्रतिशत किशोरियां और युवतियां मां बन चुकी हैं, या गर्भवती हैं। जबकि 5 साल पहले नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे-4 की रिपोर्ट में यह 2.8 फीसदी था। इसे टीनेज प्रेगनेंसी कहते हैं। इस रिपोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को चिंता में डाल दिया है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में आम लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा के बारे में जानकारी जुटाई जाती है। काफी हद तक इसी रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्ययोजना तैयार की जाती है। संस्था ने 2020-21 में जिले में 800 से अधिक घरों का सर्वे किया और हजारों पुरुषों-महिलाओं से बातचीत कर जानकारी जुटाई। अब एनएफएचएस ने 2020-21 की अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट में बरेली में स्वास्थ्य संबंधी कई नई जानकारी दी गई है, जो चिंता का विषय बन गई है।
सर्वे की मानें तो जिले में 5.6 प्रतिशत किशोरियां-युवतियां ऐसी हैं, जो मां बन चुकी हैं या गर्भवती हैं। संस्था ने 15 से 19 वर्ष की उम्र की किशोरियों और युवतियों से बातचीत के बाद यह आंकड़ा जारी किया है। चौंकाने वाली बात है कि जहां स्वास्थ्य संबंधी अन्य क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव देखने में आ रहा है वहीं कम उम्र में मां बनने वाली किशोरियों का प्रतिशत दोगुना हो गया है। 5 साल पहले इसी संस्था की रिपोर्ट में जिले में 15-19 वर्ष की मां बनने वाली या गर्भवती हुई किशोरियों-युवतियां का प्रतिशत 2.8 था।
प्रीमेच्योर बर्थ होने की आशंका अधिक
कम उम्र में मां बनने पर प्रीमेच्योर डिलिवरी की आशंका बढ़ जाती है। होने वाले बच्चे पर इसके कई गंभीर परिणाम हो सकते हैं। वरिष्ठ स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. लतिका अग्रवाल का कहना है कि कम उम्र में मां बनना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। बच्चे का वजन कम हो सकता है और इसका उसके शारीरिक-मानसिक विकास पर असर पड़ सकता है। दूसरी ओर कम उम्र में गर्भवती होने से महिला का ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो सकता है। हाई ब्लड प्रेशर की परेशानी हो सकती है, जिसका असर उसकी किडनी पर पड़ता है। इसके साथ ही हाइपरटेंशन होने की आशंका होती है। एक बड़ी परेशनी रक्तस्राव की भी है, जो कई बार महिला के लिए संकट बन जाती है।
टीनेज प्रेगनेंसी रोकने को चलाते हैं जागरूकता अभियान
सीएमओ डॉ. बलवीर सिंह का कहना है कि टीनेज प्रेगनेंसी और कम उम्र में मां बनने से होने वाले नुकसान के प्रति लगातार किशोरियों, युवतियों को जागरूक करने का अभियान चलाया जाता है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बालिकाओं को इसके बारे में बताया जाता है। आशा कार्यकत्रियों के जरिये गांवों में महिलाओं को जागरूक किया जाता है और उनको कम उम्र की महिला के प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा को होने वाले खतरे के प्रति सतर्क किया जाता है।
सर्वे के बारे में तो जानकारी नहीं है और न ही ऐसी कोई रिपोर्ट देखी है। जहां तक बात कम उम्र में मां बनने, नाबालिग की शादी करने की है तो यह चिंताजनक है। हमारा लगातार प्रयास हो रहा है कि बालिग होने के बाद ही लड़कियों की शादी हो। उनको बेहतर शिक्षा मिले और कम उम्र में शादी या किसी अन्य कारण से उनकी पढ़ाई बाधित न हो। –