देहरादून-दिल्ली राजमार्ग चौड़ीकरण की अड़चनें हटीं. एनजीटी ने पेड़ कटान रोकने की याचिका को खारिज कर दिया.

VS chauhan KI REPORT

देहरादून-दिल्ली हाईवे के निर्माण कार्य के बीच की बाधा हट चुकी है। आखिरकार एनजीटी ने पेड़ कटान रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है। इससे देहरादून दिल्ली हाईवे की अड़चन दूर हो चुकी है। यह याचिका एक एनजीओ ने दर्ज कराई थी। एनजीटी यानी कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने पेड़ कटान रोकने की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि दून दिल्ली राजमार्ग चौड़ीकरण के तहत गणेशपुर से आशारोड़ी तक 7000 पेड़ कटान के मामले में एनजीटी ने एनएचएआई को एक बड़ी राहत दे दी है और पेड़ कटान रुकने की याचिका को खारिज कर दिया है। जिससे देहरादून से दिल्ली राजमार्ग चौड़ीकरण के बीच आ रही है बड़ी बाधा हट चुकी है। बता दें कि इस राजमार्ग के निर्माण से दून और दिल्ली के बीच की दूरी बेहद कम हो जाएगी जिससे एक ओर कई लोग बेहद खुश हैं तो वही पर्यावरण प्रेमियों के बीच में आक्रोश साफ तौर पर झलक रहा है। यही वजह है कि देहरादून-दिल्ली हाईवे के निर्माण कार्य के सामने कई चुनौतियां आ रही हैं। दरअसल बीते दिनों सोशल मीडिया पर जोरों शोरों से कई पर्यावरण प्रेमियों ने मुहिम छेड़ रखी है। इस हाइवे के निर्माण कार्य में आशारोड़ी से गणेशपुर के बीच में 7000 पेड़ कट रहे हैं। इसी के खिलाफ पर्यावरण प्रेमियों ने एक साथ आवाज उठाई थी और पेड़ कटाई को रोकने के लिए याचिका दर्ज कराई थी जिसको एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने खारिज कर दिया है।

दरअसल यह याचिका एक एनजीओ की तरफ से दायर की गई थी। याचिका में यह कहा गया था कि गणेशपुर से आशा रोड़ी के बीच में तकरीबन 20 किलोमीटर के दायरे में 7000 पेड़ों का कटान किया जा रहा है। दावा किया गया है कि इसमें 2.62 हेक्टेयर वन भूमि पर बेहद उच्च घनत्व के पेड़ हैं। याचिका की सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष ने कहा है कि अगर वन मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है तो उसको निरस्त करने का कोई भी कारण नहीं है और यह कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। न्यायमूर्ति ने कहा है कि विशेष परिस्थिति में स्थानांतरण सहित सभी आवश्यक उपायों को अपनाने पर पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। इससे एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) को बड़ी राहत मिली है और हाइवे के चौड़ीकरण में उनका रास्ता साफ हो चुका है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *