बरेली में बरेलवी मरकज के काजी-ए-हिंदुस्तान का पैगाम बेटियों की परवरिश इस्लामी माहौल में करें. साथ दीनी तालीम जरूर दें साथ ही मोबाइल फोन से दूर रखें।

Nimis Kumar KI REPORT

भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों के लोग बड़ी आजादी से अपने धर्म को बढ़ाने के लिए प्रयास कर सकते हैं भारत में इस्लाम धर्म के लिए मुस्लिम लोग अपने धर्म का बेहद सम्मान करते हैं और अपने धर्म के बताए कानून के अनुसार ही चलते हैं.  बरेली में सुन्नी बरेलवी मरकज की ओर से मुस्लिम लड़कियों की हिफाजत के नाम पर उनकी इस्लामी माहौल में परवरिश करने पर जोर देना शुरू किया गया है। जुमे की नमाज के दौरान शहर की तमाम मस्जिदों में इमामों ने काजी-ए-हिंदुस्तान मुफ्ती असजद रजा खां कादरी की ओर से जारी पैगाम के मुताबिक नमाजियों को इस बारे में तमाम हिदायतें दीं।

मुफ्ती असजद रजा खां कादरी ने उर्स-ए-रजवी के बीच 13 बिंदुओं का यह पैगाम जारी किया था जिसे इमामों ने मस्जिदों में जुमे की नमाज अदा करने आए नमाजियों को पढ़कर सुनाया। इमामों ने नमाजियों से कहा कि वे बचपन से ही अपनी बच्चों को दुनियावी तालीम के साथ दीनी तालीम जरूर दिलाएं। वे खुद नेक अमल करते हुए अपनी जिंदगी इस्लामी माहौल में गुजारें और बच्चों की भी इसी माहौल में परवरिश करें.

खास तौर से बच्चियों को दीनी तालीम और कल्चर से वाकिफ कराएं. इस पैगाम में यह भी कहा गया है कि मां-बाप गाहे-बगाहे बच्चों के जहनों फिक्र का भी जायजा लेते रहें ताकि स्कूल या बाहरी माहौल उनके जहन को खराब न करने पाए। उन्हें मोबाइल का भी बेजा इस्तेमाल न करने दिया जाए।
इन मस्जिदों में हुई तकरीर
जमात रजा के प्रवक्ता समरान खान के मुताबिक पुराना शहर की नूरानी मस्जिद, छह मीनार मस्जिद, हबीबिया मस्जिद, बारादरी मस्जिद, नूरी मस्जिद, हकीम सुक्का खां मस्जिद, चुप शाह मस्जिद, किला की जामा मस्जिद, इमली वाली मस्जिद, मस्जिद नक्श बंदीयान, छप्पल वाली मस्जिद, इब्राहिम साहब की मस्जिद, लाल मस्जिद, दरगाह आला हजरत की रजा मस्जिद, अजहरी मस्जिद, सीबीगंज की हमीदी मस्जिद और जंक्शन की नूरी मस्जिद में नमाजियों को जुमे की नमाज के दौरान यह पैगाम दिया गया।

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