सात साल पहले दिवाली की रात अपने परिवार के चार सदस्यों का बेरहमी से कत्ल करने वाले हरमीत को मौत की सजा. पढ़िए पूरी कहानी.

VS chauhan KI REPORT

लगभग 7 साल पहले 23-24 अक्तूबर 2014 को दिवाली की रात थी. पूरा शहर जगमग रोशनी से  रोशन हो रहा था. लोग अपने अपने घरों में दिवाली मना रहे थे रोशनी के लिए दिए जला रहे थे. बिजली की झालर रोशन हो रही थी. मगर उस रात कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में एक परिवार में कुछ और ही घटित हो रहा था. परिवार के एक सदस्य ने अपने ही परिवार के 4 लोगों का बेरहमी से कत्ल कर दिया था. अगले दिन 4 हत्याओं को लेकर हड़कंप मच गया था.

देहरादून में सात साल पहले दिवाली की रात परिवार के चार सदस्यों का बेरहमी से कत्ल करने वाले हरमीत को कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है। अपर जिला जज पंचम आशुतोष मिश्रा की अदालत में सजा पर 5 अक्टूबर 2021 मंगलवार को सुनवाई हुई । कोर्ट ने अलग-अलग धाराओं में एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

 घटना का पूरा मामला
गौरतलब है कि एक ही परिवार के 4 लोगों की हत्या का यह हत्याकांड 23-24 अक्तूबर 2014 को कैंट थाना क्षेत्र के आदर्शनगर में हुआ था। यहां होर्डिंग कारोबारी जय सिंह का मकान है। इस मकान में जय सिंह, उनकी पत्नी कुलवंत कौर, बेटी हरजीत कौर, नातिन सुखमणि (तीन साल), नाती कंवलजीत सिंह (पांच साल) और बेटा हरमीत (जय सिंह की पहली पत्नी का बेटा) रहते थे। किसी को क्या मालूम दिवाली की रात इस घर में एक ऐसा तूफान गुजरा था. जिसे देखकर अगले दिन लोगों के दिल दहल गए. दीवाली से अगले दिन घर के अंदर से कोई बाहर नहीं निकला था। कुछ देर बाद जब वहां नौकरानी राजी पहुंची तो उसने देखा कि घर में खून फैला हुआ था। वह अंदर गई तो वहां हरजीत कौर, सुखमणि, जय सिंह और कुलवंत कौर के लहुलूहान शव पड़े थे। दरवाजे की ओट में हाथ में चाकू लिए हरमीत खड़ा था। पास में ही पांच साल का कंवलजीत भी डरा सहमा खड़ा था।उसके हाथों में भी घाव थे।

यह सब नजारा देखकर वह नौकरानी घबरााकर चिल्लाती हुई बाहर आई। आसपास के लोग भी वहां इकट्ठा हो गए। और घर के अंदर का दृश्य देखकर लोगों के होश उड़ गए. उस मौके पर घटना वाले घर के पास में रहने वाले जय सिंह के भाई अजीत सिंह आए और उन्होंने उसी वक्त पुलिस को सूचना दी। सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और पुलिस ने तत्काल मौके से हरमीत को मय आला कत्ल (चाकू) के गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस ने तीन माह बाद हरजीत के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। कुछ समय बाद मुकदमे का ट्रायल सेशन कोर्ट में शुरू हुआ। इस मुकदमे में वादी की ओर से अधिवक्ता बीडी झा भी शामिल रहे। मुकदमे में कुल 21 गवाह पेश हुए। इन्हीं के आधार पर हरमीत सिंह को आईपीसी की धारा 302 (हत्या), धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 316 (गर्भस्थ शिशु की हत्या करना) में दोषी ठहराया गया।

61 दस्तावेजी सुबूत और 31 वस्तु साक्ष्य पेश हुए 
अदालत में यह मामला लगभग सात साल चला। इस मुकदमे में पुलिस की ओर से 61 दस्तावेजी सुबूत पेश किए गए। इनमें चारों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट, खून की डीएनए रिपोर्ट, एफआईआर व अन्य जांच दस्तावेज शामिल किए गए। 31 वस्तुएं सुबूत के तौर पर न्यायालय में पेश की गईं। इनमें हत्या में प्रयुक्त चाकू, खून से सने हरमीत के कपड़े, मृतकों के शरीर पर मौजूद कपड़े आदि थे।

संपत्ति के लिए किया था कत्ल

जर, जोरू, जमीन, संपत्ति यह चीजें अपनों को ही अपना दुश्मन बना देती है. और लालच में पड़कर कुछ लोग रिश्तो का कत्ल कर देते हैं .और अपने ही परिवार के लोगों की हत्या करते हुए उनके हाथ कांपते नहीं है. ऐसा ही कुछ

हरमीत ने इस जघन्य हत्याकांड को संपत्ति के लिए अंजाम दिया था। यह बात अभियोजन कोर्ट में साबित करने में सफल रहा। हरमीत ने पकड़े जाने के बाद खुद को दिमागी रूप से बीमार भी बताया था, लेकिन चिकित्सकों की जांच में उसका यह दावा गलत साबित हुआ।

दरअसल, कारोबारी जय सिंह की पहली पत्नी से दो बेटे थे। इनमें एक हरमीत और दूसरा पारस था। पारस अपनी मां के साथ रहता था। जय सिंह और उनकी पहली पत्नी ने तलाक ले लिया था। जय सिंह के भाई अजीत सिंह ने अपनी बेटी हरजीत को बचपन में ही उन्हें गोद दे दिया था। अजीत ने बताया था कि हरमीत ने पहले भी उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। ताकि, जय सिंह की सारी संपत्ति पर वह काबिज हो सके। कोर्ट में अजीत सिंह की यह गवाही से भी साबित हुआ कि हत्या के बाद हरमीत जय सिंह की संपत्ति काबिज करना चाहता था।

इन सबसे बचने के लिए हरमीत ने खुद को दिमागी रूप से बीमार बताया था। वह पहले कुछ बयान नहीं दे रहा था, लेकिन मनो चिकित्सकों से उसकी जांच कराई गई। अधिवक्ता राजीव गुप्ता ने बताया कि चिकित्सकों ने उसके इस दावे को झूठा साबित कर दिया। उसका कभी कहीं किसी मनो चिकित्सक या मनो वैज्ञानिक से इलाज नहीं चलाया गया था।

कब क्या-क्या हुआ

– 23-24 की रात अक्तूबर 2014- हत्याकांड को अंजाम दिया गया।
– 24 अक्तूबर 2014- एफआईआर दर्ज हुई और हरमीत को गिरफ्तार किया गया।
– 17 दिसंबर 2014- मजिस्ट्रेट कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया गया।
– 05 जनवरी 2015- मुकदमा सत्र न्यायालय के सुपुर्द किया गया।
– 03 फरवरी 2015- सत्र न्यायालय में मुकदमे का ट्रायल शुरू हुआ।
– 08 मई 2015 – गवाहों की जिरह शुरू हुई।
– 28 सितंबर 2021- न्यायालय ने फैसला सुरक्षित किया।
– 04 अक्तूबर 2021- हरमीत को दोषी करार दिया गया।
– 05 अक्तूबर 2021 – हरमीत को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई।

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