वीएस चौहान की रिपोर्ट
क्रिकेट की दुनिया के सबसे नौजवान कप्तानों में से एक . अगर राशिद खान ने बांग्लादेश के खिलाफ एक टेस्ट में कप्तानी नहीं की होती तो आज भी यह रिकॉर्ड इसी खिलाड़ी के नाम होता. यह क्रिकेटर जब स्कूल में पढ़ रहा था तब ही इसे नेशनल टीम में मौका मिल गया था. गजब बात देखिए कि इस क्रिकेटर ने पहले इंटरनेशनल डेब्यू किया और फिर अंडर-19 वर्ल्ड कप और फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला. इस खिलाड़ी का नाम है तातेंदा ताइबू (Tatenda Taibu). जिम्बाब्वे का पूर्व कप्तान. आज ही के दिन यानी 14 मई 1983 को हरारे में तातेंदा ताइबू का जन्म हुआ था. वे गजब के विकेटकीपर और उपयोगी बल्लेबाज थे. जिम्बाब्वे क्रिकेट को उनसे उम्मीद थी कि वे महान खिलाड़ियों में से एक एंडी फ्लॉवर की जगह लेंगे लेकिन देश के अस्थिर हालात और क्रिकेट में राजनीतिक दखलअंदाजी के चलते ताइबू विवादों में आ गए. जैसे उनका करियर शुरू हुआ था वैसे आगे नहीं बढ़ पाया.
यह खिलाड़ी अपने देश की तरफ से आईपीएल खेलने वाला पहला क्रिकेटर रहा है. यह कोलकाता नाइटराइडर्स का हिस्सा था.
तातेंदा ताइबू का कद पांच फीट के आसपास था. लेकिन विकेटों के पीछे वे काफी चपल थे. 2001 में उन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों फॉर्मेट में जिम्बाब्वे की तरफ से डेब्यू कर लिया था. ताइबु हरारे की चर्चिल बॉयज हाई स्कूल में पढ़ते थे. तब ही उनका जिम्बाब्वे की टीम में चयन हो गया था.वे टीम के साथ वेस्ट इंडीज दौरे पर गए और वहीं उनका डेब्यू भी हो गया. उस समय उनकी उम्र 18 साल थी. 2002 में न्यूजीलैंड में हुए अंडर 19 वर्ल्ड कप में वे जिम्बाब्वे के लिए खेले थे और प्लेयर ऑफ दी टूर्नामेंट रहे थे. 2003 के वर्ल्ड कप में उन्होंने अपनी टीम की ओर से अच्छा खेल दिखाया था. अप्रैल 2004 में जब हीथ स्ट्रीक ने इस्तीफा दिया तो ताइबू टीम के कप्तान बना दिए गए.
ताइबू ने तोड़ा था इस भारतीय का रिकॉर्ड
साल 2004 में जब वे जिम्बाब्वे की टेस्ट टीम के कप्तान बने उस समय उनकी उम्र 20 साल और 358 दिन थी. इसके चलते वे सबसे कम उम्र के टेस्ट कप्तान बने थे. उन्होंने भारत के मंसूर अली खान पटौदी का रिकॉर्ड तोड़ा था. करीब 15 साल तक रिकॉर्ड रहा. फिर जब 2019 में राशिद खान 20 साल 350 दिन की उम्र में अफगानिस्तान के कप्तान बने तो उनका रिकॉर्ड टूटा.
एक साल में छोड़नी पड़ी कप्तानी
ताइबू जिम्बाब्वे के कप्तान बनने वाले पहले ब्लैक मैन थे. कप्तान बनने के बाद जिम्बाब्वे के क्रिकेट बोर्ड और राजनेताओें से उनका काफी टकराव हुआ. उनके परिवार को काफी धमकियां मिलीं. उनकी पत्नी को किडनैप करने की कोशिश की गई. इसके चलते कप्तान बनने के एक ही साल में उन्होंने क्रिकेट छोड़ दिया और संन्यास ले लिया. उन्होंने बांग्लादेश, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से शरण मांगी. आखिरकार वे इंग्लैंड में जाकर रहे.