वन विभाग की टीम ने (एफआरआई) क्षेत्र से सटे इलाके में दुर्लभ प्रजाति के सांप ब्रोंजबैक ट्री को पकड़ा है। टीम ने सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया।  ब्रोंजबैक ट्री स्नेक ज्यादातर पेड़ों की डालियों पर रहता है और बंदरों की भांति एक से दूसरी डाल के बीच लंबी छलांग लगाता है। इसी वजह से इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।

वीएस चौहान की रिपोर्ट

दुनिया में सांपों की अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं.  कुछ सांप आकार में बहुत बड़े होते हैं .कुछ बहुत जहरीले होते हैं .कुछ  सांप एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर उड़कर छलांग लगा देते हैं .  इन को उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है देहरादून वन विभाग की टीम ने वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई)  क्षेत्र से सटे इलाके में दुर्लभ प्रजाति के सांप ब्रोंजबैक ट्री को पकड़ा है। टीम ने सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया।  इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।

जानकारी के अनुसार, बुधवार सुबह दो छात्राएं बुधवार को एफआरआई से सटे इलाके से होते हुए स्कूल जा रहीं थी। इसी बीच छात्राओं ने एक सांप देखा जो थोड़े अंतराल पर एक पेड़ पर लंबी छलांग लगा रहा था।

इस अजीबोगरीब सांप को देखने के लिए मौके पर भीड़ जमा हो गई। सूचना पर प्रभागीय वनाधिकारी राजीव धीमान के निर्देश पर वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और सांप को सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया।

जानकारों का कहना है कि ब्रोंजबैक ट्री स्नेक ज्यादातर पेड़ों की डालियों पर रहता है और बंदरों की भांति एक से दूसरी डाल के बीच लंबी छलांग लगाता है। इसी वजह से इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।

भारतीय वन्यजीव संस्थान के सरीसृप विज्ञानी डॉ. अभिजीत दास के मुताबिक ब्रोंजबैंक ट्री स्नेक के पेट पर लंबी नीली धारियां होती हैं, जो मेंढक, छिपकली और कीड़े मकोड़ों को आकर्षित करने का काम करती हैं।शिकार के बेहद नजदीक आने के साथ ही ब्रोंजबैक ट्री स्नेक उसे शिकार बना लेता है।

गिरगिट की तरह यह सांप भी रूप बदलने में माहिर होता है।  खतरा होने पर यह अपना शरीर बेहद पतला कर लेता है। और अपना रंग भी बदल लेता है और यह सांप वृक्ष की डालियों से ऐसे चिपक जाता है जैसे वह  वृक्ष की डाली का ही हिस्सा हो। उन्होंने बताया कि ब्रोंजबैक ट्री स्नेक जहरीला नहीं होता।  वैसे ब्रोंजबैक ट्री स्नेक जहरीला नहीं होता और इसका सिर चौड़ा व चपटी गोल थूथन होती है।

इसकी आंखें अन्य सांपों की तुलना में थोड़ी और बाहर की ओर निकली हुई होती हैं। यह सांप भारत के अलावा पर म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान, समेत एशिया के कई देशों में पाया जाता है।

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