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लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जिला देहरादून और हरिद्वार सबसे ज्यादा संवेदनशील है। दून में सबसे ज्यादा अति संवेदनशील और हरिद्वार में सबसे ज्यादा संवेदनशील बूथ हैं। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि भारत निर्वाचन आयोग ने संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों के चिह्निकरण के निर्देश दिए हैं। राज्य में अब तक 1365 संवेदनशील बूथ, 809 अति संवेदनशील बूथ चिह्नित किए गए हैं।
अति संवेदनशील बूथ की श्रेणी में ऐसे बूथ आते हैं, जिनमें पूर्व में निर्वाचन के दौरान कोई घटना हुई हो, जिसमें आपराधिक मामला शामिल हो। वहां पर कोई गंभीर घटना या अपराध घटित हुआ हो, जिससे चुनाव बाधित हुआ हो। आयोग ने क्रिटिकल बूथ के भी मानक तय किए हैं।
यदि किसी बूथ में पिछले चुनाव में 10 प्रतिशत से कम मतदान हुआ हो तो उसे संवेदनशील की श्रेणी में रखा गया है। ऐसे बूथ जिनमें गत वर्ष 90 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है और उसमें से 75 प्रतिशत से अधिक वोटिंग किसी एक ही प्रत्याशी के पक्ष में हुई हो, उसे भी संवेदनशील की श्रेणी में चिह्नित किया गया है।
अगर किसी बूथ पर मतदान के दिवस पर औसत से अधिक लोगों ने एपिक के अलावा अन्य दस्तावेजों का प्रयोग किया है, तो उस बूथ को भी संवेदनशील बूथ की श्रेणी में चिन्हित किया जाता है। संवेदनशील और अति संवेदनशील बूथों के चिह्निकरण की कार्रवाई सेक्टर ऑफिसर और सेक्टर पुलिस ऑफिसर के माध्यम से की जाती है।
अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चिह्नित अति संवेदनशील बूथों में विशेष रूप से ध्यान रखने के लिए पुलिस बल और अर्द्ध सैन्य बलों की तैनाती की जाएगी। क्रिटिकल बूथों पर माईक्रो आर्ब्जवर की तैनाती, वेबकास्टिंग और वीडियोग्राफी की व्यवस्था, अतिरिक्त मतदान टीम की व्यवस्था की जाएगी। राज्य में सर्वाधिक संवेदनशील 344 बूथ हरिद्वार में, 278 बूथ देहरादून में और 158 बूथ ऊधमसिंह नगर में 158 चिह्नित किए गए हैं। वहीं सबसे ज्यादा 243 अति संवेदनशील बूथ देहरादून, 229 ऊधमसिंह नगर में और 201 नैनीताल जिले में चिह्नित किए गए हैं। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में इन बूथों की संख्या घट-बढ़ सकती है।