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महाशिवरात्रि का पर्व शुक्रवार को पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शिव मंदिरों में भक्तों की लंबी कतार देखने को मिल रही है। भक्त बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करके अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर रहे हैं। शिव भक्त कावड़ियों का उत्साह भी देखते ही बन रहा है। महाशिवरात्रि पर उत्तराखंड के सभी शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। देहरादून में प्राचीन टपकेश्वर शिव मंदिर में देर रात से ही भक्तों ने जलाभिषेक शुरू कर दिया था। शिव भक्त कावड़ियों ने भी देर रात टपकेश्वर मंदिर पहुंचकर बारी-बारी से जलाभिषेक किया।
भक्तों की संख्या को देखते हुए पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। टपकेश्वर मंदिर के करीब 400 सेवादार महाशिवरात्रि की व्यवस्था देख रहे हैं। सीसीटीवी से भी निगरानी की जा रही है।
देहरादून शहर से करीब छह किलोमीटर दूर ऐतिहासिक श्री टपकेश्वर महादेव मंदिर गढ़ी कैंट छावनी क्षेत्र में तमसा नदी के तट पर स्थित है। यहां गुरु द्रोणाचार्य के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने दर्शन दिए।गुरु द्रोण के अनुरोध पर ही भगवान शिव जगत कल्याण को लिंग के रूप में स्थापित हो गए। इसके बाद द्रोणाचार्य ने शिव की पूजा की और अश्वत्थामा का जन्म हुआ।
यह एक प्राकृतिक गुफा मंदिर है। यह गुफा ‘द्रोण गुफा’ के नाम से भी प्रसिद्ध है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अश्वत्थामा ने मंदिर की गुफा में छह माह एक पांव पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान प्रकट हुए तो उनसे दूध मांगा।इस पर प्रभु ने शिवलिंग के ऊपर स्थित चट्टान में गऊ थन बना दिए और दूध की धारा बहने लगी।इसी कारण से भगवान शिव का नाम दूधेश्वर पड़ गया। कलियुग में दूध की धारा जल में परिवर्ति हो गई, जो आज भी निरंतर शिवलिंग पर गिर रही है। इस कारण इस स्थान का नाम टपकेश्वर पड़ गया। यह टपकेश्वर धाम, टपकेश्वर मंदिर और टपकेश्वर महादेव मंदिर के रूप में विभिन्न नामों से लोकप्रिय है।
टपकेश्वर महादेव मंदिर के दिगंबर भरत गिरी महाराज बताते हैं कि पूर्णिमा के दिन महादेव का दूधेश्वर के रूप में शृंगार किया जाता है। क्योंकि इसी दिन अश्वत्थामा को महादेव ने दर्शन दिए थे। यहां जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, शिव उसकी मनोकामना पूरी करते हैं। महादेव की महिमा टपकेश्वर रूप में अपरंपार है।
शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं की कई किलोमीटर तक लाइन लगती है।टपकेश्वर महादेव मंदिर का नाम सुनते ही मन में भगवान शिव के शरण में जाने की अनुभूति होती है। देहरादून के इस मंदिर के दर्शन करने के लिए राज्य ही नहीं देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था के साथ पहुंचते हैं।