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उत्तराखंड राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने हल्द्वानी हिंसा में घायल हुईं महिला पुलिसकर्मियों से मुलाकात की और उनका हाल जाना. इस दौरान महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रो कर महिला आयोग की अध्यक्ष को आपबीती सुनाई. महिला पुलिसकर्मियों की बात सुनकर एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा भी भावुक हो गए.
8 फरवरी को हुई हिंसा में कई लोगों की जान गई थी और 300 से ज्यादा पुलिस के जवान, नगर निगम और सरकारी कर्मचारी घायल हुए थे. महिला पुलिसकर्मियों के हाथ, पैर फ्रैक्चर हुए. राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष के सामने जख्मी महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रोकर अपना दर्द बयां किया.
कुसुम कंडवाल ने कहा कि आयोग अपने स्तर पर सारी बातें और साक्ष्य जुटाकर मुख्यमंत्री के समक्ष रखेगा. पत्थरबाजी करने वालों को चिन्हित किया जाना चाहिए. इस मामले में शामिल किसी भी अपराधी को बक्शा नहीं जाना चाहिए.
महिला कांस्टेबल रुचि दत्त जोशी ने अध्यक्ष कुसुम कंडवाल को बताया कि हिंसा के वक्त वह थाने में थे. बच्चे भी आकर बोल रहे थे कि मां का दूध पिया है बाहर आओ. यहां कोई जिंदा नहीं निकल पाएगा. 10 मिनट के अंदर हमें मदद नहीं मिलती है तो वह हमें जिंदा जला दिया जाता. मैंने तो अपने पति को भी बोल दिया था कि हम लोग यहां जिंदा जलने वाले हैं, घरों की छतों से हम पर फायरिंग हो रही थी. हर तरफ आग लगी हुई थी उस दिन हमने मौत को लाइव देखा. अब जाकर हम नॉर्मल हुए हैं.
इसके अलावा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल ने कहा कि हिंसा में महिला पुलिसकर्मियों को टारगेट कर उपद्रवियों ने उनके साथ बर्बरता की है, उसको माफ नहीं किया जा सकता है. उन्होंने एसएसपी प्रह्लाद नारायण मीणा को निर्देशित किया कि हिंसा के जो भी आरोपी हैं, उनको चिन्हित कर उनके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाए. ताकि, भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो. आभार aajtak.in