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मजबूरी और दो वक्त की रोटी के लिए इंसान क्या नहीं करता है. लेकिन जब इसी दो वक्त की रोटी को पाने के लिए अहिंसा नगरी महावीर जी में दो मासूम बच्चियां मोटी रस्सी पर अपने पैरों से चलने लगती है तो उनके इस जोखिम भरे खेल को देखकर भले ही रोड पर चलने वाले लोगों के पैर थम जाते हैं. लेकिन इन दो बहनों के पैर रस्सी पर भी चलने के दौरान नहीं थमते हैं. जब तक यह मासूम बच्चियां एक पार से दूसरी पार अपनी मंजिल तक नहीं पहुंचती हैं. तब तक इस जोखिम भरे खेल को देख रहे लोगों की नजर इन मासूम बच्चियों पर ही टिकी रहती है.
रस्सी पर किसी को चलते (Walking on Rope) देखना जितना मजेदार लग सकता है उतना ही ये खतरनाक भी होता है. एक छोटी सी चूक हो जाने पर जान भी जा सकती है. यूं तो हर किसी के बस की बात नहीं है कि वो ऐसे करतब को कर सके मगर दुनिया में एक ऐसा गांव है जहां का रहने वाला हर शख्स इस अनोखी कला में महारथ हासिल किए हुए है. हम बात कर रहे हैं रूस के एक गांव (Russian Village) की जहां का हर नागरिक रस्सी पर चलने की कला (Walking on Tightrope) जानता है.
रूस (Russia) में पहाड़ों के बीच स्थित छोटा सा गांव सोवाक्रा-1 (Tsovkra-1) दुनिया में काफी फेमस है. वो इसलिए कि यहां का हर एक शख्स रस्सी पर चलने (Tightrope walk) का हुनर जानता है. जानकारी के लिए बता दें कि गांव के नाम के आगे ‘1’ अंक इसलिए लगा है क्योंकि इसी नाम से रूस में एक और गांव भी है. हैरानी की बात ये है कि कोई भी नहीं जानता है कि रस्सी पर चलने की प्रथा कब से यहां शुरू हुई है मगर गांव में शरीर से स्वस्थ हर आदमी अनोखा करतब कर सकता है.
माना जाता है कि गांव के लोगों में रस्सी पर चलने की प्रथा पिछले 100 साल से जारी है. पुरुष, स्त्री, बच्चे समेत बूढ़े भी इस कला के बारे में जानते हैं. इस गांव के कई लोग तो सर्कस में भी काम करते हैं.