यूसीसी बिल विधानसभा में पेश करने पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटी।नेताप्रतिपक्ष यशपालआर्य और कांग्रेस प्रदेशअध्यक्ष करनमाहरा ने कहा..?

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उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पटल पर रखा तो विधानसभा में विधायकों ने “वंदे मातरम और जय श्री राम” के नारे लगाए गए।

विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा के पटल पर समान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया। इसकी खुशी में भाजपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया।

प्रदेश पार्टी मुख्यालय में बड़ी संख्या में जुटे कार्यकर्ताओं ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाई और शुभकामनाएं दीं। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के समर्थन में जमकर नारे लगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश कर धामी सरकार ने इतिहास रच दिया। यूसीसी से राज्य की महिलाओं और बच्चों को समान अधिकार मिलेगा। उन्होंने इसे देवभूमि से एक राष्ट्र एक कानून के शुभारंभ बताया। कहा कि महिला सशक्तीकरण को अधिक प्रभावी करने के लिए देवभूमि से यह सुखद संदेश है।

कानूनी समानता के अधिकार जैसे अच्छे काम शुरुआत के लिए देवभूमि से बेहतर स्थान कोई हो नहीं सकता था। उन्होंने कहा कि जो लोग गलतफहमी पैदा करने और भ्रम फैलाने का काम कर रहे थे, उन्हें भी अहसास हो गया होगा कि यह कानून हिंदू-मुस्लिम के वाद-विवाद और बहुसंख्यक अल्पसंख्यक जैसे शब्दों से परे है। इस प्रगतिशील कानून से राज्य के अंदर महिलाओं और बच्चों को भी वे सभी अधिकार मिल जाएंगे। जिनसे उन्हें विगत 75 वर्षों से वंचित रहना पड़ा। इस कानून से उन्हें दिक्कत होने वाली है जो बहु विवाह की मंशा रखते हैं।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा

दूसरी तरफयूसीसी बिल को लेकर उत्तराखंड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि हम लोग इसका विरोध नहीं कर रहे हैं। बल्कि हम तो चाहते हैं कि सदन संवैधानिक प्रक्रिया और नियमावली के अनुसार चले। जो उसके अनुसार चलता है। भाजपा इसकी लगातार उपेक्षा कर रही है।

करन माहरा ने यूसीसी ड्राफ्ट पर उठाए सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए यूसीसी ड्राफ्ट पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे राजनीतिक एजेंडा बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को इस तरह का कानून बनाने का हक ही नहीं है। कहा कि 400 पेज के ड्राफ्ट पर बहस करना तो दूर पढ़ना भी मुश्किल है। प्रदेश सरकार इस सत्र को विशेष सत्र का नाम दे रही है।

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