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उत्तराखंड में जिस तरह से लगातार भारी बारिश हो रही है इस कारण पहाड़ों में मार्गों पर चट्टान खिसक रही है. चट्टान खिसकने से कई जगह रास्ते बंद हो गए. क्योंकि भारी बारिश के चलते पहाड़ी क्षेत्रों में पानी का कटाव जारी रहता है. ऐसे में अचानक पहाड़ खिसकने की घटनाएं हो जाती है जिसके कारण हादसा होने का खतरा बना रहता है.कई वर्षों के मुकाबले इस साल मानसून के समय अत्यधिक बारिश हो रही है। इससे मनसा देवी पर्वत माला क्षेत्र में कई जगह भूस्खलन हो रहा है। हिल बाईपास का एक बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है।
उत्तराखंड की तीर्थ नगरी हरिद्वार में पौराणिक मंदिर मनसा देवी और उसकी शिवालिक पर्वतमाला खतरे के मुहाने में खड़ी है। मानवीय गतिविधियों के बढ़ते दबाव के कारण यह पहाड़ी कभी भी अपने अस्तित्व को खो सकती है। 25 साल से यह पहाड़ी लगातार दरक रही है। सरकारी टीमें आती हैं। इस पहाड़ी का मौका मुआयना करती हैं। लंबी-चौड़ी रपट प्रशासन को सौंप देती हैं। फिर यह रपट सरकारी फाइलों में धूल फांकती रहती है।
2013 में केदारनाथ हादसे के बाद मनसा देवी पर्वतमाला के अस्तित्व को लेकर कई सवाल उठे थे। सरकारी जांच एजंसियों के अलावा कई निजी संस्थाओं तथा आइआइटी रुड़की ने भी इस पर्वतमाला को बचाने के लिए कई सुझाव दिए थे।
बीते दिनों भारी बारिश के कारण पर्वतमाला को भारी नुकसान हुआ और कई स्थानों पर यह धंस गई।पर्वतमाला का एक बड़ा हिस्सा हर की पैड़ी के पास भीमगोड़ा क्षेत्र से सटी हुई रेलवे की पटरी में गिर गया था। तब जाकर पर्वतमाला का हाल-चाल जानने के लिए स्थानीय जिला प्रशासन के आला अधिकारियों से लेकर राज्य के कैबिनेट मंत्री तथा कई सरकारी जांच एजंसियां क्षेत्र के भ्रमण पर आ गई थी। इस पर हो रहे भूस्खलन को लेकर लंबी चौड़ी बातें कही गई, परंतु धरातल पर देखने को कुछ नहीं है।
रुड़की आइआइटी से लेकर गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय तथा अन्य क्षेत्रों में पर्यावरण और उत्तराखंड के बदलते मौसम के मिजाज की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि यदि पर्वतमाला में इसी तरह से लगातार अतिक्रमण और पेड़ों का कटान होता रहा तो 25 साल में इसका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा। पर्यावरणविदों के अनुसार मनसा देवी मंदिर जिस पर्वत पर है, वह भी झुक रहा है।
मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष और श्री अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज कहते हैं कि जिस तरह से मनसा देवी पर्वत माला पर लगातार भूस्खलन हो रहा है, उससे मंदिर की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है। यदि इसी तरह लापरवाही बढ़ी तो वह दूर दिन दूर नहीं जब मनसा देवी मंदिर की पहाड़ी टूट कर हर की पैड़ी की तलहटी में आ जाएगी।
उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के संयुक्त दल ने मनसा देवी के पहाड़ में पांच किलोमीटर की दूरी में 20 नए भूस्खलन स्थलों को चिह्नित किया है। इस दल ने पाया है कि पहाड़ में भूस्खलन स्थलों की तादाद लगातार बढ़ रही है। यह संयुक्त दल नए और पुराने भूस्खलन स्थलों का गहनता से अध्ययन कर अपनी रपट तैयार करेगा, हालांकि भूस्खलन स्थलों में बढ़ोत्तरी बड़ी चिंता का विषय है।
यूएलएमएमसी के निदेशक डा शांतनु सरकार के नेतृत्व में विशेषज्ञों के दल ने दो बार मनसा देवी मंदिर पहाड़ी का सर्वेक्षण किया। यूएलएमएमसी के निदेशक डा शांतनु सरकार ने बताया भूस्खलन स्थलों को चिन्हित किया गया है और बरसात के बाद पहाड़ की जांच के लिए पत्थर, मिट्टी के नमूने लेने और भू-भौतकीय जांच की प्रकिया शुरू की जाएगी। मेडराक्स की बनी इन पहाड़ियों पर चार पांच जगह ऐसी हैं ,जहां से लगातार भूस्खलन हो रहा है।इससे आबादी के लिए एक बड़ा खतरा बना हुआ है।
मनसा देवी पर्वतमाला का छह किलोमीटर का रास्ता अवैध अतिक्रमण का शिकार है। हरिद्वार के ब्रह्मपुरी से लेकर भीमगोडा तक सात अवैध बस्तियां मनसा देवी पर्वतमाला की तलहटी पर बनी हुई हैं। ये सभी बस्तियां मनसा देवी पहाड़ को खोदकर बनाई गई हैं। इस कारण से मनसा देवी पर्वतमाला लगातार अपनी जड़ से कमजोर हो रही है।
मनसा देवी मंदिर पर्वतमाला की तलहटी पर बनी अवैध बस्तियां ब्रह्मपुरी, जोगिया मंडी, काशीपुरा, भीमगोड़ा, खड़खड़ी, गंगा महादेव नगर हैं और हर की पैड़ी के आसपास का क्षेत्र अपर रोड, पुरानी एवं नई सब्जी मंडी, विष्णुघाट, रामघाट, मुख्य बाजार, मोती बाजार, बड़ा बाजार, हरकी पैड़ी, श्रवणनाथ मठ, कुुशावर्तघाट, गऊघाट और सुभाषघाट को मनसा देवी पर्वतमाला में लगातार हो रहे भूस्खलन से खतरा बना हुआ है ।
जिलाधिकारी के मुताबिक मनसा देवी पर्वतमाला का विशेषज्ञों के विभिन्न दलों द्वारा संयुक्त रूप से निरीक्षण कराया गया है।उनकी रिपोर्ट आने के बाद इस पर्वतमाला का अस्तित्व बचाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जाएगा।
मनसा देवी पर्वतमाला की भार ढोने की क्षमता लगातार कम हो रही है। इस पहाड़ी पर लगातार दबाव बढ़ रहा है।साथ ही मनसा देवी पहाड़ी में मंदिर में जो मीठा प्रसाद, दूध और जल चढ़ाया जाता है वह पहाड़ में लगातार जाता है और इस दूध और मीठे प्रसाद के मिलने से जो जो रासायनिक प्रतिक्रिया होती है उससे भी यह पहाड़ लगातार कमजोर हो रहे हैं।
मनसा देवी पर्वतमाला में वनों का अवैध कटान और इसकी तलहटी पर लगभग 6 से 7 किलोमीटर तक के क्षेत्र में अवैध बस्तियों का बनना अत्यंत खतरनाक है। यदि इन सब गतिविधियों को तुरंत नहीं रोका गया तो आने वाले समय में कभी भी मनसा देवी का पहाड़ हजारों लोगों के जीवन को लील सकता है। 15 हजार से ज्यादा आबादी मनसा देवी पर्वतमाला की तलहटी पर बनी अवैध बस्तियों में रहती है और मनसा देवी पर्वतमाला से हर की पैड़ी को भी खतरा बना हुआ है।