बारिश के बीच नमी और उमस बढ़ने के साथ लोग कंजक्टिवाइटिस की चपेट में आ रहे हैं। 1सप्ताह में मरीजों की संख्या तीन गुना.

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बारिश के बीच नमी और उमस बढ़ने के साथ लोग कंजक्टिवाइटिस की चपेट में आ रहे हैं। जिला अस्पताल की ओपीडी में एक सप्ताह में कंजक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या तीन गुना हो गई है। इनमें अधिकांश मामले वायरल संक्रमण के हैं। नेत्र रोग विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार मामले तेजी के साथ बढ़ रहे हैं, हालांकि हरिद्वार में अब तक संक्रमण के मामलों में नए वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है।

जिला अस्पताल की नेत्र रोग की ओपीडी में रोजाना करीब 55 से 60 मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें 25 से 30 मरीज कंजक्टिवाइटिस के हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पिछले एक सप्ताह के दौरान कंजक्टिवाइटिस मरीजों की संख्या 8-10 थी, लेकिन अब अचानक यह संख्या तीन गुना तक पहुंच गई है। जिला अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉ. एसके सोनी ने बताया कि अधिकांश मामले सामान्य रूप से पाए जाने वाले एडिनोवायरस के ही हैं। बताया कि इसको पिंक आई भी बोला जाता है। बताया कि अभी वायरस के नए वैरिएंट जैसी कोई बात सामने नहीं आई है। कहा कि उपचार के बाद मरीजों को आराम भी मिल रहा है।

सीएमओ डॉ. मनीष दत्त ने जिले के सभी अस्पतालों को ईमेल के माध्यम से पत्र भेजकर कंजक्टिवाइटिस के मामलों की जानकारी ली है। अस्पतालों की ओर से सीएमओ को ओपीडी की संख्या, संक्रमण का प्रकार, मामलों की बढ़ोत्तरी आदि की जानकारी दी गई है। सीएमओ ने बताया कि अभी कहीं भी वायरस के नए वैरिएंट का मामला सामने नहीं आया है। उन्होंने बताया कि संक्रमण को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। मानसून के दौरान सामान्य तौर पर आंखों का संक्रमण होता है। कहा की केवल दूसरों का तौलिया या रुमाल प्रयोग न करने, आंखों पर बार बार हाथ न लगाने, बार बार हाथ धोने और संक्रमण होने पर आंखों पर चश्मा लगाने जैसी एहतियात बरतनी है।

कंजंक्टिवाइटिस क्या है?
आंख की बाहरी झिल्ली और पलक के भीतरी हिस्से में सूजन या संक्रमण.
कंजंक्टिवाइटिस या आंख आना, कंजक्टिवा नाम की आंख की परत की जलन या सूजन है, जो आंख की पुतली के सफेद हिस्से को प्रभावित करती है. यह एलर्जी या बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण के कारण हो सकता है. कंजंक्टिवाइटिस अत्यंत संक्रामक हो सकता है, और यह संक्रमित व्यक्ति की आंख से बहने वाले पानी के संपर्क से फैलता है.

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