दिल्ली के कई हिस्से अभी भी जलमग्न हैं। दिल्ली यमुना नदी में आई बाढ़ आखिर क्यों? एक्सपर्ट ने बताई अहम वजह.

Saurabh CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

दिल्ली में 10 से 13 साल की उम्र के तीन बच्चे शुक्रवार दोपहर को उत्तर पश्चिमी दिल्ली के मुकुंदपुर चौक के पास बाढ़ में डूब गए।

यमुना का जल स्तर धीरे-धीरे कम होना शुरू हो गया है पर दिल्ली के कई हिस्से अभी भी जलमग्न हैं। सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) को शुक्रवार को काम में लगाया गया क्योंकि बाढ़ के पानी में राजधानी के कुछ प्रमुख हिस्से रिंग रोड, आईटीओ जलमग्न हो गए थे। खराब रेगुलेटर के कारण वॉटर फ्लो के बाद पानी सुप्रीम कोर्ट, लाल किला और राजघाट तक पहुंच गया है।

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने शुक्रवार देर रात कहा कि सेना ने यमुना नदी के तेज बहाव के कारण इंद्रप्रस्थ के निकट क्षतिग्रस्त हुए वॉटर रेगुलेटर की मरम्मत का काम पूरा कर लिया है। उपराज्यपाल ने ट्वीट किया कि मजदूर कर्मियों, भारतीय सेना के जवानों और अधिकारियों को नमन। उनके अथक प्रयास और परिश्रम से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमारत के सामने यमुना का तटबंध ठीक किया जा सका और आईटीओ बैराज पर गाद से जाम द्वार को खोला जा सका।

दिल्ली में यमुना में आई बाढ़ ने कई सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. बाढ़ के पानी में दिल्ली के कई इलाके डूब गए. इसमें लाल किले का इलाका भी शामिल है.

यमुना ने यह जता दिया कि नदी वापस अपने इलाके में आती है. कभी यमुना बिलकुल लाल किले से सटे इलाके जहां आज राजधानी की सबसे बड़ी सड़क रिंग रोड है, वहां से गुजरती थी. आजतक ने तमाम इतिहासकारों और पुरानी दिल्ली के जानकारों से समझने की कोशिश की कि कभी यमुना कहां बहती थी.

लाल किले का इतिहास यमुना नदी से जुड़ा है. इतिहासकार बताते हैं कि जब आगरा से राजधानी को दिल्ली लाया गया तो दो विकल्प थे-एक लाहौर और दूसरा दिल्ली लेकिन यमुना की वजह से ही दिल्ली पहली पसंद बनी. इतिहासकार और लेखिका राना सफ्वी बताती हैं- मेरे उम्र के लोग यानी महज कुछ दशक पहले तक लोग बताते हैं कि यमुना लालकिले के नजदीक से ही गुजरती थी. यमुना की बाढ़ ने ये सवाल भी खड़ा किया है कि नदी की पेटी यानी रिवर बेड में लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण की वजह से नदी अपना रास्ता बदल रही है. 1978 में जब दिल्ली में बाढ़ आई तब भी एजेंसियों ने हालात बदलने की कोशिश की लेकिन यमुना ने इस साल घर वापसी की और लालकिले के पास आ गई.

इतिहासकार और लेखिका राना सफ्वी बताती हैं कि जिस समय राजधानी बनाने के लिए दिल्ली को चुना जा रहा था, तब शाहजहां के करीबियों ने उन्हें सलाह दी थी कि लाहौर में नदी नहीं है, इसलिए लाल किले को यमुना के किनारे बनाया जाए.

– पुरानी दिल्ली के जानकार फिरोज बख्त अहमद बताते हैं कि ऐसा कहा जाता है कि जब बुनियाद लाल किले की रखी गई, तब मलेशिया से मंगवाई गई लकड़ी वहां डाली गई थी, इसलिए लाल किले की बुनियाद काफी मजबूत है.

– लेखक और इतिहासकार शशांक शेखर सिन्हा बताते हैं कि यमुना नदी शुरू से ही चंचल नदी रही है, जो रुख बदलती रही. अगर पांडवों की राजधानी की बात करें तो वो पुराना किला के आस-पास थी. पाषाण काल में यमुना वल्लभगढ़ के पास अरावली श्रृंखला से निकलकर पूर्व की तरफ जाती थी. दिल्ली में पुराने पैलियो चैनल देखते हैं तो नजफगढ़, सूरजकुंड और बटकल में भी दिखते हैं.

लेखक और इतिहासकार शशांक शेखर सिन्हा का कहना है कि ऐसा नहीं है कि यमुना की पेटी यानी रिवर बेड पिछले एक सदी में बहुत ज्यादा बदली हो. इतिहास में तो अंग्रेजों की राजधानी कोलकाता से दिल्ली आने का इतिहास भी यमुना से ही जुड़ा है. ऐसा बताया जाता है कि तब मौजूदा बुराड़ी के पास ही अंग्रेज अपनी राजधानी यमुना के किनारे बनाना चाहते थे, जो प्लान बाद में बदल दिया गया और उसकी वजह भी यमुना की बाढ़ ही थी. राजधानी तब नई दिल्ली ले जाई गई.

दिल्ली में पहले भी आ चुकी है बाढ़

दिल्ली में साल 1900 के बाद कई बड़ी बाढ़ आईं. 1924, 1947, 1976, 1978, 1988, 1995, 2010, 2013 में दिल्ली के तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया. अब 2023 में यमुना के जलस्तर ने 1978 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. रिसर्च के अनुसार, 1963 से 2010 तक का एनालिसिस बताता है कि दिल्ली में सितंबर में बाढ़ आने की प्रवृत्ति बढ़ती है और जुलाई में बाढ़ घटने के संकेत मिलते हैं.

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