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उत्तरकाशी के खूबसूरत गंगोत्री नेशनल पार्क खुलते ही देश विदेशों से पर्यटक गोमुख , तपोवन , नेलांग वैली, गर्तांगली की सैर कर रहे हैं. इसकी धार्मिक यात्रा से जुड़ा गोमुख तपोवन ट्रैक के साथ यहां केदारताल, जनकताल, कालिंदीखाल ट्रैक पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं. इन खूबसूरत पर्यटन स्थलों से सरकार की आय अच्छी होती हैं, जिस पर गंगोत्री नेशनल पार्क इसकी देखरेख अच्छी तरह करता हैं.
जानकारी के अनुसार 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भारत-चीन सीमा के पास स्थित दुर्गम नेलांग घाटी को नागरिकों के लिए बंद कर दिया गया था. हालांकि, साल 2015 में इसे नागरिकों के लिए खोल दिया गया. यह मार्ग कभी प्राचीन भारत-तिब्बत व्यापार का एक हिस्सा था, लेकिन 1962 के युद्ध के बाद, नेलांग घाटी के निवासी रोंग पास जिन्हें ‘भोटिया’ भी कहा जाता है, उत्तरकाशी में स्थित बागोरी गांव में पलायन कर गए थे. जब स्थानीय लोगों ने उस जगह को खाली कर दिया, तो गांवों में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस चौकियों की स्थापना की गई. यहां अब भी प्राचीन व्यापार मार्ग के अवशेषों को देखा सकता है.
नेलांग घाटी का स्थान नेलांग घाटी समुद्र तल से 11,009 फीट की औसत ऊंचाई पर स्थित है और भारत-तिब्बत सीमा से 45 किमी पहले स्थित है. यह उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के अंतर्गत आता है और यहां देहरादून से आसानी से पहुंचा जा सकता है. नेलांग घाटी तक भैरों घाटी या भैरव घाटी के रास्ते से पहुंचा जा सकता है, जो यहां से केवल 24 किमी और उत्तरकाशी शहर से लगभग 100 किमी दूर है.
नेलांग घाटी तक पहुंचने का सड़क मार्ग
नेलांग घाटी उत्तरकाशी जिले का सबसे गुप्त रहस्य है. यहां सुंदर घाटी हर्षिल के पास स्थित है और देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार जैसी मोटर योग्य सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है. भैरव घाटी पहुंचने पर वन विभाग की जीप आपको नेलांग घाटी ले जाएगी. आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या यहां से सुबह-सुबह एक साझा वाहन ले सकते हैं और गंगोत्री मंदिर से कुछ किलोमीटर दूर भैरों घाटी पहुंच सकते हैं.