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दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य आने वाले समय में और गति पकड़ सकता है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से इसके लिए यूपी सरकार से रात में भी काम जारी रखने की अनुमति मांगी गई है। सूत्रों की अनुसार, यूपी शासन की ओर से इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है, जिसे अब स्वीकृति के लिए यूपी राज्य वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में रखा जाएगा।
प्रस्ताव पर सहमति मिलते ही परियोजना में दोगुनी गति से काम हो सकेगा। दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेस-वे पर यूपी के गणेशपुर से उत्तराखंड के आशारोड़ी के बीच तीन पैकेज में कुल 19.78 किमी हिस्से में काम किया जा रहा है। इनमें से करीब साढ़े तीन किमी हिस्सा उत्तराखंड की सीमा में पड़ता है। राजाजी टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे इस हिस्से में वन्यजीवों की कम आवाजाही से रात के समय काम करने की अनुमति पहले ही मिल चुकी है।
परियोजना से जुड़े अफसरों का कहना है कि उत्तराखंड के हिस्से में तय समय सीमा समय (31 मार्च 2024) से करीब छह माह पहले सितंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। 26 मार्च को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक्सप्रेसवे के तहत उत्तराखंड के हिस्से में चल रहे कार्यों का निरीक्षण किया तो यह बात निकलकर सामने आई कि यूपी वाले हिस्से में रात में काम करने की अनुमति न मिलने से काम की रफ्तार कुछ धीमी है। इस पर सीएम ने यूपी के सीएम से बातचीत करने का आश्वासन दिया था।
गणेशपुर से आशारोड़ी के बीच 19 किमी के पूरे हिस्से में राजाजी टाइगर रिजर्व का हिस्सा पड़ता है। इसमें से यूपी वाले हिस्से में वन्यजीवों की अधिक आवाजाही से अभी तक इस हिस्से में रात में काम करने की अनुमति नहीं दी गई है। काम शुरू करने से पहले केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन की ओर भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) की ओर से रिपोर्ट मांगी गई थी। डब्ल्यूआईआई वन्यजीवों के संभावित गलियारों में कई जगह टैप कैमरा लगाकर तीन माह तक अध्ययन किया। इसके बाद संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रात में परियोजना पर काम करने से वन्यजीवों की आवाजाही प्रभावित हो सकती है।
एनएचएआई के सूत्रों की मानें, तो यूपी सरकार की ओर से वाइल्ड लाइफ बोर्ड को जो प्रस्ताव भेजा गया है, उसमें रात में काम करने के दौरान वन्यजीवों की आवाजाही बाधित न हो, इसके तमाम उपाय सुझाए गए हैं। प्रस्ताव में कहा गया कि रात में केवल ऐसे हिस्सों में काम किया जाएगा, जहां वन्यजीवों की आवाजाही न के बराबर है। वन्यजीवों के चिन्हित कॉरिडोर को किसी भी स्तर पर नहीं छेड़ा जाएगा। जितनी जल्दी काम पूरा होगा, वन्यजीवों के लिए भी उतना ही अच्छा है।