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21 सितंबर (बुधवार) को राजू का दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में निधन हो गया. रोते को भी हंसा देने की कला में माहिर राजू श्रीवास्तव काफी वक्त से हार्ट पेशेंट थे और उनका ट्रीटमेंट चल रहा था. उनके असमय जाने से उनके परिवार और दोस्तों के साथ ही फैंस भी काफी गमज़दा हैं. काम को लेकर हमेशा अलर्ट रहने वाले राजू श्रीवास्तव अपनी दिल की सेहत को लेकर कई बार लापरवाही बरत लिया करते थे. यही लापरवाही उन्हें हार्ट अटैक आने की वजह भी बनी.राजू श्रीवास्तव के लंबे समय से फैमिली डॉक्टर रहे दिल्ली के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक गुप्ता भी उन्हें लगातार हार्ट हेल्थ को लेकर सलाह देते थे. हालांकि डॉ. गुप्ता की मानें तो राजू किसी की सुनते नहीं थे.
हार्ट अटैक से 3 दिन पहले दी थी ये सलाह
राजू श्रीवास्तव को 10 अगस्त को हार्ट अटैक आया था जिसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. इसके तीन दिन पहले यानी 07 अगस्त को डॉ. विवेक गुप्ता ने अपने घर पार्टी रखी थी जिसमें राजू श्रीवास्तव भी पहुंचे. इस मुलाकात के दौरान भी डॉ. गुप्ता ने राजू का हालचाल पूछने के साथ ही उन्हें जिम जाने और ट्रेडमिल पर दौड़ने से मना किया था. बावजूद इसके राजू श्रीवास्तव ने उनकी बात नहीं मानी थी.
दिल के मरीज हैं तो न करें ये गलतियां
– दिल संबंधी बीमारी के शिकार होने पर शरीर का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. हार्ट पेशेंट को जिम जाने से बचना चाहिए. इसके बाद लाइट एक्सरसाइज़ जैसे वॉकिंग, नॉर्मल रनिंग आदि को डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए.– आप अगर हार्ट के मरीज हैं और रोजाना जिम जाते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी हैवी एक्सराइज और ट्रेडमिल पर बिना डॉक्टरी सलाह के न दौड़े. अगर डॉक्टर ने ट्रेडमिल पर दौड़ने का मना किया है तो इसे बिल्कुल न करें.
शेल्बी हॉस्पिटल्स अहमदाबाद के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ शालिन ठाकोर से मिली जानकारी के मुताबिक, “नियमित व्यायाम आपकी हृदय गति को बढ़ाता है, आपके हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और आपके फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाने में सहायता करता है. दूसरी ओर, जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करने और ओवर एग्जर्शन करने को ‘एट्रियल फाइब्रिलेशन’ (Atrial fibrillation) के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है, जिसमें हार्ट रिदम इर्रेगुलर हो जाती है और अगर समय रहते इसका इलाज न कराया जाए तो यह घातक साबित हो सकता है. इसके अलावा, यह संभावित रूप से हृदय संबंधी दिक्कतों के जोखिम को बढ़ा सकता है, विशेष रूप से हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी या कोरोनरी हृदय रोग वाले लोगों के लिए ये और मुश्किल बढ़ा सकता है.