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उत्तराखंड में नए भू कानून को लेकर चर्चा तेज है. नए भू-कानून को लेकर गठित कमेटी ने सरकार को सिफारिश सौंप दी है. नए भू कानून का मुख्य उद्देश्य धर्म के नाम पर अवैध कब्जों को रोकना है. बताया गया कि अगर भू कानून की सिफारिशें जस की तस लागू हुईं, तो उत्तराखंड में धर्म की आड़ में कोई अवैध कब्जा और निर्माण नहीं हो सकेगा. भू कानून कमेटी का तर्क है कि इस सिफारिश के पीछे की वजह देवभूमि की पहचान बरकरार रखना है.
उत्तराखंड में आने वाला भू कानून, कितना सख्त होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा. पर कहा जा रहा कि अगर कमेटी की एक एक सिफारिश जस की तस लागू हुई, तो धर्म के नाम पर जमीनों पर अवैध कब्जे का काम बंद हो सकता है. भू कानून कमेटी ने इसको लेकर रिपोर्ट में सिफारिश की है कि मस्जिद और मजार के नाम पर जो अवैध अतिक्रमण की बातें हो रही हैं, उसे देखते हुए जमीन लेने के लिए पहले डीएम और फिर शासन से परमिशन ली जाए. कमेटी के सदस्य अजेंद्र अजय का कहना है उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत को देखते हुए ये सिफारिश की गई है.
सीएम दिखा चुके हैं सख्ती
देवभूमि में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी सख्त रुख की बात कर चुके हैं. मुख्यमंत्री, राज्य की सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक पहचान बरकरार रखने को लेकर सख्ती दिखा चुके हैं. उन्होंने कहा कि देवभूमि की विरासत के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. पूरे मामले को लेकर पूर्व सीएम निशंक का कहना है कि सरकार कानून पर जो भी फैसला लेगी, सोच समझकर लेगी. निशंक का कहना है कि सैद्धांतिक बात ये है कि उत्तराखंड की 70 प्रतिशत जमीन पर जंगल हैं, और बाकी में आबादी. ऐसे में जरूरत के हिसाब से जमीन कम है.
गौरतलब है कि उत्तराखंड की पहचान मठ मंदिरों वाले धार्मिक राज्य की है. यहां हरिद्वार से लेकर बद्रीनाथ तक दुनिया के करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र हैं. ऐसे में धार्मिक स्थलों के नाम पर अवैध अतिक्रमण रोकने की बात, भू कानून कमेटी की रिपोर्ट में कही गई है. ताकि राज्य की सांस्कृतिक पहचान बरकरार रह सके.