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उत्तराखंड में अभी दो सितंबर तक बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। मौसम विभाग ने पहाड़ी इलाकों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है।मौसम विभाग ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्र में कहीं कहीं हल्की से मध्यम बारिश व तीव्र बौछार का अनुमान लगाया है। बुधवार को चार जिलों में कहीं कहीं भारी बारिश का यलो अलर्ट रखा गया है। मौसम विभाग के अनुसार, राज्य में दो सितम्बर तक बारिश को लेकर यलो अलर्ट की स्थिति बनी रहेगी। 31 को नैनीताल, चम्पावत, ऊधमसिंहनगर, पिथौरागढ़ जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की आशंका है।
एक सितम्बर को नैनीताल, चम्पावत, पिथौरागढ़ जिले में कहीं कहीं भारी बारिश का यलो अलर्ट है। दो को भी कमोबेश यही स्थिति बनी रहेगी। मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि राज्य में पिछले 24 घंटों में मानसून सक्रिय रहा है और राज्य के अनेक हिस्सों में जोरदार बारिश हुई है। दून में 67.2, मसूरी में 162.5, पंतनगर में 49.6, पिथौरागढ़ में 38.2, नैनीताल में 74.5, जौलीग्रांट में 74, खटीमा में 44 व रानीचौरी में 13 एमएम बारिश दर्ज हुई।
दिल्ली-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगातार दूसरे दिन भी वाहनों की आवाजाही प्रभावित रही। हाईवे पर बार-बार मलबा आने के कारण यातायात अवरुद्ध होता रहा और लोगों को जाम के झाम से जूझना पड़ा। हालात यह थे कि जाम खुलवाने के लिए यात्रियों को खुद मोर्चा संभालना पड़ा।
थुनाई-मिहिनिया मोटर मार्ग पर द्वारिकाछीना की पहाड़ी से गिरे मलबे की चपेट में आकर एक अधेड़ की मौत हो गई है। अधेड़ अपनी स्कूटी पर सवार होकर अमतौड़ा गांव की ओर जा रहे थे। पुलिस ने व्यक्ति का शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया है।
मंडलसेरा सलीम अहमद (57) पुत्र अजीज अहमद निवासी पीपलचौक, मंडलसेरा मंगलवार सुबह निजी कार्य से अमतौड़ा की ओर जा रहे थे। पिछले दिनों हुई बारिश से थुनाई-मिहिनिया मार्ग पर कीचड़ जमा था। कीचड़ में उनका वाहन फंस गया। वह वाहन को निकालने की कोशिश करने लगे। अचानक पहाड़ी से मलबा भरभराकर गिरने लगा और सलीम को संभलने का मौका नहीं मिला। भारी मात्रा में गिरे मलबे में वह दब गए।
बागेश्वर-गिरेछीना मोटर मार्ग पर द्वारिकाछीना के पास पहाड़ी कई सालों से खतरनाक बनी हुई है। करीब पांच साल से पहाड़ी कई बार भूस्खलन की जद में आई है जहां पर भूस्खलन हो रहा है वहां पर गिरेछीना सड़क भी बदहाल है। बारिश के दिनों में हालात अधिक खराब हो जाते हैं। गिरेछीना सड़क से मलबा सीधे मिहिनिया सड़क पर गिरता है। सड़क खोलने के दौरान भी मलबा साफ कर नीचे की ओर गिरा दिया जाता है। बारिश होते ही मलबा पानी के संपर्क में आने से नीचे की ओर बहने लगता है। कई बार पूर्व में भी इस सड़क पर वाहन कीचड़ में फंस चुके हैं।