Rajender Singh for NEWS EXPRESS INDIA
देहरादून उत्तराखंड की राजधानी में डेयरी संचालकों के लिए पंजीकरण करवाना अनिवार्य है लेकिन कई डेयरी मालिकों ने अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं कराया है. मानकों के अनुरूप काम न करने वाले संचालकों और पंजीकृत न होने वाली डेयरियों पर कार्रवाई की जा रही है. पशुपालन विभाग की ओर से बनाए गए नए डेयरी एक्ट में यह प्रावधान है कि अगर डेयरी संचालकों ने अपने डेयरी का रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है, तो नगर निगम उनसे 25,000 रुपये तक जुर्माना वसूल सकता है. इसके अलावा बीमार और बूढ़े पशुओं को आवारा सड़कों पर छोड़ने वालों के खिलाफ भी नगर निगम सख्ती बरतेगा. ऐसे लोगों से प्रति पशु के हिसाब से रोजाना 2000 रुपये तक जुर्माना वसूला जाएगा.
देहरादून में करीब 500 से ज्यादा डेयरी हैं, जो मौजूदा वक्त में नगर निगम के लिए मुश्किल पैदा कर रही हैं. कई डेयरी संचालक नालियों में गोबर बहा देते हैं, जिससे नालियां ब्लॉक हो जाती हैं. वहीं कई लोग अपने पशुओं को आवारा सड़कों पर छोड़ देते हैं, जिससे कई बार एक्सीडेंट हो जाते हैं या इन जानवरों की मौत हो जाती है. अब तक डेयरी संचालकों के लिए कोई ठोस नियम नहीं बनाए गए थे लेकिन अब पशुपालन विभाग, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम सख्ती बरत रहा है.
पहचाने जाएंगे, किसके हैं आवारा पशु
देहरादून के अपर नगर आयुक्त जगदीश लाल ने जानकारी दी कि नगर निगम ने डेयरी संचालकों के लिए नए एक्ट की रूपरेखा तैयार कर भेज दी है. हर पशु की पहचान करने के लिए उस पर रेडियोलॉजी माइक्रो चिप लगाई जाएगी, जिसे पशुपालक हटा नहीं सकेंगे. अगर वे सड़कों पर अपने पशुओं को छोड़ भी देते हैं, तो इससे पशुओं के मालिक की पहचान हो जाएगी और फिर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
डेयरी संचालक कमल ने नगर निगम के इस फैसले को अच्छा बताया, तो वहीं दूसरे डेयरी संचालक कमलकांत अरोड़ा ने प्रशासन और नगर निगम से गोबर निस्तारण की अपील की है. उनका कहना है कि आवासीय क्षेत्रों में अब जगह नहीं बची है, जहां गोबर डाला जाए इसलिए निगम उन्हें जगह मुहैया कराए. उन्होंने कहा कि गोबर खुले में डालने पर भी लोगों को मच्छर आदि की दिक्कत होती है.