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उत्तराखंड की महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य आजकल अपने आदेशों और बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं.ताज़ा मामला उनके विभाग के सभी कर्मचारियों, अधिकारियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को शिवालयों पर जल चढ़ाने के आदेश का है. इसे लेकर कांग्रेस हमलावर है तो कई अधिकारी-कर्मचारी असहज हैं.
इससे पहले उनके विभाग ने बरेली स्थित मंत्री के निजी आवास में हो रहे एक धार्मिक आयोजन में शामिल होने के लिए भी आधिकारिक आदेश जारी किया था. इस पर विवाद हुआ तो रेखा आर्य ने कह दिया कि उन्होंने कनपटी पर बंदूक रखकर किसी को आने को नहीं कहा गया है.
महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने 20 जुलाई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लैंगिक असमानता के ख़िलाफ़ हरिद्वार हर की पैड़ी से कांवड़ यात्रा निकालने का ऐलान किया था. इसी दिन उनकी ओर से एक आदेश जारी किया गया था.
इस आदेश में कहा गया कि विभाग ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के समर्थन में एक कांवड़ यात्रा निकालने का फ़ैसला किया है. इसका संकल्प है, “मुझे भी जन्म लेने दो, शिव के माह में शक्ति का संकल्प”.
आदेश में कहा गया है, “इस संकल्प को पूरा करने के लिए 26 जुलाई, 2022 को महिला एवं बाल विकास विभाग के समस्त जनपद के सभी अधिकारी/कर्मचारी, आंगनबाड़ी, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सहायिका अपने नज़दीकी शिवालयों में जलाभिषेक कर इस पुनी संकल्प सहित इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे. कार्यक्रम से संबंधित फ़ोटो विभागीय ईमेल आईडी के साथ समस्त जनपदीय अधिकारियों के वाट्सऐप पर प्रेषित करते हुए विभाग का संकल्प पूरा करेंगे.”
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष अरुण पांडे इस आदेश पर अचरज व्यक्त करते हैं. वह कहते हैं कि कांवड़ यात्रा या कोई भी धार्मिक क्रिया-कलाप पूरी तरह व्यक्ति की आस्था का विषय है और इसे निजी रूप से ही तय किया जाना चाहिए.
हालांकि ज़मीन पर काम करने वाले कर्मचारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता महिलाओं में से कुछ बीच का रास्ता निकालने को तैयार हैं.
फ़ैमिदा ख़ातून देहरादून के बुलाकीवाला-3 आंगनबाड़ी केंद्र में बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता काम कर रही हैं. उन्हें शनिवार सुबह ही मंत्री का आदेश आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के वाट्सऐप ग्रुप पर मिला.
वह कहती हैं कि चूंकि सरकारी आदेश का पालन करना है इसलिए उन्होंने इसका एक रास्ता निकाला है. उनकी साथी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शिवलिंग पर जल चढ़ा लेंगीं और वह साथ में फ़ोटो ले लेंगी.
इससे पहले 20 जुलाई को भी रेखा आर्य की ओर से एक सरकारी निमंत्रण पत्र जारी होने के बाद विवाद हो गया था. खाद्य और आपूर्ति विभाग के अपर आयुक्त ने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों को विभागीय मंत्री रेखा आर्य के बरेली स्थित निजी आवास में आयोजित होने वाले एक धार्मिक कार्यक्रम का निमंत्रण दिया था.
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे इस निमंत्रण पत्र में निर्देश थे कि अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भी यह निमंत्रण पत्र उपलब्ध करवाएं.
इस पत्र के सार्वजनिक होने के बाद बवाल हो गया. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस तरह के आदेश पर रोक लगाने की मांग की.
उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति के घर में कोई कार्यक्रम हो या सार्वजनिक कार्यक्रम हो उसका आप निमंत्रण दे सकते हैं लेकिन सरकारी उच्च अधिकारी के माध्यम से मातहतों को आदेश जारी नहीं कर सकते.
उन्होंने यह भी कहा कि यह पत्र सरकारी पत्र है. प्रदेश में बरसात और कावंड यात्रा चल रही है. जब सीएम ख़ुद कह रहे हैं कि अधिकारी और कर्मचारी अपना स्थान नहीं छोड़ेंगे तो कर्मचारियों को बरेली आने के लिए कैसे कहा जा रहा है? यह तो सीएम के आदेश की अवहेलना है. इससे नई परिपाटी शुरू होगी,
कांग्रेस के विरोध के बाद जब पत्रकारों ने रेखा आर्य से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने एक और विवाद को जन्म दे दिया.
रेखा आर्य ने कहा, “रेखा आर्य ने निमंत्रण दिया है. कनपटी पर बंदूक तो नहीं रखी है. कार्यालय ने निमंत्रण दिया है… स्वेच्छा है. आप सबकी भी स्वेच्छा है, आप उस पुण्य कार्यक्रम में आना चाहते हैं या नहीं आना चाहते हैं. ऐसा नहीं कि किसी ने अनिवार्य रूप से रहना है या अनिवार्य रूप से नहीं रहना है.”
कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने रेखा आर्य के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि आप मंत्री हैं, कुछ तो पद की गरिमा बनाकर रखो, क्यों गुंडों-मवालियों वाली भाषा प्रयोग कर रही हैं.
दसौनी ने यह भी कहा कि रेखा आर्य वह विवादों में बने रहने और सस्ती लोकप्रियता पाने वाले काम करती रही हैं. ताज़ा आदेश और बयान भी उनकी इसी फ़ितरत को बयान करते हैं.
इससे पहले त्रिंवेंद्र सिंह रावत, तीरथ रावत और पुष्कर सिंह धामी की सरकारों के पाँच साल के कार्यकाल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहीं रेखा आर्य की अपने विभागों के वरिष्ठ अधकारियों से कई बार ठनी. वरिष्ठ राधा रतूड़ी, सौजन्या, झरना कामठान, सुजाता सिंह, सविन बंसल, षणमुगम से रेखा आर्य के विवाद इतने बढ़े थे कि कई अधिकारियों ने उनके साथ काम करने से भी इनकार कर दिया था.
हालांकि इस बार रेखा आर्य का कद बढ़ा है और वह कैबिनेट मंत्री बन गई हैं. इसी के साथ हालिया आदेश और बयानों की वजह उनसे जुड़े विवाद भी बढ़े हैं.