हरिद्वार धर्मनगरी में ऐसे होता है आस्था का संगम: हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा के लिए सैकड़ों मुस्लिम परिवार कांवड़ तैयार कर रहे हैं.

VSCHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

हरिद्वार. देश में एक तरफ हिंदू और मुस्लिमों के बीच कई स्तरों पर विवाद चल रहे हैं, वहीं धर्मनगरी हरिद्वार में शुरू होने जा रहे कांवड़ मेले में धार्मिक समरसता की मिसाल देखने को मिल रही है. हिंदुओं की सबसे बड़ी धार्मिक यात्रा के लिए सैकड़ों मुस्लिम परिवार कांवड़ तैयार कर रहे हैं. हरिद्वार के ज्वालापुर में सौ से भी ज्यादा परिवार ऐसे हैं, जो दशकों से कांवड़ बनाने का काम करते हैं. पिछले दो सालों से कोविड के प्रकोप के चलते कांवड़ मेला नहीं हो पाने के चलते इस बार कांवड़ के इन कारीगरों को कांवड़ यात्रा का बेसब्री से इंतजार है.

कारीगर जहां इस मेले को रोज़गार और आमदनी का बड़ा अवसर मानते हैं, वहीं इसे कौमी एकता की मिसाल भी बताते हैं. कांवड़ के कारीगर मोहम्मद राशिद और फरमान का कहना है कि दो दशकों से भी ज्यादा समय से वो कांवड़ बनाने का काम कर रहे हैं. आपको यह जानकर भी सुखद आश्चर्य होगा कि ये कारीगर धर्म के भेद को किस तरह मिटा चुके हैं.

राशिद कहते हैं कि भोले की कांवड़ बनाना उनके लिए खुशी की बात है, तो फरमान तो यहां तक कहते हैं कि लंबे समय से ये कारीगरी करते हुए उनकी आस्था भी भगवान शिव के साथ जुड़ चुकी है.

इधर, महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी बताते हैं कि हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा का इतिहास काफी पुराना है. भगवान परशुराम ने इस यात्रा की शुरुआत की थी. उसके बाद श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थों के दर्शन कराए थे. यही कारण है कि देशभर के कई हिस्सों में भक्त कांवड़ यात्रा में उमड़ते हैं.

भारत अनेक संस्कृतियों का देश है यहां सभी धर्मों की परंपराओं और धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करने के सौहार्द्र के बीच कभी कभी धार्मिक मतों के टकराव भी होते हैं. ऐसे में, हरिद्वार के कांवड़ मेले में शिव भक्तों के लिए अपने हाथों से कांवड़ तैयार करते मुस्लिम कारीगर धार्मिक समरसता और भाईचारे की मिसाल को ज़िंदा रखते हैं.

14 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होने वाली है और इस बार कांवड़ यात्रा को लेकर साधु संतों में भी उत्साह दिखाई है. संत समाज का कहना है कि बड़ी संख्या में शिवभक्तों का स्वागत और सम्मान होना चाहिए और अधिक से अधिक कांवड़ियों को आना चाहिए. साथ ही, साधु संत धार्मिक सद्भावना की मिसाल देते हुए शांतिपूर्ण कांवड़ यात्रा की अपील भी कर रहे हैं.

महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने कहा, ‘कांवड़िए करोड़ों का कारोबार खास तौर पर हमारे मुस्लिम भाइयों को देकर जाते हैं और वो भी कांवड़ बड़ी महेनत और प्यार से बनाते हैं. इसलिए पत्थरबाज़ी या ​किसी भी तरह की हिंसा जैसी घटनाएं न हों और सांप्रदायिक माहौल सुखद बना रहे.’ उन्होंने कांवड़ियों को यात्रा के दौरान सभी सुविधाएं मुहैया कराने और उनका सत्कार करने की अपील सरकार से की.

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