राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को 2030 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य। शुरुआत करने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बन गया।

Saurabh CHAUHAN for NEWS EXPRESS INDIA

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को ‘बाल वाटिका’ (प्राइमरी से पहले की कक्षा) का उद्घाटन किया। इसके साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (national education policy 2020) की शुरुआत करने वाला उत्तराखंड, देश का पहला राज्य बन गया। देहरादून के अलावा प्रदेश के सभी विकासखंडों के आंगनबाडी केंद्रों एवं स्कूलों में बालवाटिका कक्षाएं आरंभ कर दी गईं। निजी स्कूलों में नर्सरी में होने वाली पढ़ाई, अब आंगनबाड़ी एवं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ‘बाल वाटिका’ कक्षा में कराई जायेगी।

‘बाल वाटिका’ का उद्घाटन करने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एक क्रांतिकारी परिवर्तन है, जो नौनिहालों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करेगी। उन्होंने कहा, ‘यह शिक्षा नीति भारतीय सनातन ज्ञान और विचार की समृद्ध परंपरा के आलोक में तैयार की गई है जो हर व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष जोर देती है।’

छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व निर्माण में शिक्षकों की भूमिका को सबसे अहम बताते हुए धामी ने कहा कि बच्चों को सबसे पहले संस्कार माता-पिता से मिलते हैं और उसके बाद उनके व्यक्तित्व निर्माण में पूरी भूमिका शिक्षकों की होती है।

2030 तक पूरी तरह लागू करने का टारगेट
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020 को 2030 तक पूरी तरह लागू करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन, उन्होंने शिक्षा विभाग से 2025 तक शिक्षा के क्षेत्र में कुछ ऐसे कार्य करने को कहा जो देश में एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत हों।

इस संबंध में उन्होंने कहा कि 2025 में उतराखंड स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर सभी विभागों को यह लक्ष्य दिया गया है कि वे अपनी कुछ उपलब्धियां धरातल पर दिखाएं। धामी ने इस मौके पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय भवन का लोकार्पण भी किया और जीर्ण-शीर्ण हो रहे आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत की भी घोषणा की। प्रदेश के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपराओं को आगे बढ़ाया जा रहा है तथा योग, वेद, पुराणों, स्थानीय बोलियों एवं संस्कृत आधारित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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