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आज का हमारा सामाजिक ताना-बाना कुछ इस तरह उलझ गया है. युवा अधिक से अधिक तरक्की करने के लिए भागदौड़ भरी जिंदगी में लग जाते है. जबकि वह भूल जाते हैं उनको भी बुजुर्ग होना है. और इस भाग दौड़ में अपने बुजुर्गों को भूल जाते हैं. जैसे जैसे हमारा समाज विकसित होता गया अधिकतर हमारे इस संयुक्त परिवार छोटे-छोटे एकल परिवार में बदल गए हैं. जब व्यक्ति अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव की तरफ होता है. तब वह आज के दौर में अपने आप को निपट अकेला पाता है. और वह अकेलापन अनेक बीमारियों को बुलावा दे देता है. ऐसा ही एक बुजुर्ग दंपत्ति का मामला सामने आया है. और एक अनोखा केस. शायद ही लोगों ने पहले इस तरह का केस देखा हो या सुना हो.
हरिद्वार में रहने वाले एक माता पिता अपने बच्चों के खिलाफ मुकदमा दायर किया. बहुत दफा माता-पिता और बच्चों के बीच संपत्ति के विवाद की खबरें अकसर सुनने में आती हैं लेकिन उत्तराखंड में एक अनोखा केस सामने आया है। हरिद्वार में एक बुजुर्ग दंपती ने अपने बहू और बेटे से पोते-पोती की मांग की है, अगर ऐसा न कर सकें तो हर्जाने के तौर पर ढाई-ढाई करोड़ यानी कुल 5 करोड़ मांगे हैं। इस दंपती ने हरिद्वार के जिला कोर्ट में बाकायदा मुकदमा दायर किया है। इसकी अगली सुनवाई 17 मई को होनी है।
खुद संजीव रंजन प्रसाद का कहना है, ‘मैंने अपने बेटे पर अपना पूरा पैसा खर्च कर दिया। उसे अमेरिका में ट्रेनिंग दिलवाई। अब मेरे पास पैसा नहीं है। मैंने घर बनाने के लिए बैंक से लोन लिया। हम आर्थिक और व्यक्तिगत तौर पर बहुत परेशान हैं।’छह साल बाद भी संतान नहीं
बुजुर्ग पति-पत्नी ने अदालत में यह कहते हुए याचिका दायर की है कि विवाह के 6 साल बाद भी उनके बेटे-बहू बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं। इसकी वजह से उन दोनों को बहुत मानसिक यंत्रणा से गुजरना पड़ रहा है।
अकेलापन किसी यातना से कम नहीं
हरिद्वार कोर्ट में दायर याचिका में इस बुजुर्ग दंपती ने कहा है कि हमने अपने बेटे की परवरिश में, उसे काबिल बनाने में अपना सबकुछ लगा दिया। इसके बाद भी हमें इस उम्र में अकेले रहना पड़ रहा हे जो कि किसी यातना से कम नहीं है। ऐसी स्थिति में या तो हमारे बहू-बेटे हमें हमें पोती-पोता दें, लड़का हो या लड़की हमें इससे कोई मतलब नहीं है। या फिर वे हमें ढाई-ढाई करोड़ रुपये दें जो उन पर खर्च किया गया है।
‘आज के समाज का सच’
प्रसाद दंपती के वकील एके श्रीवास्तव कहते हैं, ‘यह आज के समाज का सच है। हम अपने बच्चों पर खर्च करते हैं उन्हें अच्छी नौकरी करने लायक बनाते हैं। बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पैरंट्स की बेसिक फाइनेंशल जरूरतों की जिम्मेदारी उठाएं। इसीलिए प्रसाद दंपती ने यह केस दायर किया है। फिलहाल, इस याचिका पर 17 मई को सुनवाई होनी है।