Raju for NEWS EXPRESS INDIA
सवाल यह है कि क्या कोई इंसान इतना क्रूर हो सकता है. कि जिस पत्नी के साथ जीवन के कई वर्ष गुजारे हो उसको भूखा प्यासा रख कर मौत की तरफ धकेलन दे यदि इंसान कुछ वक्त किसी जानवर के साथ भी गुजार लेता है. तो उसको उस जानवर से भी प्यार हो जाता है. यह बात किसी धर्म मजहब वर्ग लागू नहीं होती. क्योंकि अच्छे और बुरे लोग कहीं भी किसी धर्म और मजहब में मिल सकते हैं. बहरहाल एक ऐसा मामला सामने आया है. कि एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को भूखा प्यासा रखकर मौत की तरफ धकेल दिया.
जली हुई रोटी देने की वजह से फोन पर पति द्वारा तीन तलाक कहे जाने के बाद महीने भर कमरे में कथित रूप से भूखी प्यासी बंद रखी गयी महिला की मौत हो गयी। महिला के पति सहित ससुराल वालों पर दहेज हत्या का मामला… हांलाकि आज तो तीन तलाक पर कानून बन चुका है. आज की तारीख में ऐसा करना मुश्किल है. जो उस व्यक्ति ने तब किया था. इसी तरह की घटनाएं इसका कारण रही कि तीन तलाक पर कानून बनाना पड़ा.
यह घटना 2018 की है. घटना जरूर पुरानी है. लेकिन मुद्दा आज भी नया है. जली हुई रोटी देने की वजह से फोन पर पति द्वारा तीन तलाक कहे जाने के बाद महीने भर कमरे में कथित रूप से भूखी प्यासी बंद रखी गयी और अंत में महिला की मौत हो गयी। महिला के पति सहित ससुराल वालों पर दहेज हत्या का मामला दर्ज किया गया।
पुलिस ने बताया था कि उस वक्त मृतका का छह साल का बच्चा था। मृतका की बहन का आरोप था कि रजिया का पति दहेज के लिए अक्सर उसकी बहन की पिटाई करता था। पहले उसे तीन तलाक कहा गया। उसके बाद एक कमरे में भूखा प्यासा बंद रखा गया।
मामले पर संज्ञान लेते हुए जिला पुलिस ने दहेज हत्या का मामला दर्ज किया था और पति सहित ससुराल वालों की गिरफ्तारी का आदेश दिया गया था।
महोबा की रहने वाली रजिया को तीन तलाक कहा गया और पति का घर छोड़ने पर मजबूर किया गया। कथित रूप से रजिया की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसके द्वारा बनायी गयी रोटी जल गयी थी।
तीन तलाक के लिए बरेली पहले भी हुई है बदनाम
बरेली में तीन तलाक और हलाला का चौंकाने वाला एक कथित मामला पहले भी सामने आया था। एक शख्स पर उसकी बीवी ने पहले तलाक देकर घर से निकालने और फिर से साथ रखने के लिए अपने ही ससुर के साथ ‘हलाला कराने और दोबारा तलाक देने के बाद अब देवर से हलाला कराने की जिद करने का आरोप लगाया है।
बरेली शहर के बानखाना निवासी शबीना ने आला हजरत हेल्पिंग सोसायटी की अध्यक्ष निदा खान के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में बताया था कि उसकी शादी गढ़ी-चैकी के रहने वाले वसीम से वर्ष 2009 में हुई थी। उसका आरोप है कि दो साल बाद शौहर ने उसे तलाक देकर घर से निकाल दिया। बाद में उसी साल वसीम ने अपने पिता के साथ उसका हलाला कराया। उसके बाद वह फिर वसीम के साथ रहने लगी, मगर लड़ाई-झगड़े खत्म नहीं हुए।
शबीना का आरोप था कि वर्ष 2017 में उसके शौहर ने उसे फिर तलाक दे दिया। अब वह अपने भाई के साथ हलाला करने की शर्त रख रहा है। शबीना ने ऐसा करने से इन्कार कर दिया है और अब वह तीन तलाक, हलाला और बहुविवाह पर सख्त कानून चाहती हैं ताकि औरतें इस जुल्म से बच सकें। हलाला भी ऐसी प्रक्रिया है जिसको मुस्लिम औरतें पसंद नहीं करती है. जो परंपरा कुरीति बन जाए चाहे वह किसी भी धर्म और मजहब में हो उसका बदल जाना जरूरी है. परंपराओं के कारण कई बार कई धर्म या मजहब में ऐसे निर्णय लिए जाते हैं जो ठीक नहीं होते.
अपने ही ससुर के साथ हलाला करने के बारे में पूछे गये एक सवाल पर शबीना ने कहा था कि उनके पास इसके सिवा और कोई रास्ता नहीं था। वह तो बस अपना उजड़ा घर बसाना चाहती थी।
मुफ्ती खुर्शीद आलम ने बताया था कि सबसे पहले तो यह देखना होगा. कि ससुर के साथ हलाला कैसे हुआ? अगर ऐसा हुआ तो बड़ा गुनाह है। दूसरी बात, ससुर से हलाला होने पर बहू अपने पहले शौहर पर हराम हो गयी। वह दोबारा अपने पहले शौहर के साथ नहीं रह सकती।