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कहते हैं बचपन गीली मिट्टी के समान होता है. संस्कारों की नींव बचपन में ही डाली जाती है. अच्छे-बुरे और सही-गलत के बीच अंतर का पाठ भी बचपन से ही शुरू होता है. घर में ये ड्यूटी माता-पिता की होती है और स्कूल में ये कर्तव्य शिक्षकों का होता है. लेकिन क्या आप गारंटी के साथ कह सकते हैं कि आपका बच्चा स्कूल से जो पढ़कर आ रहा है वो एकदम सही है?
अगर आपके बच्चों को स्कूल में ये पढ़ाया जाए कि मुगल तो महान शासक (Mughal Dynasty) थे और शिवाजी-महाराणा प्रताप उनके आगे कुछ भी नहीं थे, तो ये झूठ आपके गले उतरेगा? अगर ये बताया जाए कि औरंगजेब तो टूटे मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाता था तो फिर आप खुद से नहीं पूछेंगे कि ऐसे में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़े जाने का सच क्या था?
हमारे देश में एक विशेष प्रकार का राजनीतिक वर्ग और बौद्धिक गिरोह है, जो चाहता है कि आपके बच्चे सच को ना जानें बल्कि झूठ को ही सच मानें. इसीलिए इतिहास की किताबों में जब सच के पन्ने जोड़े जाते हैं तो ये लोग संकट में आ जाते हैं. इन्हें संस्कृति, सभ्यता, धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक ताने-बाने पर संकट नजर आने लगता है.
CBSE ने देश की स्कूली किताबों में पढ़ाए जा रहे इतिहास के गलत पन्नों को हटाकर NCERT का नया और संशोधित पाठ्यक्रम जारी कर दिया है. केंद्र सरकार ने इसके लिए संसदीय कमेटी बनाई थी, जिसकी सिफ़ारिशों के बाद नई किताबें छपने के लिए भेज दी गई हैं. नए पाठ्यक्रम पर अब विवाद पैदा किया जा रहा है. खुद कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी इसे भगवाकरण का नाम दे रहे हैं. पहले आपको बताते हैं कि ये मामला क्या है.
मुगलों को महान बताने वाला चैप्टर हटाया गया
CBSE ने कक्षा 9 से लेकर कक्षा 12वीं तक का नया पाठ्यक्रम जारी किया है. इस पाठ्यक्रम में CBSE ने NCERT की किताबों से मुगल शासकों औरंगजेब और शाहजहां को महान बताने वाला चैप्टर हटा दिया है. इसके अलावा धार्मिक चिन्हों पर आधारित एक कार्टून को भी हटाया गया है. पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की दो नज़्में भी हटा दी गई हैं जो बगावत करने को उकसाती हैं. इनके अलावा शीतयुद्ध के इतिहास का एक और अध्याय भी हटाया गया है जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के गुट निरपेक्ष आंदोलन का भी जिक्र था.
आपको बताते हैं कि इतिहास और राजनीति शास्त्र की किताबों से किन Chapters को हटाया गया है और ऐसा करना क्यों जरूरी था? आप इन्हें देखेंगे तो समझ पाएंगे कि ये अध्याय इतिहास के सच से कितने दूर थे.
औरंगजेब के चैप्टर पर भी चली कैंची
NCERT की 12वीं कक्षा की इतिहास की किताब Themes of Indian History-Part 2 के नौवें चैप्टर Kings and Chronicles को CBSE ने पूरी तरह हटा दिया है. इस क़िताब के पेज नंबर 234 पर क्रूर शासक औरंगजेब और शाहजहां का महिमा-मण्डन किया गया था. इसमें लिखा था कि जब युद्ध के दौरान मन्दिर ढह जाते थे तो औरंगजेब और शाहजहां इन मन्दिरों को बनवाने के लिए ग्रांट जारी किया करते थे. इसी चैप्टर में ये भी बताया गया था कि Mughal Courts यानी मुगलों (Mughal Dynasty) की अदालतें कैसे न्याय किया करती थीं.
जबकि असली इतिहाय ये है कि औरंगजेब मंदिरों का जीर्णोद्धार करवाने के लिए नहीं बल्कि उनका विध्वंस करने के लिये कुख्यात था.
ऐतिहासिक साक्ष्य देखें तो वर्ष 1669 में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ मंदिर को औरंगजेब के आदेश पर ही पूरी तरह ध्वस्त किया गया था और वहां मस्जिद का निर्माण किया गया था. जिसे आज ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जाना जाता है. इतिहास की क़िताबों में मुगल बादशाह शाहजहां को ताजमहल बनवाने के लिये याद किया जाता है. लेकिन ताजमहल बन जाने के बाद मजदूरों के हाथ काट लिए जाने का जिक्र तथाकथित इतिहासकार कभी नहीं करते. NCERT की किताबों में शाहजहां का सिर्फ महिमामंडन होता आया है.
इसी तरह 11 वीं कक्षा की इतिहास की किताब Themes in World History में एक सेक्शन है Empires. इसके Chapter, The Central Islamic Lands को पूरी तरह हटा दिया है. इसमें इस्लामी साम्राज्य की स्थापना, उसके उदय और विस्तार की कथित गौरवमयी कहानी पढ़ाई जाती थी. इस Chapter में बच्चों को पढ़ाया जाता था कि कैसे इस्लामी साम्राज्य Central एशिया में स्थापित हुआ और फिर अफ्रीका- एशिया के अधिकतर भागों में फैल गया. अब Empires नाम के section में सिर्फ दो चैप्टर पढ़ाए जाएंगे. पहला- An Empire across Three Continents जिसमे रोमन साम्राज्य की कहानी पढ़ाई जाएगी. और दूसरा- NOMADIC EMPIRES chapter- जिसमे 13 वीं और 14वीं सदी के मंगोल साम्राज्य की कहानी है.
पाकिस्तानी शायर फैज के दोनों शेर हटे
अब आपको बताते हैं कि 10 वीं कक्षा में Social Science के अंतर्गत Political Science की किताब से क्या हटाया गया है. इस क़िताब में Democratic Politics के चौथे चैप्टर Gender, Religion and Caste के पेज नंबर 46, 48 और 49 पर पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज की नज़्म हटाई गई हैं. आप इन पंक्तियों पर गौर करें.
“चश्म-ए-नम जान-ए-शोरीदा काफी नहीं
तोहमत-ए-इश्क पोशीदा काफी नहीं
आज बाजार में पा-ब-जौला चलो”
फैज का ये शेर सत्ता में बैठे लोगों के खिलाफ प्रतिरोध यानी बगावत की बात करता है. इस शेर में सत्ता से परेशान लोगों से कहा गया है कि बेड़ियों को तोड़ दो और शहर की ओर कूच करो, जहां तुम्हारा शासक रहता है.
फैज की जो दूसरी नज़्म हटाई गई है, उसकी लाइनें भी देखें.
हम के ठहरे अजनबी
इतनी मुलाकातों के बाद
खून के धब्बे धुलेंगे
कितनी बरसातों के बाद..
ये नज़्म फैज अहमद फैज ने 1974 में बांग्लादेश से पाकिस्तान लौटने के बाद लिखी थी. इसमें जिन खून के धब्बों का जिक्र वो कर रहे थे वो बांग्लादेश मुक्ति संग्राम को लेकर थे. फैज इस नज़्म में बता रहे थे कि ये निशान वर्षों तक रहेंगे.
कथित धर्मनिरपेक्षता का कार्टून भी अब नहीं दिखेगा
CBSE ने 10वीं की इसी किताब के चैप्टर से एक अंग्रेज़ी अखबार का कार्टून भी हटा दिया है. जिसमें मुख्यमंत्री की कुर्सी पर सभी धर्मों के पवित्र धार्मिक चिन्ह दिखाए गये थे और लिखा था कि ये कुर्सी मुख्यमंत्री के लिये उसकी धर्मनिरपेक्षता साबित करने के लिए है.
इसी तरह 12वीं कक्षा की Political Science की किताब Contemporary World Politics के दो चैप्टर हटाए गए हैं. एक चैप्टर है, The Cold War Era और दूसरा चैप्टर है US HEGEMONY IN WORLD POLITICS.
The Cold War Era में शीत युद्ध का इतिहास पढ़ाया जाता था और शीत युद्द के दौरान देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के गुट-निरपेक्ष आंदोलन की अहमियत को भी पढ़ाया जाता था. इसी तरह एक चैप्टर US HEGEMONY IN WORLD POLITICS जिसमें वैश्विक राजनीति में अमेरिका का नेतृत्व और दखल पढ़ाया जाता था. इसे भी CBSE ने 12वीं के नए पाठ्यक्रम से बाहर किया है.