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इंदौर में फर्जी एडवाइजरी कंपनी खोलकर 5 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने वाले 15 लोगों को राऊ पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है, लेकिन गिरोह की सरगना पूजा थापा फिलहाल फरार है। बताया जा रहा है कि वो गोवा में घूमने गई है और उसे पकड़ने के लिए पुलिस की एक टीम गोवा गई है। महिला के बारे में पता चला है कि वो बड़ी होटलों में पार्टी और फ्लाइट से घूमने की शौकीन है। आरोपी शेयर कारोबार में तीन गुना मुनाफे का लालच देकर लोगों से धोखाधड़ी करते थे।
मामले में कोर्ट के आदेश पर शनिवार को पूजा के विजय नगर स्थित शेखर रीजेंसी के फ्लैट में ताला तोड़कर सर्चिंग की गई। वहां नोट गिनने की मशीन, लाखों की गोल्ड ज्वेलरी, हुक्का बार, महंगी शराब की बोतलें समेत 50 जोड़ी ब्रांडेड कपड़े और जूते मिले। फ्रिज में 110 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला मिनरल वॉटर (हिमाद्रि) भी रखा था। पूजा थापा एक बार जो कपड़े पहन लेती थी वह महीने भर रिपीट नहीं करती थी। महिला ने एडवाइजरी कंपनी में धोखाधड़ी कर कमाए रुपए से लग्जरी लाइफ जीना शुरू कर दी थी।
राऊ टीआई नरेंद्र रघुवंशी ने बताया कि फरार पूजा के शगुन आर्केड स्थित इन्फिनिटी बज कंपनी के ऑफिस को भी सर्च किया गया। यहां से कम्प्यूटर, लैपटॉप और कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं। साथ ही सुपर कॉरिडोर पर भी एक प्लॉट खरीदने का पता चला है। सूत्र बताते हैं कि इंदौर में हुई कार्रवाई के तत्काल बाद ये कर्नाटक में थी, लेकिन वहां से मुंबई आने के बाद से वो गायब है। पुलिस उसका लुकऑउट सर्कुलर भी जारी करा रही है।
इधर रिमांड पर चल रहे आरोपी दिलीप उर्फ दीपू चेलानी से एक्टिवेट सिम को लेकर पूछताछ हुई तो उसने बताया कि फर्जी ढंग से संचालित होने वाली एडवाइजरी कंपनी को करीब 200 लोगों के आईडी पर एक्टिवेट की हुई सिम दे चुका था। इन्हीं सिम के कारण कई लोग इस गिरोह के कॉल सेंटर के कर्मचारियों की बातों में आकर अपनी लाखों की पूंजी गंवा बैठते थे।
टीआई ने बताया आरोपी दीपू के पास से लापुस एप भी मिला है। इसे लेकर संबंधित टेलीकॉम कंपनियों से भी पूछताछ की जा रही है। वहीं आरोपी पवन तिवारी, प्रकाश भट्ट, यज्ञदत्त शर्मा, विशाल जायसवाल, मुरली पाटनकर और अमित जोशी अब भी पुलिस रिमांड पर है।
जानकारी ईडी को दी
ADCP ने बताया कि इन लोगों ने डेढ़ साल में ही ठगी के पैसे से दस से अधिक प्रापर्टी खरीदी है। जिसकी कीमत एक करोड़ रुपए से ज्यादा है। इसकी जानकारी ईडी को दी जा रही है। ताकि मनी लॉन्ड्रिंग का केस बन सके। क्योंकि इन लोगों ने ठगी के पैसे से ही यह प्रापर्टी खरीदी है, इसके सबूत भी मिल चुके हैं।
पुलिस आरोपियों के पासपोर्ट की भी जांच करवा रही है। पुलिस को पता चला है कि ये लोग घूमने के लिए विदेश भी गए थे। इसके अलावा पुलिस उनकी संपत्ति की जानकारी रजिस्ट्रार को दे रही है ताकि उसकी बिक्री न हो सके। इसके अलावा पुलिस को अब तक उनके एक दर्जन बैक खातों का भी पता चला है जिसमें लाखों रुपए है। इसकी जानकारी बैकों से ली जा रही है।