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दुनिया में कई आइलैंड्स हैं जो प्राकृतिक सुंदरता के लिए फेमस हैं जबकि कुछ (Mysterious Island) पर अजीबोगरीब रहस्य छिपे हुए हैं। इनमें से ही एक आइलैंड है जो कुष्ठ रोगियों के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। अब यह दुनिया का सबसे वीरान और रहस्यमयी आइलैंड बन चुका है। यहां पर कभी बिना इलाज के कुष्ठ रोगियों को रखा जाता है। तो आइए हम इस आइलैंड से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं।
कोढ़ (Leprosy) से पीड़ित व्यक्ति को हमेशा से ही समाज में हीन भावना से देखा जाता है। इस बीमारी को एक अभिशाप की तरह माना जाता रहा है। कोढ़ की बीमारी को बहुत बुरा माना जाता रहा है। इन रोगियों से आम लोग हमेशा दूरी बनाकर रहे हैं। सदियों से इस बीमारी से पीड़ित लोगों को समाज में अलग-थलग रखा गया है। भारत में कुष्ठ रोगियों के लिए कई आश्रम चलते हैं। भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी कुष्ठ रोगियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है।
हम जिस आईलैंड की बात कर रहे हैं वो कुष्ठ रोगियों से जुड़ा हुआ है और बेहद डरावनी है। यूरोपीय देश ग्रीस और यूनान ने कुष्ठ रोगियों को इस आइलैंड पर भेज दिया था। इन देशों ने आम लोगों से दूर रखने के लिए इन लोगों को आइलैंड पर भेजा था।
इस आइलैंड को स्पिनालॉन्गा नाम से जाना जाता है। यह आइलैंड यूनान के सबसे बड़े द्वीप क्रीट के करीब और भूमध्य सागर में मिराबेलो की खाड़ी के मुहाने पर मौजूद है। लेकिन कभी कुष्ठ रोगियों के लिए फेमस यह आइलैंड अब वीरान पड़ा है। यहां पर बेहद कम लोग ही जाते हैं।
द्वीप क्रीट के गांव प्लाका के करीब स्थित इस आइलैंड पर बहुत कम लोग आते जाते हैं। वेनिस के राजा ने इस आइलैंड को सबसे पहले सैन्य अड्डा बनाया था। इसके बाद तुर्की के ऑटोमान साम्राज्य ने इसको घेर लिया, हालांकि साल 1904 में क्रीट के लोगों ने तुर्कों को यहां से खदेड़ दिया।
स्पिनालॉन्गा को तुर्कों को भगाने के बाद इस आइलैंड पर कुष्ठ रोगियों को रखा जाने लगा। साल 1975 में दुनिया को पता चला कि यह कुष्ठ रोगियों का केंद्र है, क्योंकि इससे पहले इस बारे में किसी को जानकारी नहीं थी। एक ब्रिटिश एक्सपर्ट ने साल 1975 में दुनिया को यह जानकारी दी।
इस आइलैंड का हाल जानने के बाद पूरी दुनिया ने इसकी आलोचना की। इसके लिए यूनानी सरकार को दुनिया के सामने शर्मिंदा होना पड़ा। दुनिया के सामने यह जानकारी आने के बाद यूनानी सरकार ने बड़ा कदम उठाया। यूनानी सरकार ने कुष्ठ रोगियों का इलाज करवाना शुरू किया और इसको बंद कर दिया। इसके बाद से स्पिनालॉन्गा आइलैंड वीरान पड़ा है। यहां पर कुष्ठ रोगियों को आम लोगों से दूर रखने के लिए रखा जाता था।
स्पिनालॉन्गा द्वीप पर कुष्ठ रोगियों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इस द्वीप पर एकमात्र डॉक्टर आता था जब कुष्ठ रोगियों को कोई दूसरी बीमारी हो जाती थी। इसको केंद्र बनाए जाने से पहले ही कुष्ठ रोग का इलाज खोज लिया गया था, लेकिन यहां कुष्ठ रोगियों का इलाज नहीं होता था।